Edited By Deepak Paul, Updated: 20 Jul, 2018 01:37 PM
शिक्षा व अन्य विभागों के अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद आगे पढ़ाई नहीं करते हैं। इस उम्र में नियमित कोर्स करना तो सपना सा लगता है। गोहाना निवासी व पानीपत से सेवानिवृत्त बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) सुभाष चंद्र मेहता मानते हैं कि...
सोनीपत: शिक्षा व अन्य विभागों के अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद आगे पढ़ाई नहीं करते हैं। इस उम्र में नियमित कोर्स करना तो सपना सा लगता है। गोहाना निवासी व पानीपत से सेवानिवृत्त बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) सुभाष चंद्र मेहता मानते हैं कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती है। 66 वर्षीय मेहता और 37 साल की उनकी बेटी ज्योति ने तीन साल पहले एलएलबी करने के लिए रोहतक में रेगुलर कोर्स में दाखिला लिया था। अब पिता व बेटी ने एक साथ प्रथम श्रेणी में एलएलबी पास की।
शहर में मुगलपुरा निवासी सुभाष चंद्र मेहता हरियाणा शिक्षा विभाग से वर्ष, 2010 में पानीपत से बीईओ पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद उनकी पढ़ाई में रुचि कम नहीं हुई। तीन साल पहले उन्होंने अपनी बेटी ज्योति से रेगुलर में एलएलबी करने की सलाह ली। ज्योति एमएससी व बीएड हैं। ज्योति के सामने ससुराल में पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच रेगुलर कोर्स करना चुनौती से कम नहीं था। ज्योति अपने पिता की इच्छा को नकार नहीं सकी। पिता-पुत्री ने वर्ष 2015 में एमडीयू से संबंधित रोहतक में शमशेर बहादुर सक्सेना कॉलेज में एलएलबी के रेगुलर कोर्स में दाखिला लिया। दोनों वहां तीन साल तक नियमित रूप से कक्षा गए। एमडीएम द्वारा जब बीते दिनों एलएलबी का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया तो पिता व पुत्री प्रथम श्रेणी से पास हुए।