एक-दूसरे को झूठा व फरेबी बताने में जुटे उम्मीदवार

Edited By kamal, Updated: 26 Apr, 2019 11:02 AM

candidates told each other false

साइबर सिटी गुरुग्राम लोकसभा सीट पर सभी दलों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। सभी दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे को घेरने के लिए...

गुडग़ांव(गौरव): साइबर सिटी गुरुग्राम लोकसभा सीट पर सभी दलों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। सभी दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे को घेरने के लिए झूठा व फरेबी तक बताने लगे हैं। वैसे गुरुग्राम लोकसभा में कांग्रेस व भाजपा की कड़ी टक्कर मानी जा रही है। यहां यादव व मेव बाहुल्य क्षेत्र के वोटर्स ही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते हैं। भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह की बात करें तो लोकसभा में उनका अलग ही दबदबा रहा है लेकिन इस बार उनकी टक्कर कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव से है। जो लगातार 6 बार रेवाड़ी से विधायक रह चुके हैं।
 
जानकारों की मानें तो राव मतदाताओं को जोडऩे में कैप्टन अजय यादव भी पीछे नहीं हैं। वहीं आप व जजपा ने अपना उम्मीदवार महमूद खान को बनाया है,ताकि मेव व जाट वोटर्स को एकजुट करके वोटर्स में सेंध लगाई जा सके। वहीं इनैलो ने बिजनेसमैन विरेन्द्र राणा को उम्मीदवार बनाकर मजबूत दावेदारी करने का प्रयास किया। 

किसी जमाने में भाजपा के साथ काम करने वाली जनसंघ ने भी भाजपा केे खिलाफ होकर प्रवीन यादव एडवोट को मैदान में उतारा है। प्रवीन यादव भी क्षेत्रीय मुद्दों के दम पर राव मतदाताओं को एकजुट करने में जुटे हैं। बसपा के उम्मीदवार रईस खान भी पिछड़ों के मुद्दों पर भाजपा व कांग्रेस को घेरने में जुट गए हैं। अब देखना होगा कि जनता सबसे ज्यादा भरोसा किस पर करती है।
   
अब नेता गांवों में निकाल रहे रिश्तेदारियां
वोट बैंक मजबूत करने के लिए सभी उम्मीदवार अपने रिश्तेदारों की तलाश में जुट गए हैं। सभी विभिन्न गावों में रिश्तेदारियां भी बताकर राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुटे हैं। नेताओं के कुछ ऐसे रिश्तेदार भी हैं जो अपने रिश्ते का हवाला देकर लोगों को एकत्र कर रहे हैं। फिलहाल लड़ाई आसान नहीं है,क्योंकि मौजूदा स्थिति में अभी किसी भी पार्टी की लहर मजबूत नहीं दिख रही है। 

नाराज लोग नोटा का कर सकते हैं प्रयोग
जानकारों का कहना है कि इस बार के चुनाव में कई ऐसे उम्मीदवार होंगे जिनसे अधिक वोट नोटा पर जाने की संभावना है। जो लोग सरकार से नाराज हैं और दूसरे दलों के उम्मीदवारों को पसंद नहीं करते वे सीधे तौर पर नोटा पर वोट देकर अपना गुस्सा दिखा सकते हैं। 

मुद्दों पर बात नहीं कर रहे उम्मीदवार 
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सभी पार्टियों के नेताओं द्वारा वोटरों के बीच चुनाव के समय में वायदे तो किए जाते हैं, लेकिन चुनाव के तुरंत बाद नेताओं में आने वाले बदलाव से अब जनता परेशान है। यही कारण है कि अब नेता चुनाव में मुद्दों पर बात ही नहीं कर रहे। पूरा चुनाव जातिवाद पर लडऩे का प्रयास किया जा रहा है।    

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