क्या भाजपा अदित्य चौटाला को उम्मीदवार के रूप में उतार सकती है ऐलनाबाद उपचुनाव में ?

Edited By Manisha rana, Updated: 22 Feb, 2021 11:48 AM

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बेशक चुनाव आयोग द्वारा ऐलनाबाद विधानसभा की खाली हुई सीट के लिए उपचुनाव करवाए जाने की तिथि की अभी घोषणा नही की है लेकिन विभिन पार्टियों के उमीदवारों ने भी अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव का...

ऐलनाबाद (सुरेन्द्र सरदाना) : बेशक चुनाव आयोग द्वारा ऐलनाबाद विधानसभा की खाली हुई सीट के लिए उपचुनाव करवाए जाने की तिथि की अभी घोषणा नही की है लेकिन विभिन पार्टियों के उमीदवारों ने भी अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव का शंखनाद कर दिया है । जहाँ कॉंग्रेस पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद से भरत सिंह बेनीवाल ने किसान आंदोलन के सहयोग करने के  नाम पर मीटिंगों का वोटरों के बीच आना शुरू कर दिया है वही ऐलनाबाद के पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला जिन्होंने केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के विरोध में 27 जनवरी को अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, ने भी तीन मार्च को किसानों को सहयोग करने के नाम पर ऐलनाबाद की अनाज़ मंडी में एक महा पंचायत आयोजन करने का निर्णय लिया है । बेशक इसे किसानों के लिए महापंचायत का नाम दिया गया है लेकिन वास्तव में यह एक चुनावी बिगुल है।

स्पष्ठ है कि इनैलो से अभय सिंह चौटाला ,कॉंग्रेस से भरत सिंह बेनीवाल इस चुनावी मैदान में अपनी ताल ठोक सकते है । ऐसे में अब एक बड़ी चुनोती सत्तारूढ़ दल बीजेपी के लिए यह है कि वह कौन सा सशक्त उमीदवार चुनावी दंगल में उतारे जो ऐलनाबाद के इनैलो के इतने पुराने वर्चस्व ओर मजबूत किले को ध्वस्त कर सके। बेशक ऐलनाबाद उपचुनाव की जीत हार से बीजेपी की सरकार को कोई फर्क नही पड़ता है चूंकि यह सीट पहले ही इनैलो के खाता की थी ,लेकिन इस सीट से होने वाली हार ओर जीत से बीजेपी की साख पर बहुत फर्क पड़ता है। अभय सिंह और भरत सिंह बेनीवाल जैसे दिग्गज नेता के सामने अपना सशक्त उमीदवार उतारना अपने आप मे भी एक बहुत बड़ी चुनोती है ओर विकल्प के रूप में बीजेपी के पास तीन उमीदवार विकल्प के रूप में है। पवन बेनीवाल ,आदित्य चौटाला व गोविंद कांडा।

अब सवाल यह उठता है कि इन तीनो में से बीजेपी किस का चुनाव करेगी और क्यो करेगी यह तो कयास मात्र ही है। कयासों की बात करे तो बेशक पवन बेनीवाल का निजी वोट बैंक कही अधिक है लेकिन दो बार ऐलनाबाद से चुनाव हारना उनकी टिकट कटने के एक बहुत बड़ा कारण बन सकता है । अगर आर्थिक रूप से मजबूती की बात करे तो बीजेपी गोविंद कांडा को भी टिकट दे सकती है। लेकिन बीजेपी यह भी मान कर चल सकती है कि ऐलनाबाद विधानसभा इनैलो का गढ़ नही बल्कि जननायक चौधरी देवी लाल का गढ़ है और उन्ही के नाम पर चौधरी भागी राम एक बार नही दो बार नही बल्कि पांच बार ऐलनाबाद से विधायक बने है।

बीजेपी द्वारा यह मानकर की यह सीट इनैलो का गढ़ न हो कर चौधरी देवी लाल के वंशजों की सीट है तो ऐसे में वह आदित्य चौटाला को भी ऐलनाबाद के होने वाले उपचुनाव में अपने उमीदवार के रूप में उतार सकती है जो कि इनैलो के किसी उमीदवार का कड़ा मुकाबला कर इस सीट पर अपनी विजय पताका फहरा सके। आदित्य चौटाला के नाम के प्रयास इस प्रकार से भी लगाए जा सकते है कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आदित्य चौटाला ने बिना मीडिया को पता लगे और बिना कोई कार्यक्रम किए, चुपके चुपके तरीके से ऐलनाबाद में वर्करों से अपना सम्पर्क साधना शुरू कर दिया है। क्या ऐलनाबाद से बीजेपी आदित्य चौटाला को उमीदवार के रूप में उतारेगी या किसी अन्य को या फिर यह सीट अपनी गठबंधन वाली सीट जजपा के खेमे में डालेगी यह कह पाना अभी बड़ा मुश्किल काम है लेकिन इतना जरूर है बीजेपी के लिए ऐलनाबाद का उपचुनाव अपनी साख को बनाए रखने के लिए किसी परीक्षा की घड़ी से कम नहीं होगा।

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