Edited By Shivam, Updated: 28 Nov, 2019 02:45 AM
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा के विभिन्न सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई है। मंगलवार को कैग की 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी गई। इसमें अनेक अनियमितताओं को उजागर...
चंडीगढ़ (धरणी): भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा के विभिन्न सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई है। मंगलवार को कैग की 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी गई। इसमें अनेक अनियमितताओं को उजागर किया गया है। सरकारी खर्च बढ़ा है, आमदनी कम हुई है और खनन माफिया व ठेकेदार पूरी तरह से बेलगाम हैं। सरकारी विभागों के लापरवाही बरतने से सरकारी खजाने को राजस्व में बड़ी चपत लगी है।
हरियाणा में नियमों के विरुद्ध खनन को कैग ने उजागर किया है, साथ ही ये भी बताया है कि कई जगह खनन माफिया ने नदी का बहाव तक बदल दिया है। खनन विभाग की लापरवाही के कारण सरकार को 1476 करोड़ रुपये की चपत लगी है। कैग ने खनन के लिए आवंटित स्थलों का निरीक्षण भी किया है। जिसमें पाया गया कि आवंटित स्थानों के बजाए माफिया ने दूसरी जगह खनन किया। ठेकेदारों के प्रति विभागों का रवैया ढुलमुल रहा है।
खनन विभाग ने खदान और खनिज विकास एवं पुनर्वास निधि में 49 करोड़ 30 लाख रुपये नहीं जमा करवाने वाले 48 ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। टेंडर राशि जमा नहीं करवाने वाले 84 में से 69 ठेकेदारों के खिलाफ भी कोई कदम नहीं उठाया गया। इन ठेकेदारों पर बकाया 347 करोड़ रुपये नहीं वसूले गए।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य का कुल व्यय 2013-14 से 2017-18 की अवधि के दौरान 89 प्रतिशत बढ़कर 46598 करोड़ से बढ़कर 88190 करोड़ हो गया। राजस्व व्यय में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 41887 करोड़ से बढ़कर 73257 करोड़ पहुंच गया। कुल व्यय में राजस्व व्यय का भाग 75 से 91 प्रतिशत था, जबकि पूंजीगत व्यय सात से 15 प्रतिशत।
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार वर्ष 2013 से राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त करने में विफल रही। इससे अगस्त 2013 से प्राप्त हुई 681 शिकायतों का निपटान नहीं हो पाया। कृषि पंपसेट मीटर वाले उपभोक्ताओं से न्यूनतम मासिक प्रभारों एवं नियत प्रभारों की कम वसूली हुई। मीटर किराए के कम प्रभारण के कारण निगमों को 15 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। मार्च-2018 तक बिजली कंपनियों ने एचईआसी के निर्धारित संग्रहण दक्षता के लक्ष्य को हासिल नहीं किया था। मार्च-2014 में यह बकाया 4460 करोड़ 18 लाख रुपये था, जो अब मार्च-2018 में बढ़कर 7332 करोड़ 70 लाख पहुंच चुका है।