Edited By Deepak Paul, Updated: 21 Jan, 2019 10:46 AM
जींद की धरती पर लड़ी जा रही उपचुनाव की सियासी जंग में इस समय तमाम राजनीतिक दल जींद के लोगों से जीत का आशीर्वाद लेने के लिए डेरा डाले हुए हैं। 2019 की जीत के प्रसाद के लिए तमाम...
जींद (जसमेर मलिक): जींद की धरती पर लड़ी जा रही उपचुनाव की सियासी जंग में इस समय तमाम राजनीतिक दल जींद के लोगों से जीत का आशीर्वाद लेने के लिए डेरा डाले हुए हैं। 2019 की जीत के प्रसाद के लिए तमाम प्रमुख दल और उनके उम्मीदवार जींद की जनता के सामने नत-मस्तक हो रहे हैं। इससे पहले जब पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ था तो उस युद्ध में अपनी जीत के लिए पांडवों ने भी जींद की धरती से ही आशीर्वाद लिया था।
वही पुरानी बात अब जींद में एक बार फिर दोहराई जा रही है। प्रदेश के मध्य में स्थित जींद महाभारत काल से बहुत गहरे से जुड़ा है। पांडवों और कौरवों के बीच कुरुक्षेत्र में लड़ी गई महाभारत से पहले पांडव जींद आए थे। उन्होंने जींद के जयंती देवी मंदिर में अपनी जीत के लिए लंबी आराधना की थी। जींद शहर का नाम ही जयंती देवी के नाम पर पड़ा है। पहले इसका नाम जयंत पुरी था।
जयंत पुरी जयंती देवी से ही निकला था और बाद में यह जयंतपुरी से जींद हो गया। शहर में हांसी ब्रांच नहर के पास स्थित जयंती देवी मंदिर महाभारत काल से जुड़ा है। इस समय जींद में 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की पटकथा उपचुनाव के जरिए लिखी जा रही है और 2019 की इस जंग में अपनी-अपनी जीत के लिए तमाम प्रमुख राजनीतिक दल व उनके उम्मीदवार रात-दिन एक किए हुए हैं। जींद की इस चुनावी समर में उतरे तमाम उम्मीदवारों ने जींद के जयंती देवी मंदिर के सामने से गुजरते हुए यहां सिर सम्मान में झुकाया है।