दवाइयों में पशुओं के अवशेषों के इस्तेमाल का मामला, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Mar, 2018 04:59 AM

case of use of animal residues in medicines high court responds

पशुओं के अवशेषों से बनने वाली दवाइयों, कॉस्मैटिक व खाने की  वस्तुओं में निर्माता पैकेज पर लाल निशान तो लगा देते हैं , लेकिन पैकिंग में यह नहीं बताया जाता कि वस्तु या पदार्थ में किस पशु का अवशेष है। इसकी जानकारी दर्ज करने की मांग पर गौवंश सेवा समिति...

चंडीगढ़ (धरणी): पशुओं के अवशेषों से बनने वाली दवाइयों, कॉस्मैटिक व खाने की  वस्तुओं में निर्माता पैकेज पर लाल निशान तो लगा देते हैं , लेकिन पैकिंग में यह नहीं बताया जाता कि वस्तु या पदार्थ में किस पशु का अवशेष है। इसकी जानकारी दर्ज करने की मांग पर गौवंश सेवा समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। 

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। गौवंश सेवा समिति की ओर से एडवोकेट वी.बी. अग्रवाल ने बताया कि देश में 60 प्रतिशत से अधिक लोग शाकाहारी हैं। जानकारी नहीं होने से सभी की धार्मिक भावनाओं की उपेक्षा हो रही है। 

याचिकाकर्ता संस्था ने बताया कि प्रत्येक उत्पाद पर उन सभी वस्तुओं की जानकारी दिया जाना अनिवार्य है, जिनसे उस उत्पाद को बनाया गया है।  याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि इन दवाइयों पर लाल रंग जरूर है लेकिन यह नहीं बताया कि इस दवाई में किस जानवर का क्या अवशेष है। जिसकी जानकारी दिया जाना बेहद ही जरूरी है।

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