कूड़ा बीनने वाले गरीब लोगों के लिए आंदोलन बना त्यौहार, कभी 2 वक्त की रोटी के लिए...

Edited By Isha, Updated: 11 Dec, 2020 04:16 PM

a movement became a festival for poor garbage pickers

तीन कानून को लेकर किसान प्रोटेस्ट करते हुए आज 16 दिन हो गए हैं और हर दिन किसानों का आंदोलन तेज होता नजर आ रहा है। जहां पहले दिन से ही आंदोलन में खाने-पीने की तमाम व्यवस्थाएं मजबूत देखने को मिल रही है तो हर दिन मीठे पकवानों से लेकर पिज़्ज़ा

गोहाना(सुनील):  तीन कानून को लेकर किसान प्रोटेस्ट करते हुए आज 16 दिन हो गए हैं और हर दिन किसानों का आंदोलन तेज होता नजर आ रहा है। जहां पहले दिन से ही आंदोलन में खाने-पीने की तमाम व्यवस्थाएं मजबूत देखने को मिल रही है तो हर दिन मीठे पकवानों से लेकर पिज़्ज़ा गोलगप्पे वह कोल्ड ड्रिंक आदि खुले दिल से  खिलाई पिलाई जा रही है। ऐसे में किसान आंदोलन कुछ लोगों के लिए किसी त्योहार से कम नजर नहीं आ रहा है. दरअसल  हम बात कर रहे हैं कूड़ा बीनने वाले गरीब लोगों की। कूड़ा बीनने वाले लोगों के लिए दो वक्त का भोजन नसीब नहीं हो पाता था, लेकिन 27 तारीख से किसान आंदोलन की शुरुआत होने के बाद  इन लोगों के लिए खाने की समस्या का निदान हुआ। 

वहीं दूसरी तरफ आंदोलन में पीने के पानी की बोतलें और डिस्पोजल को इकट्ठा करने में आसानी हो रही है और उनके काम को मजबूती मिल रही है हालांकि किसान आंदोलन में सुबह से शाम तक कई प्रकार की मिठाइयां फास्ट फूड में पिज्जा गोलगप्पे आर दिन भर जी भर कर फ्रूट खाने को मिलते हैं। इतना ही नहीं लंगर की सेवा भी निरंतर चलती रहती है यानी कि यह कहना गलत ना होगा जिस रोजी रोटी के लिए कूड़ा बीनने वाले लोग दिनभर कूड़े के ढेरों पर हाथ मारते नजर आते थे और तब जाकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पाता था लेकिन अब खाने पीने की समस्या का निदान तो आंदोलन से ही हो रहा है। 

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