Edited By Deepak Paul, Updated: 21 Jan, 2019 10:40 AM
ठेठ हरियाणवी से दिखने वाले जींद क्षेत्र में चुनावी गहमा-गहमी के बीच लोग किसी भी नेता को नाराज करने के मूड में नहीं हैं। शहरी से लेकर ग्रामीण मतदाता सभी आने वालों की आवभगत कर रहे हैं...
जींद (दीपक बंसल): ठेठ हरियाणवी से दिखने वाले जींद क्षेत्र में चुनावी गहमा-गहमी के बीच लोग किसी भी नेता को नाराज करने के मूड में नहीं हैं। शहरी से लेकर ग्रामीण मतदाता सभी आने वालों की आवभगत कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसी चौपाल पर मतदाता से बात कर लीजिए या फिर शहरों में दुकानदारों से, वे एक ही बात कह देते हैं अरे, अभी तो समय पड़ा है, देख लेंगे कि क्या करना है। गांवों के बाहर ताश खेलते एक ग्रामीण से बात की गई तो उसने कहा कि ईब तो हम सबके रंग देख रहे हैं, आखिर में फैंकेंगे हुक्म का इक्का। जब उनसे यह पूछा कि ऐसा क्यों तो जवाब मिला, क्या नेताओं को ही राजनीति आती है, ईब तो हम भी सारी समझ रखते हैं, तो पहले अपने पत्ते क्यों खोलें।
ईब तै ही बता कि मैं किसका बताऊं मेरे टाबर की वोट कित पड़ेगी
एक बुजुर्ग कर्मवीर कहने लगा कि थाम अखबार वाले आपै ही हिसाब ला लो कि फ्लां की वोट इतनी हो गई। ईब पहले आली हालत कौनी कि गांव के एक बड़े बुजुर्ग ने जो कह दिया, सारा टाबर वहीं वोट पा देगा। मेरे अपने ही घर में तीन छौरे हैं जो अलग-अलग पाॢटयां गलैं लग रहे हैं, ईब तै ही बता कि मैं किसका बताऊं मेरे टाबर की वोट कित पड़ेगी। यह तो कुछ लोगों के समूहों से की गई बात थी लेकिन जींद विधानसभा क्षेत्र में एक बात जरूर गौर करने लायक है कि हर आदमी राजनीति की समझ रखता है। पालिका बाजार से पहले एक चाय वाले से बात की गई तो बोल्या मोदी ने कोई देन में कसर थोडा न छोड रखी है, अब जब इस बात का अर्थ पूछा तो बोला, जब तुम पत्रकार हो तो स्वयं ही समझ लो। गारमैंट्स की दुकान चला रहे एक युवा से पूछा तो बोल्या देखेंगे भई, कहां वोट डालनी है।