कड़ी चुनौतियों के बीच अभय ने संभाला पार्टी और परिवार

Edited By Deepak Paul, Updated: 22 Apr, 2018 09:31 AM

abhay takes care of party and family among the tough challenges

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला एवं उनके बड़े बेटे अजय चौटाला के जे.बी.टी. भर्ती मामले में जेल जाने के बाद संकटों के दौर से घिरी इनैलो के अस्तित्व को लेकर जहां सवाल उठने शुरू हो गए थे, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने की एक बड़ी चुनौती भी आ...

सिरसा(संजय अरोड़ा): इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला एवं उनके बड़े बेटे अजय चौटाला के जे.बी.टी. भर्ती मामले में जेल जाने के बाद संकटों के दौर से घिरी इनेलो के अस्तित्व को लेकर जहां सवाल उठने शुरू हो गए थे, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने की एक बड़ी चुनौती भी आ खड़ी हुई थी। मगर, इन 5 वर्षों में पार्टी की कमान सम्भाल रहे हरियाणा विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने पिता व भाई की गैर-मौजूदगी में न केवल पार्टी संगठन को मजबूत बनाए रखा, अपितु अनेक रैलियों के जरिए राजनीतिक ताकत का भी अहसास करवाया और बसपा से तालमेल को परवान चढ़ाकर अपने राजनीतिक कौशल को भी साबित किया। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार हुआ। इनेलो व बसपा के समझौते के बाद अभय व बसपा नेताओं ने हरियाणा में बन रहे जाट व गैर-जाट के सियासी मुद्दे के प्रचार पर भी विराम लगाने का प्रयास किया है।

ऐसे छाए संकट
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में कोर्ट के फैसले के बाद इनेलो और चौटाला परिवार उस वक्त मुसीबत के भंवर में फंस गए जब जे.बी.टी. भर्ती मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व उनके ज्येष्ठ पुत्र अजय चौटाला जेल चले गए। ऐसे में परिवार और पार्टी को सम्भालने की पूरी जिम्मेदारी अभय चौटाला पर आन पड़ी। अभय ने विपरीत परिस्थितियों में न केवल परिवार को सम्भाले रखा और  पिता व भाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहे, वहीं पार्टी संगठन को जोड़े रखने के लिए भी दौड़-धूप करते रहे

विपक्षी दल होने का भी राजनीतिक धर्म निभाते हुए सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोलते रहे और जनहितैषी मुद्दे उठाते रहे। इसी की बानगी है कि प्रदेश के किसानों के हक के लिए एस.वाई.एल. नहर का पानी पंजाब से लाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ-साथ पंजाब सरकार के खिलाफ संघर्ष की राह पकड़ी। दिसम्बर 2016 में उन्होंने तोशाम से जलयुद्ध की शुरूआत की और इसी आंदोलन के दौरान जेल भी गए। इसी मुद्दे पर 1 मई को फिर से अभय जेल भरो आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं।

रैलियों के जरिए करवाया ताकत का अहसास
बेशक पार्टी व परिवार के लिहाज से अभय पर बहुत बड़ी जिम्मेदारियां थीं लेकिन परिवार के साथ-साथ उन्होंने पार्टी संगठन में भी जोश को बरकरार रखा। जनहितार्थ मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए सभाएं व सफल रैलियां करके इस बात को पुख्ता किया कि इनेलो आज भी मजबूत संगठन की तरह है। अभय ने जहां पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. देवीलाल की जयंती पर रैलियों का सिलसिला जारी रखा, वहीं राज्य से बाहर 7 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में सफल रैली कर अपनी व पार्टी की ताकत का अहसास करवाया। कठिन दौर में इनैलो के प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा व उनके भतीजे सांसद दुष्यंत चौटाला सहित परिवार के तमाम लोग व पार्टीजन भी उनके साथ मजबूती से खड़े नजर आए।

कई लिहाज से मायने रखता है इनेलो-बसपा का गठजोड़
इनेलो-बसपा का राजनीतिक गठजोड़ कई लिहाज से मायने रखता है। यह गठजोड़ भी उस वक्त हुआ है जब अगला विधानसभा चुनाव जाट व गैर-जाट के मुद्दे पर लड़े जाने के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि जाट आंदोलन के बाद प्रदेश में राजनीतिक लिहाज से यह मुद्दा न केवल सियासी हो चला है, बल्कि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ही अगला मुख्यमंत्री घोषित किए जाने से यह साफ हो गया है कि अब लड़ाई सिर्फ जाट और गैर-जाट सी.एम. की ही है।

ऐसे में अभय ने बसपा से गठबंधन कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं, क्योंकि गैर-जाट के तौर पर बसपा का परम्परागत दलित वोट बैंक का इनैलो को फायदा हो सकता है। राजनीतिक पर्यवेक्षक भी इस बात को मानते हैं कि बसपा के साथ दलित वोट बैंक है और इनैलो जाटलैंड में पकड़ रखता है, ऐसे में इस समझौते का दोनों दलों को फायदा हो सकता है। इस नए गठबंधन का अगले चुनाव में क्या असर रहेगा और किसे व कितना फायदा मिलेगा, यह आने वाला समय ही तय करेगा।

जाति-पाति की राजनीति करने वालों के लिए झटका है गठबंधन : अरोड़ा
इनेलो प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा का कहना है कि इनेलो सदैव 36 बिरादरियों को साथ लेकर चलती है और कभी भी एक वर्ग की राजनीति नहीं करती जबकि भाजपा हमेशा जात-धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर लोगों को लड़वाने का काम करती है। ऐसे में इनेलो बसपा का गठबंधन ऐसी ताकतों के लिए एक झटका होगा। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन कांग्रेस व भाजपा को करारी शिकस्त देकर सत्ता में आएगा।

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