हरियाणा में बाल विवाह के मामले पंजाब के मुकाबले 6 गुना अधिक, हाईकोर्ट ने जताई चिंता

Edited By Manisha rana, Updated: 16 Dec, 2020 08:51 AM

child marriage cases in haryana 6 times more than in punjab high court

पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में बाल विवाह को लेकर सामने आए मामलों को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए पंजाब व हरियाणा सरकार तथा चंडीगढ़ प्रशासन से कोर्ट में विस्तृत जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन और पुलिस की...

चंडीगढ़ : पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में बाल विवाह को लेकर सामने आए मामलों को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब व हरियाणा सरकार तथा चंडीगढ़ प्रशासन से कोर्ट में विस्तृत जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन और पुलिस की सख्ती के बावजूद बाल विवाह के मामले क्यों नहीं थम रहे। कोर्ट को बताया गया कि इस साल 31 अक्तूबर तक पंजाब में जहां बाल विवाह के खिलाफ 17 शिकायत आईं, वहीं हरियाणा में 104 शिकायतें दर्ज हुई हैं।

बाल विवाह के एक मामले में सुनवाई के चलते हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद सरकारों ने जो रिपोर्ट भेजी, उसमें यह तथ्य उजागर हुए हैं। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के ब्यूरो ऑफ इन्वैस्टिगेशन के ए.आई.जी. सर्वजीत सिंह ने हाईकोर्ट में हल्फनामा दायर कर बताया कि इस साल 31 अक्तूबर तक राज्य में बाल विवाह की कुल 17 शिकायत आईं, जिसमें 16 एफ.आई.आर. दर्ज की गर्इं। इसके अलावा ब्यूरो ऑफ इन्वैस्टिगेशन निदेशक की तरफ से सभी पुलिस अधिकारियों व जिला पुलिस प्रमुखों को बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की पालना के बारे में दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

हरियाणा की ए.डी.जी.पी. क्राइम अंगेस्ट वूमैन कला रामचंद्रन ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य में इस साल अभी तक बाल-विवाह की 104 शिकायत आईं, जिनमें कुल 39 एफ.आई.आर. दर्ज की गईं। कोर्ट को बताया गया कि जिन शिकायतों में शादी नहीं हुई या उम्र शादी के योग्य पाई गई, उनमें मामला दर्ज नहीं किया गया। कोर्ट को बताया गया कि बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 को पुलिस अधिकारियों की ट्रेनिंग में शामिल किया गया है। चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि चंडीगढ़ में बाल विवाह का केवल एक मामला दर्ज किया गया है।

हाईकोर्ट के जस्टिस ए.के. त्यागी ने सभी जवाबों को रिकार्ड पर लेते हुए मामले की सुनवाई 21 दिसम्बर तक स्थगित कर दी। हाईकोर्ट में चल रहे मामले में एक प्रेमी जोड़े ने अपने वकील सुरमीत सिंह संधू के माध्यम से सुरक्षा की गुहार लगाई थी कि उन्हें एक साथ रहने दिया जाए। शादी के वक्त युवक 22 वर्ष का था और युवती 18 वर्ष से कम की थी। इस दौरान लड़की के परिजनों ने उसके नाबालिग होते हुए उसे अपने साथ ले जाने की मांग की थी। कोर्ट ने कम उम्र में लड़की की शादी हो जाने पर चिंता व्यक्त की थी। 

 

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