डबवाली अग्निकांड: हाईकोर्ट में 550 तारीखों में पीड़ितों को दिलाया 57 करोड़ का मुआवजा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Dec, 2017 03:59 PM

57 crores rupees compensation allotted for victims in 550 hearings

डबवाली अग्निकांड के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एडवोकेट अंजूबाला ने हाईकोर्ट में अब भी लड़ाई जारी है। इस लड़ाई को जारी रखने वाली डबवाली शहर की बहादुर बेटी अंजूबाला हैं, जो पेशे से एक एडवोकेट हैं। अपनी लड़ाई जारी रखते हुए अंजूबाला ने पीड़ितों...

डबवाली/चंडीगढ़: डबवाली अग्निकांड के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एडवोकेट अंजूबाला ने हाईकोर्ट में अब भी लड़ाई जारी है। अंजूबाला पेशे से एक एडवोकेट हैं।   अंजूबाला ने पीड़ितों के लिए 57 करोड़ के मुआवजे की घोषणा कराई। इस न्याय की लड़ाई जारी रखने वाली अंजूबाला ने हादसे में अपना भतीजा भी खोया था। हम बात कर रहे हैं, 22 साल पहले 23 दिसंबर 1995 में डबवाली के डीएवी स्कूल में हुए अग्निकांड के बारे में। इस भीषण अग्निकांड में स्कूली बच्चों सहित 442 लोग जल कर मर गए थे, हादसे में घायल सैकड़ों लोग आज भी इलाज करवा रहे हैं। इस हादसे से शहर और राज्य ही नहीं बल्कि पूरा देश गमगीन हो गया था।

चंडीगढ़ में रहने वाली अंजूबाला ने इस हादसे में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लोकल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। जिसमें अंजू ने पीड़ितों को 57 करोड़ के मुआवजा हासिल करवाया लेकिन मुआवजे के बकाए करीब 4 करोड़ रुपये के लिए लड़ाई अब भी जारी है। पूरे इलाज और पुनर्वास के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पूर्ण पालना आज तक नहीं हुई है। 

एडवोकेट अंजूबाला ने बताया कि, मैं उन दिनों चंडीगढ़ हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रही थी। इसी बीच 23 दिसंबर 1995 को डीएवी स्कूल के 7वें वार्षिकोत्सव में भीषण अग्निकांड हुआ। इसमें 222 विद्यार्थी और 26 नौनिहाल तथा 150 महिलाएं 44 पुरुष सहित कुल 442 लोगों की जलकर मौत हो गई। 196 लोग घायल हुए। इस अग्निकांड में मेरे भाई जतिंद्र का 4 साल का बेटा रजत दावानल का काल का ग्रास बन गया जबकि दूसरा भतीजे महज ढाई साल के बॉबी का चेहरा झुलस गया। 

आज के दिन ऐसी सुलगी चिंगारी कि 21 साल बाद भी झुलसा रहे हैं जख्म

सरकार बदलने पर पीड़ित मुआवजे और इलाज के लिए भटकने लगे। जिसके बाद अगस्त 1996 में हाईकोर्ट में रिट दायर की। कोर्ट से सरकार द्वारा नि:शुल्क इलाज, शिक्षा और डीएवी की ओर से अनाथ बच्चों को गोद लेने की मांग की। हाईकोर्ट ने तुरंत प्रभाव से पीड़ितों के इलाज का भुगतान करने का आदेश दिया। बस इसी के साथ कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। घायलों में से 53 का इलाज आज 23वें साल भी जारी है। इन मरीजों को विश्वस्तरीय सर्जरी सुविधाओं इलाज की जरूरत है लेकिन सरकार इस पर सुध नहीं ले रही है। हालांकि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पीड़ितों को कुल 57 करोड़ 5 लाख 11 हजार रुपये मुआवजा मिला है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट स्थानीय कोर्ट के आदेश पर भी डीएवी ने अभी भी करीब साढ़े 3 करोड़ रुपये जमा नहीं कराए हैं। 

अग्निकांड पीड़ित संघ संस्थापक मास्टर हरपाल प्रवक्ता विनोद बंसल बताते हैं कि अग्निकांड पीड़ितों के लिए अंजूबाला की निशुल्क कानूनी सेवाओं के बिना आज उनके ज्यादातर परिवारों के मुख्यधारा में आना असंभव होता। डबवाली 7 उपमंडलन्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट में गुरुवार को अग्निकांड पीड़ित संघ के केस में सुनवाई हुई लेकिन कोर्ट में डीएवी स्कूल की ओर से रिकेल्कुलेशन के लिए हाईकोर्ट में रिट दायर किए जाने का एफिडेविट दिया गया। इससे कोर्ट ने आगामी सुनवाई के लिए 3 जनवरी की तारीख तय की है। अग्निकांड की 22वीं बरसी से ठीक एक दिन पहले गुरुवार 22 दिसंबर को एसडीजेएम रितु ने कोर्ट में दोनों पक्षों को सुना। 

इस दौरान अग्निकांड पीड़ित संघ की ओर से एडवोकेट वीएन जोशी ने पीड़ितों को मुआवजा वितरण के लिए डीएवी संस्थान की प्रॉपर्टी अटैच करने की दलील दी। वहीं मौके पर डीएवी संस्थान की ओर से एडवोकेट रविंद्र मोहन ने हाईकोर्ट में रिट दायर होने की दलील दी।

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