दिल्ली बॉर्डर खोलने का मामला: बेनतीजा रही बैठक, किसान नेताओं ने मांगा समय

Edited By Shivam, Updated: 30 Oct, 2021 10:27 AM

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किसान आंदोलन के चलते पिछले लंबे समय से बंद टिकरी बॉर्डर खुलने का अभी और इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि किसान नेताओं ने इसके लिए समय मांगा है। इतना ही नहीं किसान नेताओं ने हरियाणा और दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारियों की बॉर्डर खोलने की कार्रवाई पर भी सवाल...

बहादुरगढ़ (प्रवीण धनखड़): किसान आंदोलन के चलते पिछले लंबे समय से बंद टिकरी बॉर्डर खुलने का अभी और इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि किसान नेताओं ने इसके लिए समय मांगा है। इतना ही नहीं किसान नेताओं ने हरियाणा और दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारियों की बॉर्डर खोलने की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि बॉर्डर खुलने से अगर वाहन की चपेट में आने से किसी किसान के साथ कोई बड़ा हादसा होता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। 

शुक्रवार को बॉर्डर खोलने को लेकर दिल्ली हरियाणा और किसान नेताओं के बीच 4 घंटे तक चली बैठक आखिर बेनतीजा रही। बॉर्डर खोलने को लेकर आज भी टिकरी बॉर्डर पर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ किसानों की एक बैठक होगी। हालांकि किसान पहले यह साफ कर चुके हैं कि बॉर्डर खोलने को लेकर फैसला संयुक्त किसान मोर्चा लेगा। किसानों ने 6 नवंबर को संयुक्त मोर्चे की एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में साफ हो सकेगा कि आखिर बॉर्डर किस तरीके से खोले जाएंगे। दिल्ली पुलिस द्वारा बॉर्डर खोलने की तैयारी लगातार जारी है लेकिन अब किसान संगठनों ने बॉर्डर खोलने को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। 

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किसान नेता बूटा सिंह का कहना है कि दिल्ली पुलिस राजधानी दिल्ली की एक तरफ की लेन खोलने जा रही है। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली से हरियाणा में एंट्री करने के लिए रास्ता खोला जा रहा है ना कि हरियाणा से दिल्ली में इंटर करने वालों के लिए, जबकि हरियाणा के प्रशासनिक अधिकारियों ने बैठक में दोनों तरफ का आवागमन शुरू करने की बात रखी, लेकिन किसानों ने बॉर्डर खोलने का समय निर्धारित करने और महज 5 फुट का रास्ता देने की बात कही है।

किसानों का कहना है कि वह सिर्फ 5 फुट का रास्ता खोलने के लिए राजी हैं। जहां से पैदल राहगीर साइकिल स्कूटर ऑटो और एंबुलेंस निकल सकती हैं। कमर्शियल वाहनों और कारों के आवागमन को लेकर संयुक्त मोर्चे से जुड़े टिकरी बॉर्डर के नेताओं ने साफ मना कर दिया है। किसान नेताओं का कहना है कि अगर यह रास्ता कारों के लिए भी आवागमन के लिए खोला जाता है, तो यहां सारा दिन जाम लगा रहेगा और जिस तरीके की घटना कल बहादुरगढ़ में हुई जिस हादसे में तीन बुजुर्ग किसान महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। अगर ऐसा हादसा दोबारा होता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।

किसान नेताओं और अधिकारियों की इस बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। बता दें कि बॉर्डर खोलने की यह सारी कवायद बहादुरगढ़ के उद्योगपतियों द्वारा दायर याचिका के चलते की जा रही है क्योंकि दिल्ली पुलिस को इस याचिका में पार्टी बनाया गया है और 15 नवंबर से पहले दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस को जवाब भी पेश करना है। जिसमेें पुलिस को यह बताना होगा कि आखिर देश की राजधानी दिल्ली की सीमाएं बंद क्यों है?  इसी के चलते दिल्ली पुलिस जल्द से जल्द इस टिकरी बॉर्डर के रास्ते को खोलने के लिए काम कर रही है। वहीं किसान है आंदोलन तेज करने की बात कह रहे हैं।
 

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