गुड़गांव के निजी अस्पतालों पर कार्रवाई के बाद डॉक्टरों में डर का माहौल

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 29 May, 2018 08:35 AM

after the action on private hospitals in gurgaon

गुड़गांव के निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ हुई लापरवाहियों और उसके बाद सरकार द्वारा डॉक्टरों के खिलाफ की गई कार्रवाईयों और गिरफ्तारियों को लेकर वहां के चिकित्सक समुदाय में काफी डर का माहौल है। इससे उबरने के लिए वहां के निजी अस्पतालों के डॉक्टरों...

चंडीगढ़(संजीव): गुड़गांव के निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ हुई लापरवाहियों और उसके बाद सरकार द्वारा डॉक्टरों के खिलाफ की गई कार्रवाईयों और गिरफ्तारियों को लेकर वहां के चिकित्सक समुदाय में काफी डर का माहौल है। इससे उबरने के लिए वहां के निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने अपना संगठन भी बनाया है, ताकि किसी सदस्य पर यदि कोई आपदा आती है तो उससे मिलकर निपटा जाए।
निजी अस्पतालों के 25-30 डॉक्टरों ने ‘एसोसिएशन ऑफ हैल्थकेयर कंसलटैंट्स’ बनाकर वहां के उपायुक्त से मिलकर उन्हें ज्ञापन भी दिया। चिकित्सीय लापरवाही की शिकायतों पर जिस प्रकार से कार्रवाई की जा रही है एसोसिएशन उससे नाखुश है।

उसका कहना है कि यदि डॉक्टरों व मरीजों के बीच विश्वास ही खत्म हो गया तो ऐसे हालात समाज के लिए घातक होंगे। ऐसी स्थिति यदि कायम रहती है तो होगा ये कि डॉक्टर इलाज पर ध्यान देने की बजाय अपने को बचाने के चक्कर में ज्यादा लग जाएंगे और फौरी चिकित्सा उपलब्ध करवाने के बजाय कागजी खानापूर्तियों की तरफ अधिक ध्यान देने लगेंगे। जिससे विशेषकर एमरजेंसी केसों पर असर पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि ‘डिस्ट्रिक्ट मेडिकल नैगलिजैंस बोर्ड’, गुड़गांव में पिछले साल 31 मई को बना था उसके बाद से 60 शिकायतें अब तक दर्ज हो चुकी है। जिनमें से 26 पिछले साल और 34 इस साल की हैं। इनमें वह शिकायत भी शामिल है जो सात वर्षीय बच्ची आद्या सिंह के पिता ने दर्ज करवाई थी। इस बच्ची की मौत डेंगू के कारण इलाज के दौरान ही हो गई थी।

इस विषय में जब स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से बात की गई तो उनका कहना था कि यदि डॉक्टर ऐसा सोच रहे हैं और उन्हें मरीजों और डॉक्टरों के बीच विश्वास की परवाह है तो इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है। जहां तक कार्रवाईयों का सवाल है यदि सरकार के समक्ष शिकायतें आती हैं तो सरकार कार्रवाई करने से पीछे कैसे हट सकती है। यह बात सही है कि गलती चंद लोग करते हैं लेकिन बदनामी सारे डॉक्टरों की होती लेकिन इसमें सरकार कर भी क्या सकती है? शिकायत आने पर कार्रवाई करना सरकार की जिम्मेदारी बन जाती है।

एसोसिएशन का कहना था कि शिकायतों पर जिस प्रकार से कार्रवाई की जा रही है उससे समाज में डॉक्टरों की छवि अपराधियों की बनाई जा रही है। उनका उपायुक्त से कहना था कि वे यह सुनिश्चित करें कि डॉक्टरों के खिलाफ शिकायतों पर चल रही जांच का ब्यौरा मीडिया को लीक न किया जाए और ऐसे हालात न बनाए जाएं जिससे डॉक्टरों की छवि अपराधियों की बने और डाक्टर-मरीज के बीच का विश्वास टूटे।

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