25,000 बच्चों के भविष्य पर संकट, नहीं हो पाया एनरोलमैंट

Edited By Deepak Paul, Updated: 24 Dec, 2018 10:22 AM

25 000 children s future crisis not possible enrollment

हरियाणा सरकार भले ही शिक्षा को लेकर अनेक कदम उठाने का दावा करती है, लेकिन आज भी प्रदेशभर के 600 निजी स्कूलों में पढऩे वाले करीब 25 हजार बच्चों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। निजी स्कूल के 8वीं कक्षा के बच्चों का अभी तक बोर्ड से एनरोलमैंट...

रोहतक(दीपक): हरियाणा सरकार भले ही शिक्षा को लेकर अनेक कदम उठाने का दावा करती है, लेकिन आज भी प्रदेशभर के 600 निजी स्कूलों में पढऩे वाले करीब 25 हजार बच्चों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। निजी स्कूल के 8वीं कक्षा के बच्चों का अभी तक बोर्ड से एनरोलमैंट नहीं भरा गया, जिस कारण वह परीक्षा नहीं दे पाएंगे व उनका भविष्य संकट में फंस गया है। शिक्षा निदेशालय व जिला शिक्षा विभाग की लापरवाही के बीच प्रदेशभर के 600 निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। 8वीं कक्षा में बोर्ड से एनरोलमैंट करवाने की 25 दिसम्बर आखिरी तिथि है।

भिवानी बोर्ड अपनी पल्ला झाड़ते हुए शिक्षा निदेशालय पर बात डाल रहा है तो शिक्षा निदेशालय जिला शिक्षा विभाग के पाले में गेंद फेंक रहा है। आखिरी तिथि नजदीक है और अभी तक बच्चों के एनरोलमैंट को लेकर न तो शिक्षा विभाग की तरफ से और न ही शिक्षा निदेशालय की तरफ से कोई नोटिफिकेशन जारी हुआ है। 25 हजार बच्चों को विभाग की तरफ से एम.आई.एस. कोड भी मिला हुआ है, लेकिन विभाग उनका रिकार्ड न होने की बात कर रहा है। 

क्यों जरूरी है एनरोलमैंट करवाना 
भिवानी बोर्ड की तरफ से बच्चों का पहले 9वीं कक्षा में एनरोलमैंट करवाया जाता था, इस बार यह 8वीं कक्षा में करवाना जरूरी कर दिया है। जिन बच्चों का एनरोलमैंट हो गया है, केवल वही बच्चे 9वीं कक्षा में दाखिला ले पाएंगे और 10वीं की बोर्ड परीक्षा भी दे सकेंगे लेकिन जो बच्चे एनरोलमैंट नहीं कर पाए, वे परीक्षा में भाग नहीं ले सकते। 

मुख्यालय पर देंगे धरना: नांदल
हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के जिलाध्यक्ष रविंद्र नांदल का कहना है कि बच्चों का एनरोलमैंट नहीं होता है तो वह मुख्यालय पर जाकर धरना देंगे। 

बच्चों के भविष्य से बढ़कर कुछ नहीं:  कुंडू
संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू का कहना है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। विभाग को ही अपनी गलती सुधारनी होगी और बच्चों का एनरोलमैंट करना होगा।

डा. जगबीर सिंह, चेयरमैन, भिवानी बोर्ड 
स्कूलों को अभी तक मान्यता ही नहीं मिली होगी। अगर एक साल की मान्यता मिली है तो वह अपने कागज दिखाएं। या तो स्कूल संचालक मान्यता को लेकर झूठ बोल रहे हैं या फिर उन्होंने बोर्ड की एफिलेशन फीस जमा नहीं करवाई होगी। वह बोर्ड की फीस जमा करवाकर एनरोलमैंट को जनरेट करवा सकते हैं। स्कूल संचालक अपने कागज लेकर भिवानी बोर्ड आकर मिलें। 

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