आंखों की रोशनी जाने पर भी नहीं खोया हौंसला, हरियाणा के बेटे ने भारत को जिताया वर्ल्ड कप

Edited By Punjab Kesari, Updated: 13 Jan, 2018 12:42 PM

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हरियाणा की धरती से बहुत से युवा अौर लड़कियां हर क्षेत्र में अपने प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। वहीं हरियाणा के ही रहने वाले दीपक मलिक ने अपने साहस, संघर्ष और हौसले से क्रिकेट की दुनिया में कदम रख अपने सपने को साकार किया। गत दिवस हुए ब्लाइंड क्रिकेट...

सोनीपत(ब्यूरो): हरियाणा की धरती से बहुत से युवा अौर लड़कियां हर क्षेत्र में अपने प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। वहीं हरियाणा के ही रहने वाले दीपक मलिक ने अपने साहस, संघर्ष और हौसले से क्रिकेट की दुनिया में कदम रख अपने सपने को साकार किया। गत दिवस हुए ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप में दीपक के नाबाद 179 रनों की पारी की बदौलत भारत ने पहली जीत हासिल की। भारत ने श्रीलंका की टीम को 6 विकेट से हराया अौर दीपक मलिक मैन अॉफ द मैच रहे। इतना ही नहीं दीपक के हौंसले अौर सफलता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सम्मानित भी किया था। 
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दिवाली के दिन खोई थी आंखों की रोशनी
दीपक हरियाणा के भैंसवाल गांव के रहने वाले हैं। दीपक का बचपन से ही सचिन  तेंदुलकर जैसा बनने की चाह थी। 2004 में दिवाली के दिन एक हादसे में दीपक की आंखों की रोशनी चली गई। उस समय उनकी उम्र महज 8 साल की थी। उन्होंने हार न मानते हुए साहस, अौर हौंसले से अपने सपने का साकार किया। 

सिर्फ 6 मीटर तक ही देख पाते हैं दीपक
दीपक ने अपनी आंखों का इलाज करवाया। जिसके बाद भी उनकी पूरी तरह आंखे ठीक नहीं हुई लेकिन डॉक्टर ने कहा कि वे सिर्फ 6 मीटर तक ही देख सकते हैं। 
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कमजोरी को बनाया ताकत
दीपक ने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया अौर दिल्ली के इंस्टीट्यूशन ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाई की अौर क्रिकेट खेलने लगे। उन्होंने अपनी प्रैक्टिस जारी रखी अौर एक दिन स्कूल लेवल क्रिकेट से स्टेट लेवल क्रिकेट तक में खुद की एक पहचान बनाई।

भारतीय टीम के लिए जीते कई खिताब
दीपक ने ब्लाइंड क्रिकेट में खेना शुरू किया अौर भारतीय टीम को वर्ल्ड कप चैंपियन और एशिया कप जैसे खिताब दिलवाए। दीपक मलिक नेत्रहीन क्रिकेट में बी -3 कैटेगरी के क्रिकेटर हैं। दीपक ने बताया कि देश के लिए खेलना हमेशा गौरवशाली होता है। मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी प्रतिभा के साथ न्याय करने में सफल रहूंगा।
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3 भागों में होता है टीम के खिलाड़ियों का चयन
ब्लाइंड क्रिकेट टीम में खिलाड़ियों का चयन तीन भागों में किया जाता है। पहले भाग में बी-1, जिसमें वे 4 खिलाड़ी आते हैं जो पूरी तरह से दृष्टिहीन होते हैं। दूसरे भाग बी-2, जिसमें ऐसे 3 खिलाड़ी आते हैं जो 3 मीटर तक ही देख पाते हैं। तीसरा भाग बी-3, जिसमें 4 खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिन्हें 6 मीटर तक दिखाई देता है। 
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पाकिस्तान के खिलाफ खेली थी शानदार पारी
2013 में दीपक का राष्ट्रीय टीम के लिए चयन हुआ था। जिसमें उन्होंने सबसे तेज हाफ सेन्चुरी सहित कई रिकॉर्ड कायम किए थे। वहीं, 2014 वर्ल्ड कप के दौरान श्रीलंका के खिलाफ केपटाउन में 17 गेंदों में 50 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली थी। इतना ही नहीं उन्होंने 2016 में एशिया कप के फाइनल में टीम इंडिया की तरफ से खेलकर पाकिस्तान को हराया अौर इस मुकाबले में शानदार जीत हासिल की। 
 

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