Edited By Shivam, Updated: 23 Dec, 2019 04:11 PM
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर के प्रयासों ने आखिर सफलता हासिल कर ही ली, उनके इन प्रयासों से 2005 हरे-भरे पेड़ विकास की भेंट चढऩे से बच गए। दरअसल, पानीपत में जीटी रोड से बरसत रोड पुल तक ड्रेन न. 2 की पट्टी पर लगे 2005 वृक्षों को काटकर सड़क बनाने की...
पानीपत (अनिल कुमार): आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर के प्रयासों ने आखिर सफलता हासिल कर ही ली, उनके इन प्रयासों से 2005 हरे-भरे पेड़ विकास की भेंट चढऩे से बच गए। दरअसल, पानीपत में जीटी रोड से बरसत रोड पुल तक ड्रेन न. 2 की पट्टी पर लगे 2005 वृक्षों को काटकर सड़क बनाने की योजना को आरटीआई एक्टिविस्ट के प्रयास से रोक दिया गया। केन्द्र सरकार के जांच अधिकारी ने पीडब्लयूडी विभाग पानीपत द्वार सीएम अनाउसमेंट के तहत बनाई जाने वाली इस सड़क की स्कीम को गैरजरूरी बताते हुए वृक्षों को काटने की स्वीकृति ना देने की सिफारिश की है।
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने 10 अगस्त को केन्द्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को शिकायत भेजी थी। शिकायत में आरोप लगाया था कि सीएम घोषणा के तहत पीडब्लयूडी पानीपत के अधिकारी ड्रेन न. 2 के किनारे लगे हजारों वृक्षों को काटने जा रहे हैं। पीडब्लयूडी विभाग यहां 33 फीट चौड़ी सड़क बनाना चाहता है जबकि इस प्रस्तावित सड़क के साथ 100 फीट चौड़ी सड़क पहले से ही मौजूद है। बेवजह इन हरे भरे हजारों वृक्षों को काटने से पहले से खराब पानीपत के पर्यावरण को भारी नुकसान होगा। इस तत्काल रोका जाए।
इसके विरूद्ध कपूर ने हजारों इशतहार भी बांटे। आरटीआई आवेदन लगाकर सूचनाएं इक_ी की। गत 23 अगस्त को जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के समालखा आगमन पर पर्चे बांटते हुए कपूर को समालखा पुलिस ने पकड़कर तीन घंटे तक पुलिस हिरासत में भी रखा था।
कपूर की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जयवायु परिवर्तन मंत्रालय के महानिदेशक ने क्षेत्रीय कार्यलय चंडीगढ़ से मौका की जांच रिपोर्ट तलब की। गत 27 नवम्बर को केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रायल के टैक्नीकल ऑफिसर रविन्द्र सिंह ने वन विभाग, पीडब्लयूडी विभाग व सिंचाई विभाग के अधिकारियों व शिकायतकर्ता सहित मौका पर पहुंचकर जांच की। मौका पर निरीक्षण के वक्त डिवीजनल फारेस्ट ऑफिसर निवेदिता, पीडब्लयूडी विभाग के एसडीओ एसपी सिंगला, सिंचाई विभाग के जेई रीश कुमार व शिकायतकर्ता पीपी कपूर मौजूद रहे। इस जांच रिपोर्ट को मंत्रालय के रीजन ऑफिस चंडीगढ़ के डीआईजी (फॉरेस्ट) एसडी शर्मा ने 11 दिसम्बर को भारत सरकार को भेज दिया है।
जांच रिपोर्ट व सिफारिशें:-
सिंचाई विभाग के स्वामित्व वाली संरक्षित वन क्षेत्र घोषित भूमि पर कुल 2005 वृक्ष लगे हैं। प्रस्तावित सड़क निर्माण के मौका से मात्र 90 मीटर की दूरी पर 100 फीट चौड़ी वैकल्पिक सड़क पहले से ही मौजूद है। सड़क चौड़ी करने का कोई प्रस्ताव फारेस्ट कन्जरवेशन एक्ट-1980 के तहत अनुमति के लिए वन विभाग पानीपत को प्राप्त भी नहीं हुआ है। इसलिए सेक्टर 18 के साथ जीटी रोड से बरसत रोड पुल तक संरक्षित वन्य क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
भविष्य में संरक्षित वन्य क्षेत्र में (जीटी रोड से बरसत रोड तक) सैक्टर 18 की सड़क के चौड़ीकरण का कोई प्रस्ताव भारत सरकार को वन्य संरक्षण अधिनियम 1980 के सैक्शन- 2 के तहत पूर्व अनुमति लेने के लिए मिलता भी है तो उस पर विचार नहीं होगा, क्योंकि मौका पर वैकल्पिक रोड पहले से ही मौजूद है।