मैं तेरी नचाई नाचू सूं...इस दुनिया की औकात नहीं, 4 दिवसीय रत्नावली का रंगारंग आगाज

Edited By Punjab Kesari, Updated: 22 Feb, 2018 01:20 PM

4 day old ratnagali celebrates color

एस.डी.पी.जी कॉलेज में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित 4 दिवसीय रत्नावली युवा सांग महोत्सव का रंगारंग आगाज हुआ। इस युवा सांग महोत्सव का उद्घाटन मुख्यातिथि महॢष दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के हिंदी विभाग के पूर्व प्रो. डा. पूरन चंद शर्मा ने...

पानीपत(ब्यूरो): एस.डी.पी.जी कॉलेज में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित 4 दिवसीय रत्नावली युवा सांग महोत्सव का रंगारंग आगाज हुआ। इस युवा सांग महोत्सव का उद्घाटन मुख्यातिथि महॢष दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के हिंदी विभाग के पूर्व प्रो. डा. पूरन चंद शर्मा ने किया। वहीं विशिष्ट मेहमान के तौर पर डी.ए.वी कालेज करनाल प्राचार्य डा. आर.पी सैनी ने कार्यक्रम में शिरकत की। 
 

इस अवसर पर कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल, प्राचार्य डा. अनुपम अरोड़ा और हिंदी विभागाध्यक्ष डा. बालकिशन शर्मा ने अतिथियों का सम्मान किया। 21 से 24 फरवरी तक चलने वाले 4 दिवसीय सांग महोत्सव में प्रत्येक दिन एक सांग पेश किया और बीते दिन एस.डी. कालेज द्वारा इसका शुभारंभ किया गया। जिसके कलाकारों ने भक्त पूरनमल सांग का मार्मिक एवं अविस्मर्णीय प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की शुरूआत में नीरज और बबलू के हरियाणवी धमाल नृत्य से हुई। जिन्होंने छोरा मैं हरियाणे का गीत पर कमाल का नृत्य कर के सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। अंकित ने भोले शंकर पर एक धार्मिक गीत गाया। निक्की संधू के हरियाणवी नृत्य को भी सराहना मिली।
 

इस दौरान मंच संचालन डा. संगीता गुप्ता द्वारा किया। सांग महोत्सव में आकर्षण का केंद्र दूर-दराज गांवों से आए हुए बुजुर्ग और हरियाणवी को जानने-समझने वाले दर्शक रहे। रणधीर सिंह पूर्व जिलेदार और राम कुमार पूर्व उच्च शिक्षा विभाग अधिकारी ने भी प्रस्तुति को हरियाणवी संस्कृ ति का संरक्षक बताया। वहीं सुमेर सिंह इसराना, कन्हैया लाल पांचाल, माह सिंह फुलिया, मा.चंद्रभान गाहल्याण करहंस, धर्मपाल सिवाच व महेंद्र सिंह पावटी समालखा आदि ने भी सांग का आनंद लिया। 
 

मुख्यातिथि डा. बालकिशन शर्मा ने कहा कि हरियाणवी साहित्य को संजोने और संवारने का सारा जिम्मा डा. पूरन चंद शर्मा ने बखूबी निभाया है। कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल ने कहा कि सांग महोत्सव से छात्रों को हरियाणवी संस्कृति, लोक काव्य और कला के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। प्राचार्य डा. अनुपम अरोड़ा ने कहा कि महोत्सव का मकसद हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देना और नए एवं उभरते युवा कलाकारों को मौका देना है। इस मौके पर डा. मुकेश पूनिया, डा. सुरेंद्र कुमार वर्मा, डा. राकेश गर्ग, प्रो. मयंक अरोड़ा, प्रो. बलजिंद्र सिंह व दीपक मित्तल आदि सहित स्टाफ मौजूद रहा। 

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