47 साल के बेटे के लिए छोड़ी 47 साल की राजनीति

Edited By Shivam, Updated: 19 Apr, 2019 12:54 PM

47 year old politics left for 47 year old son

केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने अपने 47 साल के आई.ए.एस. बेटे बृजेंद्र सिंह के लिए अपनी 47 साल की राजनीति छोड़ दी है। अब बीरेंद्र सिंह चुनावी राजनीति नहीं करेंगे। जिस साल बृजेंद्र का जन्म हुआ था,उसी साल उनके पिता बीरेंद्र सिंह ने पहला...

जींद (जसमेर ): केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने अपने 47 साल के आई.ए.एस. बेटे बृजेंद्र सिंह के लिए अपनी 47 साल की राजनीति छोड़ दी है। अब बीरेंद्र सिंह चुनावी राजनीति नहीं करेंगे। जिस साल बृजेंद्र का जन्म हुआ था,उसी साल उनके पिता बीरेंद्र सिंह ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था।

भाजपा ने हिसार संसदीय क्षेत्र से बृजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। उनको हिसार से भाजपा टिकट दिलवाने के लिए उनके पिता केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने भाजपा आलाकमान के सामने मजबूती से पैरवी की थी। इसके लिए बीरेंद्र सिंह ने अपनी 47 साल की राजनीति छोड़ दी। 47 साल के बेटे बृजेंद्र सिंह के लिए बीरेंद्र सिंह ने 47 साल की राजनीति छोडऩे का ऐलान करने में एक पल की भी देरी नहीं की। बृजेंद्र सिंह 13 मई 1972 को जन्मे थे और 1972 में ही उनके पिता बीरेंद्र सिंह ने पहला विधानसभा चुनाव जींद जिले के नरवाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर लड़ा था। बीरेंद्र सिंह ने अपने 47 साल के राजनीतिक जीवन में 8 विधानसभा और 3 लोकसभा चुनाव लड़े हैं। वह उचाना कलां से 1977,1982,1991,1996, 2005 में विधायक बने। हिसार संसदीय क्षेत्र से बीरेंद्र सिंह 1984,1989 और 1999 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े। वह 1984 में हिसार से सांसद बने तो 1989 और 1999 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

बृजेंद्र के सामने पहली बार कमल खिलाने की बड़ी चुनौती 
जींद, भिवानी और हिसार 3 जिलों में फैले हिसार संसदीय क्षेत्र में भाजपा की चुनावी राह कतई आसान नहीं है। भाजपा ने हिसार संसदीय क्षेत्र में 1967 से 2014 तक महज 3 चुनाव अकेले दम पर लड़े और इनमें जीत हासिल करना तो दूर,भाजपा कभी मुख्य चुनावी मुकाबले में भी नहीं आ पाई। बृजेंद्र सिंह के सामने हिसार में पहली बार कमल खिलाना बहुत बड़ी चुनौती होगी। हिसार संसदीय क्षेत्र जाट बाहुल्य है। लगभग 5 लाख जाट मतदाताओं वाले इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा की राजनीतिक जमीन कभी ज्यादा मजबूत नहीं रही।

हिसार में भाजपा की राजनीतिक जमीन कितनी कमजोर है,इसकी बानगी यह है कि भाजपा ने जब भी दूसरे दलों के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ा तो हिसार सीट कभी उसके हिस्से में नहीं आई। उसे हिसार सीट अपने गठबंधन के दूसरे दल के लिए छोडऩी पड़ी। 1977 में हिसार सीट जनता पार्टी के हिस्से में थी। 1980 में जनता पार्टी एस,1984 में दमकिपा,1996 में हविपा, 1998 में हविपा,1999 में इनैलो,2009 में इनैलो तथा 2014 में हजकां के साथ भाजपा का गठबंधन था और गठबंधन में कभी भी भाजपा को हिसार सीट चुनाव लडऩे के लिए नहीं मिल पाई।  

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