Edited By Shivam, Updated: 30 Nov, 2019 07:54 PM
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्षा कुमारी शैलजा व राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने संयुक्त पत्रकारवार्ता करते हुए कहा कि खनन मामले में कैग की रिपोर्ट के आधार पर खनन घोटाले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से होनी चाहिए। उन्होंने...
चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्षा कुमारी शैलजा व राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने संयुक्त पत्रकारवार्ता करते हुए कहा कि खनन मामले में कैग की रिपोर्ट के आधार पर खनन घोटाले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार अभी तक चुप है, आगे कुछ करेगी यह संभव नहीं लगता।
शैलजा ने कहा कि अवैध खनन का मुद्दा ज्वलंत है, क्योंकि इसके तथ्यों पर आधारित कैग रिपोर्ट आ गई है। जिसमें स्पष्ट है कि हरियाणा की जनता को इस मामले में हजारों करोड़ों का चूना लगा है। उन्होंने कहा कि खनन कितना हुआ, किन ठेकेदारों को फायदा हुआ, कहां नियमों की धज्जियां उड़ाई गई इन सब विषयों पर गंभीर जांच होनी चाहिए।
शैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर स्वयं अवैध माइनिंग के कामों को देख कर चुप हैं, जिससे पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। हमारी नदियों के रास्ते बदल दिए जा रहे हैं। उन्होंने सवाल पूछते हुए आरोप लगाया कि इन सभी मामलों पर सरकार मूक दर्शक क्यों है? सरकार के सरंक्षण में ऐसा हो रहा है? सेटेलाइट से निगरानी के दावे खोखले साबित हो रहें हैं।
शैलजा ने आरोप लगाया कि सरकार, प्रशासन व माफिया खनन के कामों में मिले हुए है। हमारी मांग है कि कैग रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट के सिटिंग जज से ही जांच हो तभी तथ्य सामने आएंगे, क्योंकि ऊपर से लेकर नीचे तक सभी की मिलीभगत है।
कैग रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: हरियाणा में खनन माफिया बेलगाम, 1476 करोड़ की चपत
गौरतलब है कि 26 नवंबर को विधानसभा सत्र के दौरान कैग की 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी गई। इसमें अनेक अनियमितताओं को उजागर किया गया। जिसमें खुलासा हुआ है कि खनन माफिया व ठेकेदार पूरी तरह से बेलगाम हैं। सरकारी विभागों के लापरवाही बरतने से सरकारी खजाने को राजस्व में बड़ी चपत लगी है।
हरियाणा में नियमों के विरुद्ध खनन को कैग ने उजागर किया है, साथ ही ये भी बताया है कि कई जगह खनन माफिया ने नदी का बहाव तक बदल दिया है। खनन विभाग की लापरवाही के कारण सरकार को 1476 करोड़ रुपये की चपत लगी है।