सरकार कोई भी हो हमेशा सुर्खियों में रहे हैं अशोक खेमका

Edited By Isha, Updated: 30 Nov, 2019 11:08 AM

ashok khemka has always been in the news no matter the government

हरियाणा में चाहे किसी भी राजनीतिक दल की सरकार रही हो और कोई भी मुख्यमंत्री क्यों न रहा हो लेकिन आई.ए.एस. अशोक खेमका ऐसे अधिकारी हैं जो हमेशा सुॢखयों में रहे हैं। अशोक खेमका के अब

करनाल (शर्मा) : हरियाणा में चाहे किसी भी राजनीतिक दल की सरकार रही हो और कोई भी मुख्यमंत्री क्यों न रहा हो लेकिन आई.ए.एस. अशोक खेमका ऐसे अधिकारी हैं जो हमेशा सुॢखयों में रहे हैं। अशोक खेमका के अब तक के सॢवस कार्यकाल दौरान वह आए दिन अपने टवीट् तथा विभागों में फर्जीवाड़े उजागर करने के लिए चर्चा में हैं। मनोहर सरकार ने दूसरे कार्यकाल दौरान जारी की पहली तबादला सूची में अशोक खेमका का नाम शामिल किया तो हंगामा हो गया। 

13 अधिकारियों ने तो सरकार के फैसले को स्वीकार कर लिया लेकिन खेमका ने ट्वीट करके पलटवार कर दिया। 1991 बैच के अशोक खेमका को साइंस एंड टैक्नोलॉजी विभाग से हटाकर अभिलेख,पुरातत्व व संग्रहालय विभागों का प्रधान सचिव लगाया गया है। खेमका इस बार जिस विभाग में आए हैं,उसमें वे पहले भी काम कर चुके हैं। भाजपा के पिछले शासनकाल दौरान भी उनके तबादले हुए और अब तक जो विभाग वह संभाल रहे थे,वह भी ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है।मनोहर पार्ट वन में एक गाड़ी को लेकर 

कृष्ण बेदी से हुआ था विवाद
मनोहर पार्ट वन में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह के साथ भी कथित तौर पर एक विवाद सामने आया था। जिसे मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद शांत कर दिया गया। समाज कल्याण विभाग में तैनाती दौरान खेमका का अपने ही विभाग के मंत्री कृष्ण बेदी के साथ एक गाड़ी को लेकर विवाद हुआ था। जिला स्तरीय एक अधिकारी की गाड़ी मंत्री के पास होने के मुद्दे पर खेमका ने पत्र लिखते हुए टवीट् भी किया था। जिसके बाद सरकार ने खेमका का उक्त विभाग में से भी तबादला कर दिया।कौन हैं अशोक खेमकावर्ष 1991 बैच के आई.ए.एस. अशोक खेमका कोलकाता के मीडियम क्लास परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

उनका एजूकेशनल प्रोफाइल काफी शाइङ्क्षनग रहा है और सिविल सॢवस में आने से पहले वह1988 में आई.आई.टी. खड़कपुर में कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के टॉपर रह चुके हैं। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट से कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री की लेकिन बाद में उनके करियर ने सिविल सॢवस की तरफ दिशा ले ली। मसूरी में नैशनल अकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन की ट्रेङ्क्षनग में वह दूसरे स्थान पर रहे और 1993 में उन्हें हरियाणा के नारनौल में सब डिविजनल मैजिस्ट्रेट लगाया गया था।

53 साल की उम्र में 53 तबादलों का सामना किया 
53 साल के अशोक खेमका को अपने करियर में अब तक 53 तबादलों का सामना कर चुके हैं। हरियाणा में अलग-अलग दलों की सरकारें आईं लेकिन,उनका बोरिया-बिस्तर अक्सर खुलता और बंधता रहा। खेमका को पहली पोस्टिंग पूर्व मुख्यमंत्री स्व.भजनलाल के कार्यकाल में एक सितम्बर 1993 में मिली थी और उस शासनकाल में उनका 6 बार तबादला हुआ। वह अमूमन एक सीट पर एक साल से ज्यादा नहीं बिता सके बल्कि कुछ मौकों पर तो चंद महीनों के लिए ही विभाग में रहे।

बंसीलाल सरकार में 4 से 5 महीने ही टिक पाए किसी भी पद पर 
इसी तरह स्व.बंसीलाल के कार्यकाल में भी उनके 5 बार तबादले हुए और हर पद पर वह 4 से 5 महीने ही टिक पाए। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल दौरान भी उनके 8 बार तबादले हुए और इस दौर में उनकी सबसे लंबी नियुक्ति डेढ़ साल की रही। एक समय ऐसा भी आया जब तत्कालीन सरकार ने अशोक खेमका से गाड़ी भी वापस ले ली और वह पैदल ही सचिवालय पहुंच गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लगातार 2 शासनकाल दौरान उनका डेढ़ दर्जन से ज्यादा बार ट्रांसफर हुआ।

विपक्षी दलों को अच्छे लगते हैं खेमका
हरियाणा में पिछले करीब 2 दशक की राजनीति पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो अशोक खेमका ऐसे आई.ए.एस. अधिकारी हैं जो राजनीतिक दलों को विपक्ष में रहते हुए ही अच्छे लगते हैं। खेमका के तबादलों तथा उनके द्वारा उजागर किए जाने वाले घोटालों को विपक्षी दल मुद्दा भी बनाते रहे हैं लेकिन सत्ता में आते ही खेमका उन्हीं दलों के लिए मुसीबत बनते रहे हैं।हुड्डा के शासनकाल में 
पूरे देश की नजरों में आए हुड्डा के शासनकाल में वह 2012 दौरान डी.जी. कंसौलिडेशन एंड लैंड रहे और इस पद पर 80 दिन ही टिक पाए। इस पद को छोड़ते वक्त ही उन्होंने वाड्रा-डी.एल.एफ. डील की म्यूटेशन को रद्द कर बड़ी लड़ाई शुरू की जो बाद में राष्ट्रीय स्तर की राजनीति का बड़ा हिस्सा बनी रही। खेमका कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा व डी.एल.एफ. डील के म्यूटेशन (इंतकाल) को कैंसिल करने के बाद पूरे देश की नजरों में आ गए थे।

मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत में उन्हें परिवहन जैसा अहम विभाग भी मिला लेकिन कुछ ही दिनों में उनका सरकार के कुछ ताकतवर नेताओं के साथ विवाद हो गया और धीरे-धीरे उन्हें हाशिए पर पहुंचा दिया गया। खेमका ने ओवरलोड वाहनों के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए एक अधिसूचना जारी कर दी जिसके बाद पूरे प्रदेश में ट्रांस्पोर्ट आप्रेटरों ने खेमका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। तब हरियाणा सरकार ने परिवहन विभाग के आदेशों को होल्ड करते हुए खेमका का तबादला कर दिया था।इसके बाद कई बार खुड्डे लाइन पोस्टों पर रहने के बाद खेमका को खेलकूद विभाग की जिम्मेदारी दी गई। यहां भी खिलाडिय़ों की आमदन के संबंध में जारी की गई अधिसूचना से खिलाडिय़ों ने खेमका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। खेमका जितने दिन खेलकूद विभाग में रहे उतने दिन सरकार व खिलाडिय़ों के बीच विवाद चलते रहे। सरकार ने उन्हें यहां से भी बदल दिया।

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