हरियाणा में इनेलो का मान्यता प्राप्त राज्य दल के रूप में दर्जा चुनाव आयोग ले सकता है वापिस ?

Edited By Isha, Updated: 09 Jun, 2020 10:57 AM

can the election commission take back the status of inld

बीते वर्ष अक्टूबर,2019 में  हुए हरियाणा विधानसभा के 13 वे  आम चुनावो में  भाजपा को प्रदेश में कुल पड़े वैध वोटों के 36.49 %  वोट मिले  जबकि कांग्रेस पार्टी का  यह  वोट  प्रतिशत 28.08 % रहा

चंडीगढ़(धरणी);  बीते वर्ष अक्टूबर,2019 में  हुए हरियाणा विधानसभा के 13 वे  आम चुनावो में  भाजपा को प्रदेश में कुल पड़े वैध वोटों के 36.49 %  वोट मिले  जबकि कांग्रेस पार्टी का  यह  वोट  प्रतिशत 28.08 % रहा. जहाँ तक सीटों का विषय  है, तो  भाजपा को 40 और कांग्रेस को 31 सीटें मिली (हालांकि वर्तमान में कांग्रेस की सीटें 30 हैं चूँकि दो माह पहले  बड़ोदा  हलके से कांग्रेसी विधायक श्री कृष्ण हूडा का देहांत हो गया ). भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही प्रदेश की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन जहाँ भाजपा उम्मीदवारों की केवल 3  विधानसभा सीटों  पर ही ज़मानत जब्त हुई, वहीँ कांग्रेस के प्रत्याशियों ने 27 सीटों पर अपनी ज़मानत राशि गंवाई. दूसरी और उन  चुनावो में पहली  बार चुनाव लड़ने वाली जननायक जनता पार्टी ( जजपा) विधानसभा की कुल 90 में से 87 सीटों पर चुनाव लड़ा और 10 सीटें जीती जबकि 57  सीटों पर उसकी ज़मानत जब्त हो गयी थी। जजपा का वोट प्रतिशत 14 .84 % रहा जिसके फ़लस्वरूप  उसे भारतीय चुनाव आयोग द्वारा हरियाणा में मान्यता प्राप्त राज्ययी दल (स्टेट पार्टी ) का दर्जा प्रदान कर दिया गया।

बहरहाल जहाँ तक इंडियन नेशनल लोक दल ( इनेलो) पार्टी का विषय है तो उसे  गत वर्ष  हुए हरियाणा विधानसभा चुनावो में चुनावो में कुल पड़े वैध  वोटो के  मात्र 2.44 %  ही वोट मिले. इनेलो ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके  केवल इकलौते विधायक  अभय सिंह चौटाला  सिरसा ज़िले की ऐलनाबाद सीट से विजयी हुए जबकि 78 सीटों पर इनेलो की  ज़मानत जब्त हुई. इनेलो को पूरे प्रदेश में केवल तीन लाख 6 हज़ार 28 वोट ही मिले।

इससे पहले मई, 2019 में 17 वी लोक सभा के आम चुनावो में भी हरियाणा  में जहाँ भाजपा ने सभी 10 सीटों पर विजय प्राप्त की उसे प्रदेश  58.21 % प्रतिशत वोट मिले  जबकि कांग्रेस  ने  कोई सीट तो नहीं जीती परन्तु 28.51 % वोट हासिल किये।  जहाँ तक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी इनेलो का विषय है, तो उसने उन चुनावो में हरियाणा की सभी 10 सीटों पर चुनाव तो लड़ा लेकिन उसको केवल 1.9 % वोट ही मिले. उन चुनावो में जजपा ने आप पार्टी के साथ गठबंधन कर 10 में से 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4.9 %  वोट हासिल किये हालांकि उन चुनावो में जजपा मात्र एक रजिस्टर्ड पार्टी ही थी।

इस सबके बीच  पंजाब एवं हरियाणा  हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने गत दिनों भारतीय चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से उक्त सभी आंकड़ों एकत्रित कर उनका  अध्ययन करने और मौजूदा चुनावी कानून प्रावधानों का हवाला देते हुए बताया कि  चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन) आदेश, 1968 के  पैराग्राफ 6 ए के अनुसार ,जैसा की आज से 15 वर्ष पूर्व मई 2005 में डाला गया था, किसी भी राजनीतिक पार्टी को  मान्यता प्राप्त राज्ययी दल के रूप में दर्जा प्राप्त करने के लिए  प्रदेश के विधानसभा आम चुनावो में कम से कम 6 प्रतिशत वोट और   न्यूनतम  दो सीटें (अर्थात विधायक ) जीतना आवश्यक है  अथवा विधानसभा की कुल सीटों की संख्या में कम से कम  तीन प्रतिशत सीटें या तीन सीटें , जो भी अधिक हों , जितनी जरूरी होती हैं  एवं यह  आंकड़ा 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा के सम्बन्ध में आंकड़ा तीन  बनता  है. इनेलो इन दोनों निर्धारित पैमानों पर अक्टूबर, 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावो में असफल रही।

जहाँ तक लोक  सभा आम चुनावो में प्रदर्शन का विषय है , तो राज्ययी दल के लिए उनमें भी कम से कम 6 प्रतिशत वोट और न्यूनतम एक सीट ( सांसद) का जीतना आवश्यक है. हेमंत ने बताया की आज से नौ वर्ष पूर्व सितम्बर 2011 में इस पैराग्राफ में यह भी प्रावधान किया गया था की अगर किसी राजनीतिक दल को आम चुनावो में  कोई सीट नहीं भी मिलती है लेकिन उसके द्वारा चुनाव में उतारे गए सभी उम्मीदवारों को राज्य में कुल पड़े वैध वोटो के 8 प्रतिशत वोट भी मिल जाते हैं तो उसे मान्यता प्राप्त राज्ययी दल का दर्जा प्रदान कर दिया जाएगा. इनेलो मई, 2019  हरियाणा में 17 वी लोकसभा आम चुनावो में निर्धारित न्यूनतम वोट/सीटें हासिल नहीं कर पायी।

इस सबके दृष्टिगत क्या  इनेलो पार्टी से  मान्यता प्राप्त राज्ययी दल का दर्ज चुनाव आयोग द्वारा वापिस लिया जा सकता है , इस पर  हेमंत ने बताया की करीब चार वर्ष पहले अगस्त 2016 में चुनाव आयोग द्वारा उक्त 1968  आदेश में एक ने  उप-पारा 6  सी जोड़ दिया गया था जिसके अनुसार अगर किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को अगले एक आम चुनाव में न्यूनतम वोट/सीटें प्राप्त नहीं होती तो उसके मान्यता प्राप्त दर्जे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा परन्तु उसके और अगले आम चुनाव में उसकी ऐसे मान्यता उन  चुनावो में उसके प्रदर्शन पर अर्थात उसके द्वारा  न्यूनतम सीटें/वोट हासिल करने पर भी निर्भर होगी।

 अब चूँकि इनेलो के प्रदर्शन मई 2019 लोकसभा आम चुनावो में उपरोक्त निर्धारित पैमानों के अनुरूप नहीं रहा इसलिए पारा 6 सी के मुताबिक  उसकी मान्यता अगले आम चुनावो अर्थात अक्टूबर 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावो तक ही जारी रह सकती थी परन्तु क्योंकि इनेलो ने उन  चुनावो में भी निर्धारित सीटें/वोट हासिल नहीं किये इसलिए इसके बाद उसके मान्यता प्राप्त दर्जे पर गंभीर संकट मंडरा रहा है. हालांकि इस सम्बन्ध में भारतीय चुनाव आयोग ही उचित संज्ञान लेकर इनेलो पार्टी को नोटिस आदि जारी कर सकता है जैसे कि  आयोग द्वारा जुलाई, 2019 में तृणमूल कांग्रेस , राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई ) को जारी किया गया कि क्यों न मई 2019 लोकसभा चुनावो में उनके प्रदर्शन पर उनसे  राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापसी  ले लिया जाए. इस मामले की सुनवाई अभी लंबित है। हेमंत ने बताया  कि  इनेलो पार्टी को बीस वर्ष पूर्व फरवरी, 2000 में हुए  हरियाणा विधानसभा आम चुनावो  के बाद राज्य दल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी एवं चश्मे का चुनाव चिन्ह उसके लिए हरियाणा में आरक्षित किया गया था.

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