छोड़ी परंपरागत खेती और शुरू की लहसुन की खेती, अब हो रहा मोटा मुनाफा

Edited By Vivek Rai, Updated: 21 Mar, 2022 05:26 PM

abandoned traditional farming and started garlic cultivation

क ओर जहां सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है तो वहीं दूसरी ओर कुछ किसान परंपरागत खेती को छोड़ नए-नए तरीके अपना रहे हैं। ऐसा ही गांव भूथनखुर्द के किसान गोपी राम जाखड़ के तीन बेटों ने किया ।

फ़तेहाबाद(रमेश): एक ओर जहां सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है तो वहीं दूसरी ओर कुछ किसान परंपरागत खेती को छोड़ नए-नए तरीके अपना रहे हैं। ऐसा ही गांव भूथनखुर्द के किसान गोपी राम जाखड़ के तीन बेटों ने किया । उन्होंने 14 एकड़ जमीन में लहसुन के बंपर उत्पादन किया जिसने इनको आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान की है, बल्कि उनके रहन-सहन में भी परिवर्तन की बयार दिखाई पड़ रही है। उपरोक्त किसान वर्ष 2014 से लगातार लहसुन की पैदावार कर रहे हैं जबकि इन्होंने अपनी पूरी 14 एकड़ जमीन में  लहसुन की खेती की हुई है। घर में खाने के लिए गेहूं की बिजाई 5 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर की हुई है।

किसान बलराज सिंह जाखड़ ने बताया कि उसने वर्ष 2014 में एक एकड़ में लहसुन की बोवनी की थी। जिसमें 50 क्विंटल की बंपर पैदावार हुई और भाव भी अच्छा मिला था। जिसके कारण प्रति एकड़ 5 से 10 लाख रुपए तक लहसुन की खेती में आमदनी ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में औषधिय गुण के रूप में भी इसका उपयोग होने से मांग बढ़ी है। यही कारण है कि इस बार भी भूथनखुर्द के किसानों ने लहसुन की रिकॉर्ड तोड़ बोवनी की है।

बलराज जाखड़ ने बताया कि  उसके भाई मंगल सिंह व सुभाष ने मिलकर लहसुन की खेती की हुई है। तीनों भाइयों के पास कुल 14 एकड़ जमीन में लहसुन बोया हुआ है। किसान ने बताया कि एक एकड़ में 40 से लेकर 60 क्विंटल के बीच पैदावार होती है। उन्होंने बताया कि 50 क्विंटल से अधिक उन्होंने हर बार लहसुन का उत्पादन किया है। लेकिन मार्केट भाव 100 रुपए   किलो मिलता है तो पांच लाख रुपए की किसान को आमदनी होती है। अगर  50 रुपए किलो का भाव हो तो प्रति एकड़ ढाई लाख रुपए से कम पैदावार नहीं रहती। जबकि गेहूं व नरमा में हजारों रुपए खर्च करने के बावजूद लागत भी किसान को प्राप्त नहीं हो पाती। इसलिए उन्होंने परंपरागत खेती को त्याग कर उन्होंने लहसुन की खेती में लाखों रुपए का मुनाफा कमाया है।

किसान बलराज सिंह का कहना है कि सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी और अच्छे भाव मिलने की उम्मीद में इसको अन्य फसलों के मुकाबले अधिक तरहीज दी गई है। किसानों का कहना है कि लहुसन से संबंधित यदि कोई प्लांट क्षेत्र में स्थापित होता है, तो यहां इसकी खपत होने से कम खर्च के साथ अच्छे भाव मिलेंगे। किसान बलराज जाखड़ ने वर्ष 2014 से लहसुन की खेती शुरू की थी। जिसमें लागत से कई गुना फसल में मुनाफा मिल रहा है। क्योंकि जाखड़ परिवार लहसुन की खेती में आर्थिक रूप से साधन संपन्न हो गया। जिसको देखकर दूसरे किसानों ने भी परंपरागत फसल की जगह लहसुन बोया जाने की शुरुआत की है। 

किसान बलराज जाखड़ ने बताया कि लहसुन का बाजार भाव अच्छा होता है तो थोक में करनाल व जयपुर सप्लाई करते हैं। मगर भाव में गिरावट हो तो हिसार व फतेहाबाद में रिटेल में बेच देते हैं। लेकिन लहसुन का भाव उतार-चढ़ाव में रहता है। अगर तेजी आ जाए तो किसान कई वर्षों का घाटा एक साथ में पूरा कर लेता है। लेकिन बाजार में भाव उचित नहीं मिले तो भी लागत से कई गुना आय किसान को मिल जाती है। उन्होंने बताया कि लहसुन की बंपर पैदावार लेने के लिए मुर्गी पोल्ट्री फार्म की खाद का उपयोग सोने पर सुहागा है। अगर अच्छी मेहनत की जाए तो 60 क्विंटल तक भी पैदावार ली जा सकती है।

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