हरियाणा का ऐसा गांव जहां आज तक नहीं जला कभी चूल्हा, न बसा कोई घर

Edited By vinod kumar, Updated: 31 Dec, 2019 01:56 PM

a village in haryana where no fireplace has ever been burnt no house inhabited

जिले में एक ऐसा गांव भी बसता है जो सिर्फ सरकारी फाइलों में आबाद है लेकिन वास्तव में वह बेचिराग है। जी हां, शायद आपको यह सुनने में थोड़ा अटपटा-सा लगे लेकिन खंडावाली गांव एक ऐसा गांव है, जहां आज तक न तो कोई घर बना और न ही कभी कोई चूल्हा जला है।...

सिरसा(हरभजन): जिले में एक ऐसा गांव भी बसता है जो सिर्फ सरकारी फाइलों में आबाद है लेकिन वास्तव में वह बेचिराग है। जी हां, शायद आपको यह सुनने में थोड़ा अटपटा-सा लगे लेकिन खंडावाली गांव एक ऐसा गांव है, जहां आज तक न तो कोई घर बना और न ही कभी कोई चूल्हा जला है। हालांकि इस गांव के पास 2500 एकड़ की कृषि योग्य भूमि है।

यही नहीं, गांव के नाम पर करीब 20 लोगों के पास प्लाट की मलकीयत भी है लेकिन इस्तमाली के समय से लेकर आज तक यह गांव बाशिंदों के इंतजार में है। बेचिराग गांव होने के चलते खंडावाली गांव फूलकां की ग्राम पंचायत के अधीन है। सरकारी फाइलों में इस गांव के नाम पर बकायदा ग्रांट भी जारी होती है लेकिन उसका प्रयोग फूलकां की ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता है।

गांव बसाने के लिए काटे गए थे प्लाट
इस्तमाली के समय में जब गांवों को आबाद किया गया था, तो उस समय खंडावाली गांव में बसने वाली आबादी के लिए करीब 20 एकड़ भूमि पर अलग-अलग प्लाटों का आबंटन किया गया था लेकिन लम्बे अरसे के बाद भी यहां लोग बसने के लिए नहीं आए। यह भूमि अब पशु-पक्षियों के रहने का ठिकाना बनी हुई है। प्लाटों के लिए अलॉट हुई भूमि में झाडिय़ां, केर, किकर आदि पेड़ों की वजह से जंगल का रूप लिए हुए हैं। इस एरिया के पास से गुजरती सड़क पर रात्रि के समय जाने वाले लोग अकसर डर महसूस करते हैंं। क्योंकि इस सुनसान एरिया में लूटपाट की कई वारदातें हो चुकी हैं। 

7 गांवों की सीमा से जुड़ा है गांव
कहने को चाहे खंडावाली गांव आज तक आबाद नहीं हो पाया हो लेकिन इस गांव की विशालता बड़ी रोचक है। अपने अंडानुमा क्षेत्रफल के चलते इसकी सीमा 7 गांवों को स्पर्श करती है। गांव का रकबा फूलकां, बाजेकां, नेजियाखेड़ा, अलीमोहम्मद, चाडीवाल, ताजिया, कंवरपुरा गांवों से जुड़ा हुआ है।

विरासत के रूप में बची है एकमात्र निशानी
गांव के पास अपनी विरासत के रूप में एकमात्र जोहड़ बचा हुआ है। फूलकां की ग्राम पंचायत ने इस जोहड़ की खुदाई करवाकर इसके स्वरूप को खत्म होने से बचा लिया लेकिन इस जोहड़ को पानी आज तक नसीब नहीं हो पाया, क्योंकि यहां जलापूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

आखिर क्यों नहीं आबाद हुआ गांव
खंडावाली गांव के अभी तक न बसने का मूल कारण यहां के अधिकतर जमींदारों के पास फूलकां गांव का भी एक बड़ा रकबा है। ये सभी लोग पुरातन समय से ही फूलकां गांव में रह रहे हैं। आबंटित प्लाट भी अधिकतर इन्हीं परिवारों के नाम पर हैं। हालांकि पिछले एक दशक में काफी संख्या में लोग खेतों में ढाणियां बनाकर रहने लगे हैं। रतिराम बाजिया, ओमप्रकाश बाजिया, रामकिशन कुहाड़, बलदेव सिंह सिद्धू, मोजीराम भुक्कर सहित दर्जनभर परिवार यहां आकर बसे हैं लेकिन इन लोगों को पेयजल आपूर्ति व बिजली की बड़ी दिक्कत पेश आ रही है। 
 

 मनजीत कुलडिय़ा, सरपंच ग्राम पंचायत फूलकां ने कहा कि  खंडावाली गांव बेचिराग श्रेणी में है। सरकार की ओर से यह रकबा फूलकां की ग्राम पंचायत के अधीन रखा गया है। इस गांव से जुड़ी हर सरकारी गतिविधि के लिए फूलकां पंचायत जवाबदेह रहती है। ग्राम पंचायत ने खंडावाली में जोहड़ की खुदाई भी करवाई थी। वहीं कुछ ढाणियों में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था भी करवाई गई है। खंडावाली गांव के क्षेत्र में बसने वाली ढाणियों में पेयजल की व्यवस्था करने के लिए एक योजना पर कार्य चल रहा है। 
  

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