स्कूल बैग के बगैर पढ़ेंगे हरियाणा के बच्चे, होमवर्क से भी रहेंगे दूर

Edited By Deepak Paul, Updated: 31 Jan, 2019 08:46 AM

children of haryana will study without school bag

हरियाणा स्कूल एजूकेशन डिपार्टमैंट की योजना सिरे चढ़ती है तो, तीसरी कक्षा तक के बच्चे स्कूल में बैग लेकर नहीं आएंगे। हरियाणा के स्कूलों में प्री-नर्सरी से लेकर तीसरी कक्षा में पढऩे वाले बच्चों को होमवर्क से भी छूट मिल जाएगी।

चंडीगढ़(अर्चना सेठी): हरियाणा स्कूल एजूकेशन डिपार्टमैंट की योजना सिरे चढ़ती है तो, तीसरी कक्षा तक के बच्चे स्कूल में बैग लेकर नहीं आएंगे। हरियाणा के स्कूलों में प्री-नर्सरी से लेकर तीसरी कक्षा में पढऩे वाले बच्चों को होमवर्क से भी छूट मिल जाएगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो हरियाणा पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां के नन्हे-मुन्नों को न तो पीठ पर भारी भरकम बैग लादने की मजबूरी होगी और न ही स्कूल होमवर्क करने का तनाव मिलेगा। शिक्षा विभाग द्वारा यह फैसला हाल ही में किए गए एक परीक्षण के मद्देनजर किया है। हरियाणा के 300 प्राइमरी स्कूलों में पढऩे वाले पहली कक्षा के बच्चों को साल भर बैग के बगैर स्कूल बुलाया गया। बच्चों को स्कूल में अनूठे तरीके से पढ़ाया गया।

उन्हें होमवर्क देने की बजाय एक्टीविटी करवाई गई। कक्षा में ही बैठाकर वो काम करवा लिया गया जो उन्हें होमवर्क के तौर पर करने के लिए दिया जाना था। क्लासरूम की एक अलमारी में अलग-अलग खानों पर बच्चों के नाम लिख दिए गए। उन खानों में बच्चे अपने बैग में रखी जाने वाली किताबें, कॉपी, पैंसिल आदि रखते रहे। सिर्फ इतना ही नहीं, बच्चों के अभिभावकों को भी जागरूक किया गया कि बच्चों को अलग तरीके से पढ़ाया जा रहा है उन्हें पढ़ाई से दूर नहीं किया जा रहा। 300 स्कूलों में किए गए परीक्षण के बाद अब 200 अन्य स्कूलों की पहली कक्षा के बच्चों को भी बैग के बगैर स्कूल बुलाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अब जल्द ही राज्य के सारे जिलों के सरकारी व गैर-सरकारी स्कूलों की प्री-नर्सरी से लेकर तीसरी कक्षा तक के बच्चे पढ़ाई भी स्कूल बैग के बिना करवाई जाएगी। 

न बढ़े बच्चों की पीठ का दर्द  
एडिशनल चीफ सैक्रेटरी हरियाणा (स्कूल एजूकेशन) पी.के. दास का कहना है कि स्कूल में पढऩे के लिए आने वाले बच्चों को अपने बैग में किताबों के अलावा कॉपी, पैंसिल बॉक्स, कलर, लंच बॉक्स, वाटर बोटल और अन्य कई चीजें रखनी पड़ती हैं। किताबों और अन्य चीजें मिलकर स्कूल के बैग को भारी कर देती हैं। बच्चों का खुद का इतना वजन नहीं होता है जितना उनकी पीठ पर लाद दिया जाता है। ऐसे में उनकी पीठ में दर्द और रीढ़ हड्डी में दिक्कत का खतरा बढ़ सकता है। अगर बच्चों को होमवर्क करने को न दिया जाए और उनके स्कूल बैग को स्कूल की ही अलमारी में रख दिया जाए तो बच्चों की पीठ पर लदने वाले वजन को कम किया जा सकता है।

जिन स्कूलों की प्राइमरी विंग को बैग के बगैर करना है वहां की क्लास के 5 विषयों को पढ़ाने के लिए 5 अलग-अलग टीचर्स की नियुक्ति को ध्यान में रखा जाएगा। दास का यह भी कहना है कि नन्हे-मुन्नों को कक्षा में ही कम्प्यूटर, खिलौने, ड्राइंग वर्क दिया जाए तो उनके हाथ की अंगुलियों का मोटर फंक्शन बैस्ट हो सकता है। जूनियर क्लास के बच्चों के फर्नीचर को भी ऐसा आकार दिया जा रहा है जिसमें सारे बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ाई कर सकेेंगे। 

2 किस्म का गणित भी पढ़ सकेंगे बच्चे 
एडिशनल चीफ सैक्रेटरी हरियाणा पी.के. दास ने कहा कि सैंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन के प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए हरियाणा के स्कूलों की उच्च शिक्षा के गणित विषय को भी 2 रूप दिए जाएंगे। गणित का एक विषय आसान रखा जाएगा जबकि दूसरा विषय सख्त पैटर्न पर होगा। जिन बच्चों को 10वीं कक्षा के बाद गणित की पढ़ाई नहीं करनी है और मैडीसिन व इकोनॉमिक्स की पढ़ाई करनी है वे बच्चे 9वीं कक्षा से गणित के आसान रूप को अपना सकते हैं जबकि जिन्हें गणित में आगे करियर बनाना है इंजीनियरिंग या कॉमर्स लेनी है वह गणित के दूसरे रूप की पढ़ाई कर सकता है।

बच्चों की उम्र को ध्यान में रखते हुए तय करें वजन 
केंद्रीय सरकार ने हाल ही में स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि बच्चों की उम्र को ध्यान में रखते हुए उनके बैग का वजन तय किया जाना चाहिए। सरकार की ओर से जारी हिदायतें कहती हैं कि पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क न दिया जाए। छोटे बच्चों को घर ले जाने के लिए किताबें न दी जाएं। तीसरी से 5वीं कक्षा तक के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 3 किलो से ज्यादा न हो और 10वीं कक्षा मे पढऩे वाले बच्चों के स्कूल बैग का वजन 5 किलोग्राम से ज्यादा न होने दिया जाए। सरकार की गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए हरियाणा का शिक्षा विभाग प्री-नर्सरी से लेकर तीसरी कक्षा तक के बच्चों को स्कूल बैग से मुक्ति देने जा रहा है। 


 

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