गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में शामिल होंगे अभय चौटाला, खुद ही किया ऐलान

Edited By Shivam, Updated: 29 Jan, 2021 11:57 PM

abhay chautala will join movement going on ghazipur border announced himself

इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने वीरवार को देर रात यूपी पुलिस द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनरत धरने पर बैठे भाकियू के नेता राकेश टिकैत एवं किसानों के साथ किए गए दुर्व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार...

चंडीगढ़ (धरणी): इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने वीरवार को देर रात यूपी पुलिस द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनरत धरने पर बैठे भाकियू के नेता राकेश टिकैत एवं किसानों के साथ किए गए दुर्व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार आंदोलन को बदनाम करने और खत्म करने की साजिश के तहत ओछे हथकंडे अपना रही है। 

अभय ने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर भी भाजपा सरकार शरारती तत्वों को भेजकर किसानों को गालियां और पत्थरबाजी कर उकसा रही है। फिर पुलिस बल का प्रयोग कर लाठियों से किसानों को पिटवा रही है जो सरेआम लोकतंत्र की हत्या है। सरकार द्वारा देश के किसानों पर की गई बर्बतापूर्वक कार्रवाई आमजन तक न पहुंच पाए, इसलिए सरकार ने इंटरनेट की सुविधाएं भी बाधित कर दी है जो कि अघोषित आपातकाल को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा किसान आंदोलन समाप्ति का झूठा प्रचार और प्रसार किया जा रहा है, इसलिए आंदोलन को और ज्यादा मजबूत करने के लिए टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचने की अपील प्रदेश के लोगों से है। इनेलो नेता ने ऐलान किया कि वो स्वयं शनिवार, 30 जनवरी को सुबह 8 बजे अम्बाला से चल कर कुरूक्षेत्र, करनाल, पानीपत व कुंडली-गाजियाबाद-पलवल हाईवे से होते हुए हजारों किसानों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचेंगे। वहीं इनेलो के सभी जिलों के कार्यकर्ता भी प्रदेशभर से तीन हजार गाडिय़ों के काफिले को लेकर लगभग 15 हजार किसानों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचेंगे।

इनेलो नेता ने कहा कि आज अन्नदाता भारी संकट के दौर से गुजर रहा है इसलिए किसानपुत्र होने के नाते हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम सभी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हों। उन्होंने प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियों से राजनीति से ऊपर उठ कर किसानों की इस लड़ाई में एकजुट होकर आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि अगर अन्नदाता न होता तो भारत कृषि प्रधान देश न कहलाता इसलिए हमें तब तक इस लड़ाई को लडऩा है जब तक केंद्र सरकार तीनों काले कृषि कानूनों को वापिस ले लेती।

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