Edited By Nisha Bhardwaj, Updated: 04 Jun, 2018 10:30 AM
जब सरकार ने जींद व आस-पास के क्षेत्र के दलितों की मांगें नहीं मानी तो उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। दलित परिवारों के करीब 120 लोगों ने दिल्ली के लदाख बौद्ध भवन में जाकर यह धर्म अपनाया।
जींद(विजेंदर कुमार): जब सरकार ने जींद व आस-पास के क्षेत्र के दलितों की मांगें नहीं मानी तो उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। दलित परिवारों के करीब 120 लोगों ने दिल्ली के लदाख बौद्ध भवन में जाकर यह धर्म अपनाया।
113 दिनों से बैठे थे धरने पर
दलित समाज के नेता दिनेश खापड़ का कहना है कि वे पिछले करीबन 113 दिन से जींद में धरने पर बैठे थे लेकिन सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही थी। कई बार दलित समाज का शिष्टमंडल मुख्यमंत्री से मिला लेकिन हर बार आश्वासन ही दिया गया। इनका कहना है कि उनकी मांगें कोई नई नहीं है बल्कि वे हैं जिनके बारे में सरकार खुद घोषणा का चुकी है। अब सरकार घोषणा करने के बाद अपने वायदे से मुकर रही है।
दलितों की प्रमुख मांगें
उनकी प्रमुख मांगों में झांसा गैंग रेप की सीबीआई जांच, ईश्वर हत्याकांड के परिजनों को नौकरी, जम्मू में शहीद हुए दलित के परिवार को नौकरी, एससीएसटी एक्ट में अध्यादेश लाना प्रमुख था।
लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म
लोगों ने कहा कि जब सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो दिल्ली के लदाख बौद्ध भवन में जाकर उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया। हिन्दू समाज के ठेकेदार दलितों का शोषण करने लगे थे। ऐसे में धर्म परिवर्तन मजबूरी बन गया था। बौद्ध धर्म सिखाता है कि इंसान-इंसान में कोई भेदभाव नहीं है, सभी समान है।