किसान आंदोलन के बाद अब पैट्रोल-डीजल से लगी सियासी 'आग'

Edited By Manisha rana, Updated: 21 Feb, 2021 11:33 AM

after the farmer movement political  fire  with petrol and diesel

पिछले करीब तीन माह से किसानों का आंदोलन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है तो अब पिछले करीब दस दिनों से पैट्रोल और डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ौतरी के बाद हरियाणा में ये दोनों राष्ट्रीय मुद्दे ही ज्वलंत मुद्दे ...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : पिछले करीब तीन माह से किसानों का आंदोलन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है तो अब पिछले करीब दस दिनों से पैट्रोल और डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ौतरी के बाद हरियाणा में ये दोनों राष्ट्रीय मुद्दे ही ज्वलंत मुद्दे बन गए हैं। इन मुद्दों को लेकर पूरा विपक्ष भी आक्रामक तेवरों के साथ सरकार को घेरते हुए जोरदार हमले कर रहा है तो इन मुद्दों के प्रभाव के आगे राज्य में बिजली, पानी, विकास, पंचायत चुनाव के साथ साथ स्थानीय मुद्दे जैसे मुद्दे गौण से होकर रह गए हैं। बेशक कृषि बिलों व पैट्रोलियम पदार्थों में वृद्धि दोनों ही मुद्दे राष्ट्रीय स्तर के हैं मगर इन दोनों बड़े मुद्दों के आगे प्रदेश में कोई दूसरा मुद्दा नजर ही नहीं आ रहा। ऐसे में ये दो बड़े मुद्दे राष्ट्रीय होने के बावजूद राज्य स्तरीय मुद्दे के रूप में नजर आने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले करीब 88 दिनों से किसानों का आंदोलन जारी है।

28 जनवरी को किसान नेता राकेश टिकैत की ओर से गाजीपुर बॉर्डर में फूट-फूटकर रोने के बाद आंदोलन एक बार फिर से तेज हो गया है और इस बार आंदोलन का सबसे अधिक असर हरियाणा में दिखा। यही वजह है कि हरियाणा में एक के बाद एक महापंचायतों का आयोजन हुआ। हरियाणा में 3 फरवरी को जींद की धरती से किसान महापंचायत का सिलसिला शुरू हुआ और अब तक करीब 10 महापंचायतें हो चुकी हैं। इन महापंचायतों में विपक्षी दलों के नेता भी नजर आए। किसान आंदोलन के मुद्दे पर तो अभय ङ्क्षसह चौटाला की ओर से ऐलनाबाद से त्यागपत्र दिए जाने के बाद अब तीन मार्च को ऐलनाबाद में महापंचायत भी रखी गई है।

डीजल के दामों की वृद्धि से भी किसान हो रहे प्रभावित
गौरतलब है कि हरियाणा में किसान आंदोलन तो हॉट इश्यू बना हुआ ही है और अब पैट्रोल और डीजल के बढ़ रहे दाम के बाद हरियाणा में यह दो मुद्दे ही बड़े ज्वलनशील मुद्दे बन गए हैं। तमाम सार्वजनिक कार्यक्रमों, महापंचायतों से लेकर विपक्षी दलों के नेता सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसान आंदोलन और डीजल-पैट्रोल के बढ़ते दाम पर ही सरकार को घेर रहे हैं। पिछले करीब एक सप्ताह में ही पैट्रोल के दाम में 1 रुपए 98 पैसे जबकि डीजल के दाम में 2 रुपए 23 पैसे की वृद्धि हुई है। इस समय हरियाणा में पैट्रोल 89 रुपए 3 पैसे जबकि डीजल के दाम 81 रुपए 96 पैसे हैं। पिछले डेढ़ माह में तो पैट्रोल के दाम में 5 रुपए जबकि डीजल के दाम में साढ़े 4 रुपए की वृद्धि हुई है। हरियाणा चूंकि एक कृषि प्रधान प्रदेश है। इसलिए खेती के सैक्टर में डीजल की बहुत अधिक खपत होती है। डीजल आधारित ट्यबवैलों के अलावा ट्रैक्टर, कम्बाइन व अन्य मशीनरी में डीजल का इस्तेमाल होता है। ऐसे में डीजल और पैट्रोल के दाम में वृद्धि के बाद इसका असर हर रोज नजर आ रहा है। बाजार भी इससे अछूता नहीं है। दूसरे सैक्टरों में इसका प्रभाव नजर आ रहा है। खास बात ये भी है कि तीन कृषि कानूनों का असर तो सीधे रूप से किसानों पर पड़ा ही है वहीं डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी भी कहीं न कहीं किसान वर्ग को प्रभावित कर रही है।

लगातार तेज हो रहे विपक्ष के सियासी हमले
लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन और अब डीजल-पैट्रोल के दाम में हो रही लगातार वृद्धि के बाद हरियाणा में विपक्षी दलों के नेताओं के हमले तेज हो गए हैं। इनैलो के नेता अभय ङ्क्षसह चौटाला लगातार किसानों के बीच जा रहे हैं और किसान महापंचायत में शिरकत कर सरकार पर हमला बोल रहे हैं। वहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप ङ्क्षसह सुर्जेवाला, कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा, कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई व किरण चौधरी सरीखे नेता भी लगातार सरकार पर पलटवार कर रहे हैं और तंज भी कस रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा ने शनिवार को ट्विट किया कि किसानों का आंदोलन बहुत लंबा चल चुका है। सरकार को भी चाहिए कि किसानों की बात मानकर इसका समाधान निकाले, ताकि किसान घर वापस लौट सकें, अपना काम संभालें, अब आगे फसलों की कटाई भी होने वाली है। वहीं रणदीप ङ्क्षसह सुर्जेवाला ने शनिवार को ट्विट करते हुए कहा कि 'मोदी जी देशवासियों में मचे हाहाकार के बावजूद लगातार 12वें दिन पैट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ौतरी जनता की जेब पर डाका है। सत्ता का यह नशा और अहंकार ही अब मोदी सरकार की पहचान है। लोगों के जले पर नमक छिड़कने की यह परपीड़क सोच ही राजसत्ता के पत्तन का कारण बनेगी।

ऐसे भी कसे जा रहे तंज
पैट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि को लेकर यूं तो प्रदेश के विपक्षी नेता अपने अपने तरीके से सरकार पर सियासी वार लगातार कर रहे हैं मगर कुछ नेताओं का सरकार पर तंज कसने का अलग ही अंदाज नजर आ रहा है। विभिन्न नेता कहावतों के जरिए सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में रणदीप सुर्जेवाला ने तंज कसते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी का अब यह नारा बन गया है कि 'हम दो हमारे दो, डीजल 90 और पैट्रोल पूरे 100। वहीं किरण चौधरी ने ट्विट के जरिए हमला बोलते हुए कहा कि 'अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो, डीजल नब्बे, पैट्रोल सौ, सौ में लगा धागा, सिलैंडर उछल के भागा। कुमारी सैलजा ने शनिवार को ट्विट करते हुए कहा कि 'निरंतर बढ़ रही महंगाई ने जनता की कमर तोड़कर रख दी है। देशवासियों ने इससे ज्यादा बुरे दिन आज तक नहीं देखे। सरकार नींद से कब जागेगी? वहीं किसान आंदोलन को लेकर अभय ङ्क्षसह चौटाला ने तीन दिन पहले ट्विट करते हुए लिखा कि तीनों कृषि कानून केवल पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। देश के करोड़ों किसानों को कुछ मित्रों के लिए दबाने का प्रयत्न किया जा रहा है। वहीं किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्रोई ने पंजाब निकाय चुनावी नतीजों के जरिए सरकार पर हमला बोलते हुए ट्विट किया कि 'पंजाब नगर निगम की ऐतिहासिक जीत ने भाजपा के घमंड को आइना दिखाने का काम किया है। यह हाल संपूर्ण देश में भाजपा का होने वाला है। पंजाब की बहादुर जनता को मेरा नमन।

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