भाजपा विधायकों को सी.एम. का नया ‘ऑफर’!

Edited By Isha, Updated: 21 Nov, 2019 10:39 AM

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हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में मंत्री पद से महरूम रहे वरिष्ठ भाजपा विधायकों को अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मजबूती से काम करने का मंत्र दिया है

चंडीगढ़ (बंसल/पांडेय): हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में मंत्री पद से महरूम रहे वरिष्ठ भाजपा विधायकों को अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मजबूती से काम करने का मंत्र दिया है। इस बाबत मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री ने भाजपा के करीब 9 विधायकों के साथ गुप्त मंत्रणा की। बैठक में दूसरी बार चुनाव जीतने वाले भाजपा विधायक मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने इन सभी विधायकों को मजबूती से काम करने तथा मंत्रियों के साथ सामंजस्य बनाने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने इन विधायकों को यह भी भरोसा दिलाया कि वह भले ही मंत्री नहीं बने हों पर हर स्तर पर उनका सम्मान किया जाएगा। इस चर्चा में ज्यादातर विधायकों ने अपना दर्द सांझा किया और भविष्य की रणनीति के बारे में चर्चा की।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बुलाभाजपा विधायकों को सी.एम. का नया ‘ऑफर’! वे पर मंगलवार देर शाम भाजपा के करीब 9 विधायक मुख्यमंत्री निवास पहुंचे थे। इन विधायकों में थानेसर से सुभाष सुधा,अम्बाला शहर से असीम गोयल,घरौंडा से हरविंद्र कल्याण, भिवानी से घनश्याम सर्राफ,बडख़ल से सीमा त्रिखा,पानीपत ग्रामीण से महीपाल ढांडा, हिसार से डा.कमल गुप्ता,बवानीखेड़ा से विशम्भर वाल्मीकि व यमुनानगर से घनश्याम अरोड़ा शामिल थे। 
इन विधायकों में से कइयों का नाम मंत्रिमंडल विस्तार के समय चर्चाओं में था जिसमें कमल गुप्ता, महीपाल ढांडा,सुभाष सुधा और विशम्भर वाल्मीकि का नाम मंत्री के लिए तय माना जा रहा था लेकिन गठबंधन सरकार में सामंजस्य नहीं बनने से इन विधायकों को मंत्री पद नसीब नहीं हो सका। लिहाजा, अब मुख्यमंत्री ने इन विधायकों के दर्द को दूर करने का भरोसा दिया है।

हारे हुए मंत्री जीते हुए पर पड़ रहे हैं भारी
विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई दिग्गज भले ही चुनाव हार गए और भाजपा को दूसरे दल व निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी लेकिन हारे हुए दिग्गजों को भाजपा की दोबारा सरकार बनना खूब रास आ रहा है। राजनीतिक गलियारों की चर्चाओं को मानें तो हारे हुए दिग्गज इस प्रयास में हैं कि सरकार या संगठन में कोई बड़ा पद मिल जाए,ताकि उनका जलवा बरकरार रह सके। 
चर्चाओं की मानें तो जजपा में कई विधायक ऐसे हैं, जो गठबंधन सरकार बनने पर मंत्री बनने का सपना देख रहे थे और उन्हें जजपा के वरिष्ठ नेताओं ने यह विश्वास भी दिलाया था कि उनका मंत्री बनना लगभग तय है लेकिन हारे हुए प्रत्याशियों की जुगलबंदी के आगे इनका सपना फेल हो गया। कहा जाता है कि एक हारे हुए मंत्री ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से गुहार लगाई कि अगर उनके क्षेत्र का विधायक मंत्री बन गया तो उनकी राजनीति हाशिए पर पहुंच जाएगी। अब कहा जा रहा है कि हारे हुए मंत्रियों में कोई राज्यसभा जाने के प्रयास तो कोई प्रदेशाध्यक्ष के लिए लॉङ्क्षबग कर रहा है। कुछ बोर्ड-कार्पाेरेशनों में हारे हुए प्रत्याशियों को नियुक्त किया जा सकता है।

भाजपा की बैठकों को लेकर वायरल हो रही यह बातें
इन दिनों भाजपा द्वारा हार के कारणों के लिए आयोजित समीक्षा बैठकों को पार्टी कार्यकत्र्ता घाव पर नमक छिड़कने वाली कार्रवाई की संज्ञा दे रहे हैं, क्योंकि जिनके (मंत्रियों) अहंकार से ही चुनाव में भाजपा की ये दुर्गति हुई है अब वही कार्यकत्र्ताओं से हार का कारण पूछ रहे हैं। जब इन्हीं मंत्रियों से ही कार्यकत्र्ताओं व जनता की नाराजगी थी तो भला अब इन्हीं के सामने क्या कार्यकत्र्ता अपने मन की बात रख सकता है। इस तरह इन बैठकों पर भी प्रश्नचिन्ह लगना शुरू हो गया है। इतना ही नहीं, हार का सारा ठीकरा पूर्व मंत्रियों ने मुख्यमंत्री पर ही फोड़ा था। इन्होंने सी.एम. द्वारा आशीर्वाद यात्रा, नए लोगों की पार्टी में एंट्री,पंजाबियों द्वारा वोट न देना (सोनीपत, रेवाड़ी, रोहतक सहित शहरों में हार), सी.एम. व सी.एम.ओ. द्वारा मंत्रियों की अनदेखी करना आदि है। सोशल मीडिया पर चल रही इन चर्चाओं से भी कार्यकत्र्ता बेहद आहत हैं कि चुनाव भी यही लोग लड़ेंगे, हारने के बाद कोर गु्रप में हार के कारणों की समीक्षा भी यही लोग करेंगे,कार्यकत्र्ताओं की समीक्षा बैठकें भी यही लेंगे और तो और अब फिर से भावी संगठन व सरकार (राज्यसभा सहित) में नियुक्ति भी इन्हीं लोगों की होगी।

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