बेटियों को पढ़ाने के सरकार के सभी दावे हुए फेल, स्कूल की सभी छात्राएं फेल

Edited By Shivam, Updated: 27 Jun, 2018 10:58 PM

all government claims to teach daughters fails all schoolgirls fail

''मम्मी-पापा हमें पढ़ाओ, स्कूल में चलकर नाम लिखाओ’ गांव काबरेल के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में लिखी ये पंक्तियां शायद उन छात्राओं पर बिल्कुल स्टीक बैठती हैं, जिन्होंने 10वीं कक्षा के आए शून्य परिणाम के बाद स्कूल छोड़ दिया और घर बैठ गई। बता दें इस...

हिसार(विनोद सैनी): 'मम्मी-पापा हमें पढ़ाओ, स्कूल में चलकर नाम लिखाओ’ गांव काबरेल के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में लिखी ये पंक्तियां शायद उन छात्राओं पर बिल्कुल स्टीक बैठती हैं, जिन्होंने 10वीं कक्षा के आए शून्य परिणाम के बाद स्कूल छोड़ दिया और घर बैठ गई। बता दें इस सरकारी स्कूल के 10वीं कक्षा का परिणाम शून्य रहा। 10वीं कक्षा की सभी 24 छात्राएं फेल हो गई। इनमें से 14 छात्राओं ने तो वापस दाखिला ले लिया लेकिन 10 छात्राओं ने बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी है।

ग्रामीणों का दावा है कि प्रदेश तो क्या देश में ये अब तक का सबसे खराब रिजल्ट है। ऐसी स्थिति इससे पहले किसी स्कूल में देखने को नहीं मिली। इसके अलावा गांव मात्रश्याम के राजकीय उच्च विद्यालय में पढ़ रहे 28 छात्रों में से केवल 1 ही पास हुआ। 

आखिर कौन हैं जिम्मेदार?
हरियाणा विद्यालय बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में छात्राओं के फेल होने का जिम्मेदार अहम विषयों के शिक्षकों की कमी को ठहराया। स्कूल के डी.डी.ओ. रामफल ने कहा कि विद्यालय में पिछले शैक्षणिक सत्र के दौरान हिन्दी, विज्ञान और गणित का कोई शिक्षक नहीं था। अप्रैल 2014 से 5 फरवरी 2018 तक विज्ञान अध्यापक का पद रिक्त रहा। गणित विषय का पद 1 जुलाई 2015 से 7 सितम्बर 2017 तक रिक्त रहा। एस.एस. मास्टर के 2 पद स्वीकृत है जिसमें एक अध्यापिका 1 मई 2015 से 31 मार्च 2017 तक राजकीय कन्या उच्च विद्यालय सीसवाल तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय घुड़साल में प्रतिनियुक्ति पर रही। इसके बाद 25 अप्रैल 2017 को प्रमोट होकर राजकीय उच्च विद्यालय किशनगढ़ में ज्वाइन कर लिया। दूसरी एस.एस. अध्यापिका विद्यालय प्रभारी रही जिससे शिक्षण कार्य सुचारू नही हो पाया। दिसम्बर 2014 से हैडमास्टर और अब तक संस्कृत विषय का पद खाली पड़ा है। 

शिक्षा अधिकारी है जिम्मेदार
गांव के लोगों ने खराब परिणाम के लिए हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। ग्रामीणों ने कहा, एक ओर सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है, जबकि दूसरी ओर अधिकारियों ने स्कूल में स्टाफ की कमी की समस्या को हल करने के लिए कुछ नहीं किया। गांव के सरपंच धर्मसिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत ने जिला प्रशासन से कई बार मिलकर स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक मुहैया कराने की मांग की थी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही।

गौरतलब है कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने जब पिछले महीने नतीजे घोषित किए थे तो इन स्कूलों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था। अधिकारियों के मुताबिक इन स्कूलों के अलावा गांव न्यौली कलां व मिंगनी खेड़ा स्कूल का परिणाम भी आशा के अनुरुप नहीं रहा।

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