11 को जींद सहित प्रदेश में रेल ट्रैक बंद करने पर अड़े किसान

Edited By Isha, Updated: 09 Jun, 2019 01:41 PM

11 farmers with sticks to stop rail track in jind with jind

जुलाना क्षेत्र के 8 गांवों के किसानों की संघर्ष समिति 11 जून को जिले में दिल्ली-भटिंडा रेलवे सैक्शन सहित पूरे प्रदेश में रेल ट्रैक बंद करने पर अड़ी है। उसके रेल ट्रैक बंद करने के अल्टीमेटम

जींद (जसमेर): जुलाना क्षेत्र के 8 गांवों के किसानों की संघर्ष समिति 11 जून को जिले में दिल्ली-भटिंडा रेलवे सैक्शन सहित पूरे प्रदेश में रेल ट्रैक बंद करने पर अड़ी है। उसके रेल ट्रैक बंद करने के अल्टीमेटम में अब महज 2 दिन रहते प्रशासन की परेशानी पर ङ्क्षचता की लकीरें गहरी हो गई हैं। ङ्क्षचतित प्रशासन ने समाधान के प्रयास तेज कर दिए हैं। प्रयासों के तहत शनिवार दोपहर बाद जींद के डी.सी. कार्यालय में प्रशासन और आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधियों के बीच डेढ़ घंटे तक मैराथन बैठक हुई। बैठक में विवाद का कोई समाधान नहीं निकल पाया। बैठक के बेनतीजा रहने से अब जींद में हालात गंभीर दिशा में चल पड़े हैं। 

कुरुक्षेत्र के ईस्माइलाबाद से नारनौल तक निकाले जा रहे ग्रीन फील्ड नैशनल हाईवे नंबर 152-डी के लिए जुलाना के जिन 8 गांवों की जमीन अधिगृहीत की गई है, उन गांवों के किसान अधिगृहीत जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले लगभग 58 दिन से जुलाना में धरने पर बैठे हैं। किसानों की संघर्ष समिति ने 11 जून को रेल ट्रैक रोकने का अल्टीमेटम जींद प्रशासन और सरकार को दिया हुआ है। आंदोलनकारी किसानों का नेतृत्व कर रहे रमेश दलाल, होशियार सिंह दलाल और राजमल लाठर का कहना है कि 11 जून को पूरे प्रदेश में रेल ट्रैक रोक दिए जाएंगे। इसके लिए 29 प्वाइंट निर्धारित किए गए हैं। 13 जून को दिल्ली और गुरुग्राम का पानी किसान बंद कर देंगे। 15 जून से हरियाणा बंद कर दिया जाएगा। 

किसान नेता रमेश दलाल ने कहा कि प्रशासन किसानों के साथ धोखा कर रहा है। जुलाना के बुढ़ाखेड़ा लाठर गांव के किसानों को नैशनल हाईवे के लिए जमीन का अधिग्रहण किए जाने पर 2 साल पहले 39 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया था। यह जमीन नैशनल हाईवे पर न होकर इसके पीछे थी। अब जुलाना के जिन 8 गांवों के किसानों की जमीन का ग्रीन फील्ड नैशनल हाईवे के लिए अधिग्रहण किया जा रहा है, उन किसानों को साढ़े 11 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया है। इससे बड़ा धोखा किसानों के साथ नहीं हो सकता।  किसानों को छोटे-बड़े 173 किसान संगठनों का समर्थन हासिल है। 

यह कहते हैं डी.सी. 
डी.सी. डा. आदित्य दहिया ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों से लगातार बातचीत की जा रही है। जमीन के कलैक्टर रेट बढ़ाने से दूसरे किसानों को दिक्कत होगी। जींद प्रशासन यह चाहता है कि जिन किसानों की जमीन नैशनल हाईवे नंबर 152-डी के लिए अधिगृहीत की गई है, उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा मिले और इसके लिए जींद प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। किसानों को चाहिए कि वह प्रशासन के साथ बातचीत कर विवाद का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकाले। रेल और रोड रोकने से लोगों को परेशानी होती है। किसानों को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दूसरे लोगों को परेशानी हो।  

प्रशासन ङ्क्षचतित, समाधान में जुटा
अल्टीमेटम के सिर पर आ जाने से अब जींद प्रशासन बेहद ङ्क्षचतित है। डी.सी. डा. आदित्य दहिया पिछले 5 दिनों में 2 बार किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर चुके हैं। किसान रेल  ट्रैक नहीं रोककर शांतिपूर्ण तरीके से मांगों पर जोर दें, इसके लिए 4 जून को डी.सी. डा. आदित्य दहिया तथा किसान प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई थी। 7 जून को फिर डीसी डा. आदित्य दहिया ने किसानों के प्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन किसान प्रतिनिधि बैठक में भाग लेने के लिए नहीं पहुंच पाए। शनिवार दोपहर बाद डी.सी. कार्यालय में प्रशासन और किसान प्रतिनिधियों के बीच लगभग डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई। इसमें डी.सी. डा. आदित्य दहिया, एस.डी.एम. सत्यवान मान, डी.एस.पी. कप्तान सिंह, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राजेश खोथ तथा किसानों की तरफ से भारत भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश दलाल, अजीत, अनिल, हमीर सिंह, पटेल, रामभज, रोहताश आदि शामिल हुए। बातचीत में डी.सी. डा. आदित्य दहिया ने किसान प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि किसानों की बढ़े हुए मुआवजे की मांग पर सरकार और प्रशासन गंभीरता से विचार कर रहे हैं। किसानों के हितों पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी।  

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