बड़ा सवाल: इस्तीफा देने और जेब में लेकर घूमने वाले चौटाला बंधुओं में कौन सही-कौन गलत?

Edited By Shivam, Updated: 14 Feb, 2021 09:03 PM

big question who among chautala brothers right and wrong

26 जनवरी तक केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े ऐलनाबाद के पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला ने 27 जनवरी को अपने पद पर बने रहने के लिए अपने आप को अयोग्य समझते हुए हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चन्द गुप्ता को विधायक पद से...

ऐलनाबाद (सुरेन्द्र सरदाना): 26 जनवरी तक केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े ऐलनाबाद के पूर्व विधायक अभय सिंह चौटाला ने 27 जनवरी को अपने पद पर बने रहने के लिए अपने आप को अयोग्य समझते हुए हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चन्द गुप्ता को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा ओम प्रकाश ने अभय के इस्तीफे की सिरसा सराहना की है, कहा कि अभय सिंह चौटाला द्वारा अपने पद से इस्तीफा देना उनका यह पहला निर्णय नहीं है, बल्कि त्याग तो हमारे खून में है। 



वहीं दूसरी तरफ दुष्यंत चौटाला व अजय सिंह चौटाला भी जननायक चौधरी देवी लाल के वंशज हैं और उन्हीं के नाम पर ही अपनी राजनीति कर रहे हैं, लेकिन उनकी सोच अभय सिंह चौटाला की सोच के बिल्कुल विरोधाभासी है। चूंकि जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सरंक्षक चौधरी अजय सिंह चौटाला ने किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा का साथ छोड़ दुष्यंत द्वाराइस्तीफा देने की बात पर यह बयान दिया कि अगर दुष्यंत के इस्तीफे से केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों पर कोई फर्क पड़ता है तो वह इस्तीफा उनकी जेब में है और वह कभी भी देने को तैयार हैं।



अब सवाल यह उठता है कि यह पैमाना कैसे और कौन तय करे कि दुष्यंत के इस्तीफे से कोई फर्क पड़ेगा या नहीं? इस का पता तो इस्तीफा देने से ही पता चल सकता है। स्पष्ट है कि दुष्यंत चौटाला सत्तासुख से दूर होना नहीं चाहते, इसलिए अजय सिंह चौटाला द्वारा यह कहा जा रहा है कि इस्तीफा उनकी जेब में है। सवाल यह भी उठता है कि जब दुष्यंत के इस्तीफे से तीन कृषि कानूनों को फर्क ही नहीं पड़ता तो फिर ऐसा इस्तीफा जेब में ही क्यों है? 



आमजन को यह स्पष्ट क्यों नहीं किया जाता कि कुछ भी हो यह कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं और दुष्यंत चौटाला कदापि अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। अगर अजय सिंह चौटाला द्वारा ऐसा बयान जारी कर दिया जाता है तो लोगों की दुष्यंत चौटाला से इस्तीफे की मांग पर पूर्ण विराम लग सकता है। 

अलबत्ता कुछ भी हो, जननायक व किसानों के मसीहा चौधरी देवी लाल की नीतियों का अनुसरण कर उनके नाम पर राजनीति करने वाले अजय चौटाला व अभय चौटाला दोनों की सोच में तीन कृषि कानूनों की सोच में विरोधाभास जरूर है। जहां अभय सिंह चौटाला इन तीन कृषि कानूनों को किसान विरोधी मान रहे हैं और विरोधस्वरूप अपने विधायक पद से इस्तीफा भी दे दिया है।



दूसरी तरफ अजय सिंह चौटाला सत्तालोलुपता के चलते इन तीन कृषि कानूनों को किसान हितैषी बताते हुए, किसानों को सलाह भी दे रहे हैं कि देश के प्रधानमंत्री स्वयं लोकसभा में कृषि कानूनों के बारे स्पष्ट कर चुके हैं। इसलिए किसानों को जिद्द छोडऩी चाहिए। 

इस प्रकार यह अभय सिंह चौटाला व अजय सिंह चौटाला दोनों की विरोधाभासी बात से यह असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर अभय सिंह चौटाला का इस्तीफा देना सही या फिर अजय सिंह चौटाला द्वारा दुष्यंत का चौटाला अपनी जेब में रखना सही है।

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