ए.डी.जे. करुणा शर्मा के रिवर्ट आर्डर जारी, 1 माह में दिए फैसलों की कानूनी मान्यता पर उठे सवाल

Edited By Isha, Updated: 18 Mar, 2020 10:44 AM

a d j revert order issued by karuna sharma questions raised

हरियाणा के राज्यपाल ने 19  दिसम्बर-2019 को जारी वह आदेश वापस ले लिए हैं जिनके तहत हरियाणा में सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस के तहत करुणा शर्मा को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट....

चंडीगढ़ : हरियाणा के राज्यपाल ने 19 दिसम्बर-2019 को जारी वह आदेश वापस ले लिए हैं जिनके तहत हरियाणा में सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस के तहत करुणा शर्मा को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट व सैशन जज पलवल नियुक्त किया गया था। इसके बाद अब करुणा शर्मा को पुराने पद पर रिवर्ट कर दिया गया है। वह अब रेवाड़ी में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में ज्वाइन करेंगी।

इस मामले को पंजाब केसरी ने 14 मार्च 2020 के अंक में उजागर किया था। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट व सैशन जज पलवल के पद पर करुणा शर्मा की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर 19 फरवरी को धीरज मौर केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि हरियाणा सुपीरियर ज्यूडिशरी सर्विस में केवल प्रैक्टिस कर रहे वकीलों को ही नियुक्ति मिलेगी, जबकि ज्यूडिशरी ऑफिसर उक्त पद के लिए अप्लाई नहीं कर सकता। अगर किसी ज्यूडिशरी अधिकारी की नियुक्ति हरियाणा सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में हुई है तो उसे हटना होगा और पुराने पद पर ही ज्वाइन करना होगा। ज्यूडिशरी के प्रशासनिक सिस्टम पर सवाल उठाते हुए अम्बाला के एडवोकेट शैलेंद्र मोहन ने यह मामला उठाया था। 

एडवोकट शैलेंद्र मोहन के अनुसार हरियाणा में ज्यूडिशरी सुपीरियर सर्विस के तहत 3 पदों के लिए 16 जुलाई 2015 को नोटिफिकेशन हुई थी जिसमें प्रैक्टिस कर रहे 35  से 45 वर्ष आयुवर्ग के वकील, जिनकी 7 वर्ष से अधिक की प्रैक्टिस हो और सालाना निर्धारित केस लड़ रहा हो, आवेदन कर सकता था। उक्त पदों के लिए परीक्षा का परिणाम 16 नवम्बर 2018 को निकला, जिसमें करुणा शर्मा का ज्यूडिशरी ऑफिसर कोटे से चयन कर लिया गया और 21 दिसम्बर को उनकी नियुक्ति भी कर दी गई थी।

ऐसे में करुणा शर्मा को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश का पद छोड़ कर पुराने पद पर लौटना था लेकिन वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करने के बजाय 25 फरवरी से 3 मार्च तक अवकाश पर चली गई थीं और लौटने के बाद उन्होंने उसी पद पर पुन: ज्वाइन कर लिया, जो कि उन्हें छोडऩा था। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करते हुए करुणा शर्मा ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर रहते हुए कई आदेश भी पारित किए, जिसमें 12 मार्च को पारित आदेश भी शामिल है। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद सैशन जज, हाईकोर्ट या राज्यपाल को करुणा शर्मा को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद से हटाने के आदेश पारित करने थे, जिसके लिए एक महीना लग गया। एडवोकेट शैलेंद्र मोहन के अनुसार अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज रहते हुए करुणा शर्मा ने कई आर्डर पारित किए, जिनकी कानूनी मान्यता क्या होगी और क्या उक्त आदेश मान्य होंगे या नहीं, यह भी स्पष्ट किए जाने की मांग की है। उनका कहना था कि उक्त जज के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट के आदेशों की अवमानना की कार्रवाई भी होनी चाहिए और जिस एडवोकेट का हक छिन गया था उसे मैरिट के तहत जिला व सत्र न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति मिलनी चाहिए।

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