सोनीपत के छोरे का टोक्यो में धमाल: अटैक को बनाया हथियार, योगी व सुशील के मैच गौर से देखता था रवि

Edited By Isha, Updated: 05 Aug, 2021 10:35 AM

attack was made a weapon ravi used to watch yogi and sushil s match carefully

टोक्यो में कुश्ती के लाजवाब दांव दिखाकर प्रतिद्वंद्वियों को चारों खाने चित्त करने वाले सोनीपत के छोटे से गांव नाहरी के बेटे रवि दहिया ने सबको हैरान कर दिया। रवि ने बुधवार को हुए लगातार 3 मैचों में जीतते हुए पहले क्वार्टर फाइनल, फिर सेमीफाइनल और अंत...

सोनीपत (संजीव दीक्षित): टोक्यो में कुश्ती के लाजवाब दांव दिखाकर प्रतिद्वंद्वियों को चारों खाने चित्त करने वाले सोनीपत के छोटे से गांव नाहरी के बेटे रवि दहिया ने सबको हैरान कर दिया। रवि ने बुधवार को हुए लगातार 3 मैचों में जीतते हुए पहले क्वार्टर फाइनल, फिर सेमीफाइनल और अंत में फाइनल में प्रवेश कर पदक पक्का किया। जिस तरह से रवि खेल दिखा रहा है, उससे स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीदें ज्यादा हैं।

सोनीपत के 23 वर्षीय पहलवान रवि दहिया के जानदार प्रदर्शन पर यूं तो पूरे देश में जश्न का माहौल हैं, लेकिन उसके गांव नाहरी में उत्सव जैसा नजारा है। खास बात यह रही कि रवि ने अन्य खिलाड़ियों की तरह डिफैंस का सहारा नहीं लिया बल्कि सीधे अटैक को अपनाया। तीनों ही मैचों में रवि अटैकिंग मोड में दिखे और मुकाबलों को बेहद रोमांचक तरीके से जीता। रवि के पिता राकेश दहिया ने बताया कि रवि 6 साल की उम्र से ही खेत में जाकर वहां बने अखाड़े में जोरआजमाइश करने लगा था। वह कच्ची मिट्टी में खूब कलाबाजियां खाता था।


उसकी फुर्ती देख गांव के मशहूर पहलवान राज ने उसे कुश्ती सिखाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे रवि ने गांव के दूसरे बच्चों को पछाड़ना शुरू कर दिया। रवि में कुश्ती के प्रति लालसा को देखते हुए उसके परिजनों ने उसे दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दाखिल करवा दिया, जहां पर नामी खिलाड़ी पहले से ही मौजूद थे। ऐसे में रवि के लिए आसानी हो गई, क्योंकि वह योगेश्वर दत्त व सुशील कुमार जैसे बड़े खिलाड़ियों के मैच बेहद गौर से देखता था और मन ही मन वैसा ही खेल खेलने की ठान लेता था। पिता राकेश ने बताया कि रवि के खेल को देखकर उसके गुरू महाबली सतपाल ने उस पर खास ध्यान देना शुरू कर दिया था। जब रवि 14 साल का था तो सतपाल महाबली ने कह दिया था कि यह लड़का एक दिन दुनिया का चैंपियन बनेगा।

वर्ल्ड चैंपियनशीप व एशियन चैंपियनशीप में पताका फहरा चुका है रवि
ऐसा नहीं है कि पहलवान रवि रातोंरात ही स्टार बन गया है। इससे पहले उसने अपने खेल से
खूब प्रभावित किया है। कॉमनवैल्थ के अलावा वर्ल्ड चैंपियनशीप व एशियन चैंपियन में रवि दहिया अपने विरोधियों को पटखनी देते हुए प्रभावित कर चुका है। वर्ष 2019 में रवि ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद उसने टोक्यो ओलिम्पिक के लिए क्वालीफाइ किया। इससे पहले 2015 में रवि दहिया ने प्रभावित करना शुरू कर दिया था जब उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशीप की 55 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर पदक जीता था, लेकिन वे सेमीफाइनल में चोटिल भी हो गए थे।



1 साल के लिए मैट से दूर रहना पड़ा था रवि को
रवि ने जीवन में काफी उतार चढ़ाव देखे हैं। 2017 में सीनियर नैशनल में रवि को चोट के कारण करीब एक साल तक मैट से दूर रहना पड़ा था, लेकिन इसका उसके प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। रवि ने वहीं से शुरू किया जहां से छोड़ा था। 2018 में बुखारेस्ट में वर्ल्ड अंडर-23 रेसलिंग के 57 किलोग्राम भारवर्ग में रवि ने सिल्वर पर कब्जा किया था। सबसे ज्यादा प्रभावित 2019 के सिलेक्शन ट्रायल में रवि ने प्रभावित किया। इस पर सीनियर खिलाड़ी उत्कर्ष काले व संदीप तोमर को पटखनी देकर रवि ने जीत हासिल की। इसके अलावा 2020 भी रवि के लिए काफी अच्छा रहा।



पिता ने किया संघर्ष, 40 किलोमीटर तक दूध व घी लेकर जाते थे
रवि की सफलता के पीछे उनके पिता राकेश दहिया की खासी मेहनत है। राकेश दहिया के पास एक एकड़ से भी कम जमीन है, जिसके कारण वह दामों पर जमीन लेकर फसल बाेते हैं और परिवार का पालन पोषण करते हैं। खास बात यह है कि राकेश ने अपने बेटे रवि को इस बात कभी अहसास नहीं होने दिया कि घर की आर्थिक हालत बेहद नाजुक है। राकेश दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे रवि को रोजाना करीब 40 किलोमीटर का सफर तय दूध व घी देने के लिए जाते थे। रवि की मां व दादी भी उसकी सफलता से बेहद खुश है।

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