किसान आंदोलन की भरपाई कोरोना संकट से करने की जुगत में जजपा की राह पर भाजपा

Edited By Shivam, Updated: 14 May, 2021 11:36 PM

bjp on the path of jjp to compensate

किसान आंदोलन के कारण केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार को काफी नुकसान हुआ है, हालात यह है कि किसानों के विरोध-प्रदर्शन के चलते मंत्री सार्वजनिक जगह कोई कार्यक्रम तक करने से हिचक रहे हैं। शायद यही कारण रहा कि कोरोना से निपटने के लिए सीएम...

रेवाड़ी/महेंद्रगढ़ (योगेंद्र सिंह): किसान आंदोलन के कारण केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार को काफी नुकसान हुआ है, हालात यह है कि किसानों के विरोध-प्रदर्शन के चलते मंत्री सार्वजनिक जगह कोई कार्यक्रम तक करने से हिचक रहे हैं। शायद यही कारण रहा कि कोरोना से निपटने के लिए सीएम मनोहरलाल खट्टर ने मंत्रियों को फील्ड में उतारा लेकिन किसानों के आक्रोश को देखते हुए मंत्री घर से बाहर ही निकलने को तैयार नहीं हुए और यह फार्मूला फेल हो गया। 

अब भाजपा ने किसान आंदोलन से पार्टी की साख को जो नुकसान पहुंचा उसकी भरपाई वह कोरोना संक्रमितों की मदद कर करना चाहती है। इसी के चलते इस बार फील्ड में लोगों के बीच जाने की जिम्मेदारी संगठन के नेताओं को सौंपी गई है। हालांकि जे.जे.पी. पहले ही अपने कार्यकर्ताओं की फौज मैदान में उतार चुकी है। भाजपा का यह पैंतरा कितना काम आएगा और वह लोगों तक कितनी पकड़ बनाकर अपनी छवि बना पाएगी इसका पता तो आगामी नगर निकाय, पंचायत चुनाव के समय ही पता चल पाएगा।



प्रदेश में किसानों का आंदोलन सतत जारी है और उनके निशाने पर भाजपा पार्टी एवं उनके नेता हैं। इसी के चलते भाजपा सार्वजनिक कार्यक्रम तक नहीं कर पा रही है। संविधान निर्माता,  भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उसने प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई और इसके लिए मंत्रियों को जिलेवार जिम्मेदारी भी दी। किसानों ने जब इन कार्यक्रम का विरोध कर इसकी हवा निकाली तो सरकार को यह प्रोग्राम रद्द करने का निर्णय लेना पड़ा। इस आंदोलन से केंद्र व प्रदेश सरकार की छवि को काफी नुकसान पहुंच रहा है। 

संभवत : इसी के चलते कोरोना के इस संकट में भाजपा डोर टू डोर जाकर लोगों से संवाद कर अपनी छवि बनाने की दिशा में काम कर रही है। हालांकि इसी सोच के साथ पहले मंत्रियों को जिलेवार जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन किसानों के विरोध के चलते मंत्री फील्ड में जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए। इसी के चलते अब यह जिम्मेदारी संगठन ने उठाने का निर्णय लिया है। कोविड प्रबंधन की ओट में संगठन लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने की दिशा में काम कर रहा है। 

संभवत : इसी के चलते संगठन के नेताओं को जिलेवार जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनको सरकार एवं लोगों के बीच बेहतर तालमेल बनाने की जिम्मेदारी है जो इतनी आसान भी नहीं है। कोरोना संक्रमित एवं उनके परिजनों के बीच संगठन के नेता जाकर उनकी मदद करने के बहाने उनके मन में सरकार के प्रति जो भी नाराजगी है, उसे दूर करने का प्रयास करेंगे। 

पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का यह पैंतरा कितना काम करेगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन इससे संगठन अवश्य मजबूत होगा। इसी प्रकार का कदम जे.जे.पी. पहले उठाकर जिले वाइज अपने कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारकर उनके नाम-मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर चुकी है। हालांकि यह अलग बात है कि यह खानापूर्ति से अधिक कुछ साबित नहीं हो रहा।

सीएम अकेले मोर्चा संभाले हुए
कोरोना से निपटने के लिए सीएम मनोहरलाल खट्टर ने पूरी मंत्रीमंडल को मैदान में उतारा लेकिन यह लोगों की नाराजगी के चलते अपने घरों से बाहर ही नहीं निकल पाए। फोन पर अधिकारियों से बातचीत कर कर्तव्य की इतिश्री की। हालांकि प्रेसनोट जारी कर खुद की पीठ थपथपाने में मंत्रियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। दूसरी ओर अकेले सीएम लगातार अधिकारियों की मीटिंग, दिशा-निर्देश, प्रदेश का भ्रमण एवं वीसी के जरिए संगठन से लेकर अधिकारी, मीडिया सभी से संपर्क बनाकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं।



कांग्रेस-इनैलो भी प्रेसनोट के भरोसे
भाजपा मंत्री किसानों के विरोध के चलते घरों में दुबके नजर आ रहे हैं, तो कांग्रेसी नेता भी प्रेसनोट के माध्यम से ही अपनी वाहीवाही लूटने में लगे हैं। प्रेसनोट या सोशल मीडिया के माध्यम से वह भाजपा की टांग खींचने का कोइ्र मौका नहीं गंवा रहे लेकिन लोगों के बीच जाने में वह भी हिचक रहे हैं। इनैलो की भी स्थिति कुछ इसी प्रकार से है। हालांकि यह सभी जानते हैं कि इनैलो का अब प्रदेश में कोई अधिक वजूद नहीं है। दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो प्रदेश के सभी कांग्रेसियों पर अकेले सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। वह कोरोना संक्रमितों की अपनी टीम के जरिए लगातार मदद पहुंचाकर सहानुभूति लेने में सबसे अव्वल बने हुए हैं।

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