Edited By Rakhi Yadav, Updated: 18 Jun, 2018 07:58 AM
अर्थशास्त्र की छात्रा ने भाजपा का गणित बिगाड़ते हुए कैथल नगर परिषद के चेयरमैन पद पर कब्जा कर लिया था। पार्टी के तमाम प्रयासों पर पानी फरते हुए सीमा कश्यप ने पाला बदलकर बाजी एक झटके में पलट दी थी। उन्हें चेयरमैन डिक्लेयर तो कर दिया ....
अम्बाला (वत्स, मीनू): अर्थशास्त्र की छात्रा ने भाजपा का गणित बिगाड़ते हुए कैथल नगर परिषद के चेयरमैन पद पर कब्जा कर लिया था। पार्टी के तमाम प्रयासों पर पानी फरते हुए सीमा कश्यप ने पाला बदलकर बाजी एक झटके में पलट दी थी। उन्हें चेयरमैन डिक्लेयर तो कर दिया लेकिन अभी तक शपथ दिलवाने के लिए नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। करीब 20 दिन का समय बीतने के बावजूद सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी न करना सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है।
नगर परिषद के चुनाव होने के बाद पूरी बाजी भाजपा के हाथ में थी। भाजपा की ओर से उसके पास 17 पार्षद होने के दावे किए जा रहे थे। भाजपा के निर्वाचित पार्षद इस मामले को लेकर सी.एम. मनोहर लाल खट्टर से भी मिले थे। नगर परिषद के इन चुनावों में कुल 31 पार्षद विजयी हुए थे। एक वोट भाजपा के सांसद रामचंद्र सैनी का और एक वोट कांग्रेस के विधायक रणदीप सुर्जेवाला का था।
जब भाजपा के पार्षदों ने सी.एम. से मिलकर अपना बहुमत होने की बात कही और चेयरमैन पद का फैसला खट्टर पर छोड़ दिया, तो खट्टर की ओर से पूजा अग्रवाल का नाम आगे कर दिया गया। सीमा का नाम आगे करने के बाद रणदीप अपना गेम खेलने में कामयाब हो गए। उन्होंने रातोंरात सीमा कश्यप को चेयरमैन बनाने का वायदा करते हुए उन्हें अपने पक्ष में करने का काम कर दिया। सीमा कश्यप बहुमत के साथ निर्वाचित हुई तो भाजपा खेमे को सांप सूंघ गया। भाजपा पार्षद भी यह समझ नहीं पाए थे कि आखिरकार यह खेल कैसे खेला गया।
माइक्रो इकोनोमिक्स की पढ़ाई कर रही सीमा कश्यप ने चुनाव तो जीत लिया, लेकिन अभी तक वह औपचारिक रूप से अपना काम नहीं संभाल पाई हैं। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही कश्यप को औपचारिक रूप से चेयरमैन माना जाएगा।विपक्षी दलों की ओर से यह आरोप लगाए गए हैं कि भाजपा सरकार कश्यप की इस जीत को हजम नहीं कर पा रही है। चेयरमैन पद की शपथ लिए बिना वह विकास कार्य नहीं करा पा रही हैं, जिससे कैथल में विकास कार्य अटक रहे हैं। अब देखना यह है कि आखिर सरकार नोटिफिकेशन जारी करने में कितना समय और लगाती है।