लोग्गां नैं दम घौंट-घौंट मारण लाग रे सैं कई उद्योग

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 20 Jul, 2018 11:50 AM

many people have been hurt

औद्योगिक इकाइयां लगातार लोगों की सेहत के लिए खतरा साबित हो रही हैं। हाल ही में पानीपत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण...

अम्बाला(मीनू): औद्योगिक इकाइयां लगातार लोगों की सेहत के लिए खतरा साबित हो रही हैं। हाल ही में पानीपत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से ऐसी 8 इकाइयों के खिलाफ हुई कार्रवाई से प्रदेश के दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों में भी हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। कई उद्योग प्रदूषण के मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। बोर्ड की यह कार्रवाई अभी और लंबी चलेगी। प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते ऐसी इकाइयों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

कई उद्योगों में प्रदूषण के मानकों की अनुपालना नहीं होती। इससे हवा से लेकर पानी तक में प्रदूषण फैलता है। प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। पानीपत में जिन यूनिटों को सील किया गया है उनमें प्रदूषण के मानक सही नहीं पाए गए थे। इन यूनिटों के बिजली कनैक्शन भी काटने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे यूनिटों की प्रदेश स्तर पर संख्या सैंकड़ों में हैं। प्रदेश के गुरुग्राम, मानेसर, धारूहेड़ा और बावल आदि क्षेत्रों में भी कई उद्योगों में प्रदूषण के मानकों की पालना नहीं की जा रही है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के लिए ऐसे यूनिट ‘दुधारू गाय’ की तरह होते हैं। 

विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी ऐसे उद्योगों पर कार्रवाई करने की बजाय अपनी जेब गर्म करने का काम करते हैं। टीम को बिना सूचना दिए ही दिल्ली की टीम ने मई में 40 इंडस्ट्रियों से सैम्पल लिए थे। इनमें से 8 की रिपोर्ट आ गई है। बोर्ड टीम ने जो जांच रिपोर्ट दी उसके अनुसार ये इंडस्ट्रियां न सिर्फ पानी खराब कर रही हैं, बल्कि हवा को भी दूषित कर रही हैं इसलिए बोर्ड ने सभी इंडस्ट्रियों को बंद रखने का निर्देश दिया है। बोर्ड के आदेश के बाद सबसे पहले अब इन औद्योगिक इकाइयों के बिजली कनैक्शन काटे जाएंगे। 

बोर्ड ने पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 की धारा 5 के तहत इंडस्ट्री में बिजली उपयोग को वेस्टेज बताते हुए कनैक्शन काटने के आदेश दिए हैं। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने आदेश दिया है कि सभी यूनिट ऐसा ई.टी.पी. प्लांट लगाएं जिससे प्रदूषण नियंत्रण में रहे। प्लांट लगने के बाद इन सभी यूनिटों को बोर्ड से अनुमति लेनी होगी, उसके बाद ही इंडस्ट्रियां दोबारा चल पाएंगी। 32 अन्य औद्योगिक इकाइयों की रिपोर्ट 10 दिन में आ जाएगी। इस कदम से पानीपत के उद्यमी निराश हैं और उनमें अब बेचैनी है। जांच के दौरान इन 32 औद्योगिक इकाइयों में भी कमियां पाई गई थीं। इन पर भी ताला लगना तय है। इन डाइंग यूनिटों पर ताला लगने से पूरा टैक्सटाइल उद्योग प्रभावित होगा।
 

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