Edited By Isha, Updated: 08 Dec, 2019 12:37 PM
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पहले दिन से विवादों के केंद्र में रहा है। अव्यवस्थाओं के बीच से जैसे-तैसे कार्यक्रमों की औपचारिकता अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। गीता महोत्सव जिस उद्देश्य को लेकर गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र में मनाना
कुरुक्षेत्र(राणा): अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पहले दिन से विवादों के केंद्र में रहा है। अव्यवस्थाओं के बीच से जैसे-तैसे कार्यक्रमों की औपचारिकता अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। गीता महोत्सव जिस उद्देश्य को लेकर गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र में मनाना आरंभ किया गया था, अब वह उद्देश्य धूमिल हो चुका है। अब गीता उत्सव केवल सरकार का उत्सव बनकर रह गया है। अंतर्राष्ट्रीय गीता उत्सव के नाम पर सरकार की योजनाओंं और उपलब्धियों का बखान सरेआम देखा जा सकता है। आमतौर पर गीता महोत्सव के अवसर पर ब्रह्मसरोवर परिसर में गीता के ज्ञान व धार्मिक संस्थाओं से संबंधित बैनर लगाए जाते थे लेकिन इस बार सरकार को खुश करने के लिए के.डी.बी. द्वारा पूरे ब्रह्मसरोवर परिसर में सरकार की योजनाओं का बखान करके मुख्यमंत्री की तस्वीर लगे बड़े-बड़े बैनर व होॄडग्स लगा रखे हंै। इतना ही नहीं ब्रह्मसरोवर से लेकर पिपली तक व नैशनल हाईवे पर भी सरकारी योजनाओं के बोर्ड व बैनर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आने वालों का स्वागत करते नजर आते हैं।
ऐसा लगता है कि यह उत्सव गीता महोत्सव न होकर सरकार की योजनाओं का महोत्सव बनकर रह गया है। समाजसेवी नवीन कुमार का कहना है कि ऐसा पहली बार ही देखने को मिल रहा है कि पूरे कुरुक्षेत्र की शहर की सड़कों को सरकारी बैनरों से ढक दिया गया है। गीता ज्ञान और गीता के मर्म की कहीं पर भी कोई बात लिखी हुई दिखाई नहीं देती। गीता ज्ञान और गीता महोत्सव को लेकर केवल नामात्र ही सामग्री इस महोत्सव में नजर आती है। सुभाष पाली का कहना है कि यह महोत्सव अपनी गरिमा खो चुका है। अब यह महोत्सव सरकार के बखान का महोत्सव बनकर रह गया है। ऐसे में गीता महोत्सव से लोगों का मोह भंग होना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
कांग्रेस नेत्री प्रवेश राणा का कहना है कि आज से पहले भी गीता महोत्सव मनाए गए हंै लेकिन यह पहला महोत्सव है जिसमें गीता महोत्सव की बात कम और सरकार की योजनाओं की बात अधिक की जा रही है। इस बारे में जब सरकारी अधिकारियों से बात करनी चाही तो हर किसी ने नाम न छापने की दुहाई देते हुए कहा कि उन्हें कहीं पर भी कोड न किया जाए क्योंकि यह उनकी नौकरी का सवाल है। ऐसे में सवाल तो यह भी उठता है कि गीता महोत्सव के नाम पर करोड़ों के फंड से सरकार की योजनाओं का जो प्रचार-प्रसार किया जा रहा है वह किसकी शह पर और किसको खुश करने के लिए कौन अधिकारी कर रहे हंै। यह एक जांच का विषय हो सकता है क्योंकि गीता महोत्सव के नाम पर जारी फंड को खर्च करने के नियम और कायदे क्या कहते हंै।