व्यक्ति विशेष पर निर्भरता नहीं चाहती भाजपा, जड़ें मजबूत करने के लिए दक्षिण हरियाणा को अधिक तवज्जो

Edited By Shivam, Updated: 17 May, 2021 01:09 AM

bjp does not want to depend on individual

जिस प्रकार देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी का रास्ता यूपी से होकर जाता है वैसे ही हरियाणा की राजनीति में दक्षिण हरियाणा का अपना विशेष स्थान है। सालों से प्रदेश की राजनीति में दक्षिण हरियाणा में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह एवं उनके पहले उनके पिता...

रेवाड़ी/महेंद्रगढ़ (योगेंद्र सिंह): जिस प्रकार देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी का रास्ता यूपी से होकर जाता है वैसे ही हरियाणा की राजनीति में दक्षिण हरियाणा का अपना विशेष स्थान है। सालों से प्रदेश की राजनीति में दक्षिण हरियाणा में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह एवं उनके पहले उनके पिता पूर्व सीएम स्व. वीरेंद्र सिंह का वजूद है। कांग्रेस हो या फिर भाजपा दोनों ही पार्टी दक्षिण हरियाणा के विकास को लेकर कभी गंभीर नहीं रहीं लेकिन सरकार में यहां के  विधायकों की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है।

सांसद राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस में थे तब भी इसी एरिये के जरिए वह तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर हमला करने से नहीं चूकते थे और अब भाजपपा में समय-समय पर वह सार्वजनिक मंच पर सरकार की खिंचाई करने में जरा भी नहीं हिचकते हैं। हालांकि दक्षिण हरियाणा के साथ भेदभाव को लेकर सांसद हमेशा मुखिर रहते हैं। संभवत : यही कारण हैं कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में व्यक्ति विशेष या सांसद राव इंद्रजीत सिंह पर निर्भर रहना नहीं चाहती है। इसी के चलते प्रदेशस्तरीय पदाधिकारियों की नियुक्ति में पार्टी दक्षिण हरियाणा को अधिक तवज्जो दे रही है। वहीं इसमें सांसद के करीबियों की संख्या नाममात्र ही है।

पिछले चुनाव में भी टिकट को लेकर भाजपा पर उनके सांसदों ने जमकर दबाव बनाने का प्रयास करते हुए अपने करीबियों, रिश्तेदारों को टिकट दिलाने का भरसक प्रयास किया था। यह अलग बात है कि पार्टी के आगे उनका कोई दबाव काम नहीं आया। इसी के चलते कई सांसद आज भी पार्टी से नाराज हैं लेकिन खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए इन सांसदों की भा.ज.पा. में उतनी नहीं चल रही जितनी कांग्रेस के समय इनकी तूती बोलती थी।

भाजपा भी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाकर उसी के अनुसार अपने कदम आगे बढ़ा रही है। संभवत : यही कारण है कि दक्षिण हरियाणा में पार्टी व्यक्ति विशेष पर निर्भर नहीं रहना चाहती है। इसी के चलते जब विधानसभा चुनाव में अभी समय है, तो उसने अपनी जड़ें दक्षिण हरियाणा में जमाने की दिशाा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके संकेत प्रदेशाध्यक्ष द्वारा जिस प्रकार कार्यकारिणी का गठन और भााजपा नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रहीं उसको देखकर साफ पता चलता है। इन लिस्टों में सांसद के करीबियों को साइड लाइन कर रखा है। हालांकि दिखाए के लिए कुछ उनके करीबियों को जगह अवश्य दी गई है लेकिन जितना महत्व दिया जाना था वह नहीं दिया गया।

हालांकि इसको लेकर अभी तक खुलकर कहीं से असंतोष तो प्रकट नहीं हुआ लेकिन यह तय है कि अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा दक्षिण हरियाणा में अपनी पैठ जमाने में लगी है और कोरोना के समय वह नवनियुक्त पदाधिकारियों के जरिए सीधे लोगों से संपर्क कर नजदीकी बनाने में जुट भी गई है। जबकि सांसद व मंत्री अभी तक फील्ड में ही नजर नहीं आ रहे हैं। पार्टी की रणनीति है कि भले ही पंचायत व निकाय चुनाव के परिणाम कुछ भी हों लेकिन विधानसभा चुनाव में वह व्यक्ति विशेष के इशारे पर नहीं नाचेगी और उसके नवनियुक्त पदाधिकारी जब तक लोगों तक पहुंचकर अपनी पैठ जमा चुके होंगे।

कांग्रेस के समय की स्थिति दोबारा निर्मित होने के आसार
राजनीतिक जानकारों की माने तो कई सांसद भाजपा पार्टी से अंदरखाने संतुष्ट नहीं हैं और नाराज नजर आ रहे हैं। शायद यही कारण हैं कि इस विपदा के समय भी वह मैदान में नजर नहीं आ रहे ना ही लोगों से सीधा संपर्क रख रहे हैं।  कांग्रेस के समय भी सांसद नाराज थे और अलग पार्टी बनाने का दावा किया और एक संगठन बनाकर इस दिशा में अपने कदम भी बढ़ाए थे, हालांकि ना तो पार्टी बनाई ना ही निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदे। उस समय भाजपा में शामिल हो गए। अब एक बार फिर कुछ उसी प्रकार की कहानी दोहराने के संकेत अवश्य मिल रहे हैं। कारण संगठन के कुछ पदाधिकारी लंबे समय बाद फिर से सक्रिय होते नजर आने लगे हैं।

भाजपा का एक तीर और दो निशानें
किसान आंदोलन से भाजपा को खासा नुकसान पहुंचा है। दक्षिण हरियाणा में पार्टी अपने बलबूते अधिक मजबूत नहीं है और व्यक्ति विशेष पर निर्भर है। इसी के चलते अब पार्टी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। व्यक्ति विशेष के बजाए उसने दक्षिण हरियाणा में अपनी नई टीम मैदान में उतार दी है ताकि विधानसभा चुनाव तक वह लोगों से जीवंत संपर्क बना सके। दूसरी ओर किसान आंदोलन से जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई वह कोरोना के इस विपदा में लोगों से सीधे जुडकऱ उनकी मदद कर सहानुभूति हासिल कर लें। इस रणनति का फायदा अभी नहीं लेकिन भविष्य में भा.ज.पा. को अवश्य मिलेगा।

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