अढ़ाई माह बाद भी जारी नहीं हुआ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, पहली बैठक में पढ़े केवल घोषणा पत्र

Edited By Isha, Updated: 07 Jan, 2020 10:49 AM

common minimum program not released even after two and a half months

हरियाणा की जनता के साथ कई लोकलुभावन वादे करके गठबंधन की सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी तथा जननायक जनता पार्टी सत्ता में आने के करीब अढ़ाई माह बाद भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम

करनाल (शर्मा): हरियाणा की जनता के साथ कई लोकलुभावन वादे करके गठबंधन की सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी तथा जननायक जनता पार्टी सत्ता में आने के करीब अढ़ाई माह बाद भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम जारी कर पाने में असफल रही हैं। इस बीच सांझा कार्यक्रम जारी करने के लिए गठित कमेटी ने भी औपचारिकता पूर्ण करते हुए अभी तक केवल एक ही बैठक की है। हालांकि पहली बैठक के समय दूसरी बैठक 15 दिन के भीतर रखने की बात कही गई थी लेकिन एक माह बाद भी दूसरी बैठक नहीं हो पाई है।

हरियाणा में 24 अक्तूबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा को 40, कांग्रेस को 31, जननायक जनता पार्टी को 10, इनैलो को एक, हरियाणा लोकहित पार्टी को एक तथा सात सीटों पर निर्दलीयों ने चुनाव जीता था। 25 अक्तूबर की रात दिल्ली में भाजपा व जजपा ने गठबंधन का ऐलान किया था जिसके बाद 27 अक्तूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पद व गोपनीयता की शपथ ग्रहण करने के बाद ऐलान किया था कि दोनों दलों द्वारा बहुत जल्द कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का ऐलान किया जाएगा।

विपक्ष ने जब इस मुद्दे पर बयान देने शुरू किए तो विधानसभा के पहले सत्र के दौरान सी.एम. मनोहर लाल व डिप्टी सी.एम. दुष्यंत सिंह चौटाला ने घोषणा-पत्रों पर मंथन करने के लिए कैबिनेट मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी के गठन का ऐलान कर दिया। इस कमेटी में भाजपा की तरफ से कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुज्जर, पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के अलावा जजपा की ओर से राज्य मंत्री अनूप धानक और चरखी दादरी के पूर्व विधायक राजदीप सिंह फोगाट को शामिल किए गया है। इस बीच 14 नवम्बर को हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। नई सरकार के सत्ता में आने के बाद कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को अंतिम रूप देने के लिए अनिल विज की अध्यक्षता वाली इस कमेटी की पहली बैठक हुई जिसमें प्रारंभिक चर्चा के दौरान बुढ़ापा पैंशन और किसान कर्ज माफी पर पेंच फंस गया। जिसके चलते पहली बैठक में दोनों राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों को पढऩे के अलावा दूसरा कोई काम नहीं हुआ।  

पहली बैठक में वित्त विभाग के अधिकारियों तथा महाधिवक्ता को इस बारे में सांझा नीति बनाने के निर्देश दिए गए। पहली बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने दावा किया था कि दो सप्ताह बाद दूसरी बैठक में निर्णायक बातचीत होगी। इस बैठक को एक माह से अधिक समय बीत चुका है और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम कमेटी की बैठक तय नहीं हुई है। हरियाणा की राजनीति के विश£ेषक डॉ. सतीश त्यागी मानते हैं कि जिस तरह से महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार द्वारा शपथ ग्रहण से कुछ घंटे पहले कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का ऐलान किया गया था, वैसे ही हरियाणा में होना चाहिए था। अब लंबा समय बीत चुका है। दोनों दल जनता के बीच उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। ऐसे में सांझा कार्यक्रम के लिए किसी एक दल को अपनी घोषणाओं से समझौता करना पड़ेगा।

गायब हुआ नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा
हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य द्वारा विधानसभा के पहले सत्र के दौरान दिए गए भाषण के माध्यम से सरकार का विजन डाक्यूमैंट पेश किया गया था जिसमें यह साफ हो गया था कि सरकार युवाओं को नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने पर सहमत नहीं है। सरकार युवाओं को नौकरी प्रदान करने के लिए न केवल जिला स्तर पर जॉब फेयर लगाएगी बल्कि युवाओं को निजी कंपनियों में नौकरी हासिल करने के लिए योगय बनाएगी। विधानसभा चुनाव के दौरान हरियाणा की सत्तारूढ़ भाजपा और जजपा ने अपने-अपने चुनावी घोषणा-पत्र में प्राइवेट सैक्टर में प्रदेश के युवाओं को आरक्षण का वादा किया था। भाजपा ने 90 प्रतिशत और जजपा ने 75 प्रतिशत नौकरियां प्रदेश के युवाओं को दिलवाने का वादा किया था लेकिन अभिभाषण में यह वादा पूरी तरह से गायब नजर आया।

दोनों दलों में हो चुकी है उठापटक
हरियाणा के सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के बारे में तो अभी तक कोई सांझा कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है, अलबत्ता दोनों सत्तारूढ़ दलों में आपसी खींचतान जरूर शुरू हो गई है। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान जजपा की तरफ से प्रबल दावेदार रहे वरिष्ठ विधायक रामकुमार गौतम दुष्यंत चौटाला के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। वर्तमान में न तो गौतम के पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने के बारे में स्थिति साफ हुई है और न उन्हें किसी जजपा नेता द्वारा मनाए जाने की खबर आई है। उधर भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़े विधायक बने महम के विधायक बलराज कुंडू भले ही सरकार को समर्थन दे रहे हैं लेकिन उन्होंने सी.एम. के बेहद करीबी एवं पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर पर कई गंभीर आरोप लगाकर मोर्चा खोल रखा है।

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