ओआरओपी के किन बिंदुओं पर असहमत हैं पूर्व सैनिक

Edited By Updated: 19 Apr, 2016 06:23 PM

tribunal retire notification dissatisfied budget

केंद्र सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों की मांगें स्वीकार किए जाने के बावजूद उनका रोष शांत नहीं हुआ है। दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलनरत

केंद्र सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों की मांगें स्वीकार किए जाने के बावजूद उनका रोष शांत नहीं हुआ है। दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलनरत इन सैनिकों की शिकायत है कि संसद में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया गया है। भगत सिंह कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है। इनका मानना है सरकार जिस ओआरओपी की बात कर रही है वह अधूरी है, जिसे वे नहीं मानेंगे। उन्होंने सरकार को लगातार पत्र लिखे हैं,लेकिन अभी तक किसी का जवाब नहीं आया। इससे निराश होकर चंडीगढ़ आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल में याचिकाएं दायर कर दी गई हैं। हाल में विदेश राज्य मंत्री वीेके सिंह ने बताया था कि ओआरओपी का करीब 95 प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। प्रश्न उठता है कि फिर कहां कमी रह गई है कि इन सैनिकों को आंदोलन जारी रखने और याचिकाएं दायर करने के लिए मजबूर होना पड़ा। दोनों पक्षों में समन्वय की कहां कमी रह गई है ? 

यह मांग कुछ महीनों की नहीं,बल्कि चार दशकों से की जा रही है। पिछले साल मोदी सरकार ने इसे लागू करने के न्यायिक समिति गठित की थी। पटना हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी को इसका अध्यक्ष बनाया था। वन रैंक वन पैंशन यानि ओआरओपी की मांग कर रहे ये सैनिक किन कारणों से दिल्ली के जंतर मंतर पर जुट गए। उन्हें क्यों ऐलान करना पड़ा कि वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे।  पूर्व सैनिक क्या चाहते हैं सरकार को उनसे बातचीत करनी चाहिए। 

गौर करना होगा कि यह व्यवस्था अंग्रेजों के समय में चली आ रही है। पूर्व सैनिकों की पैंशन वेतन की करीब 80 प्रतिशत होती थी जबकि सामान्य सरकारी कर्मचारी की 33 प्रतिशत हुआ करती थी। भारत सरकार ने इसे सही नहीं माना। वर्ष 1957 के बाद से पूर्व सैनिकों की पैंशन कम कर दी गई और अन्य क्षेत्रों की पेंशन बढ़ती रही। देखा जाए तो पूर्व सैनिकों की पेंशन की तुलना सामान्य सरकारी कर्मचारियों से नहीं की जा सकती। सामान्य सरकारी कर्मचारी को 60 साल तक वेतन लेने की सुविधा मिलती है, वहीं सैनिकों को 33 साल में ही रिटायर होना पड़ता है। उनकी सर्विस के हालात भी अधिक कठिन होते हैं। पूर्व सैनिक चाहते हैं कि 1 अप्रैल 2014 से ये योजना छठे वेतन आयोग की सिफरिशों के साथ लागू हो। यदि असली संतुलन लाना है तो उन्हें भी 60 साल की आयु में रिटायर किया जाए। वे 33 साल में ही रिटायर होने के बाद सारा जीवन केवल पैंशन से ही गुजारते हैं। ऐसे में उनकी पैंशन के प्रतिशत को कम नहीं करना चाहिए। 

इन सैनिकों की परेशानी यह है कि 1 जनवरी 1973 से पहले जवानों और जेसीओ को वेतन का 70 फीसदी पैंशन के रूप में मिलता था। उस समय सिविल अधिकारियों के वेतन की 30 फीसदी पैंशन मिलती थी। इसे बाद में 50 फीसदी कर दिया गया, जबकि फौज के जवानों की पेंशन वेतन के 70 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी कर दी गई। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उसने यह कदम क्यों उठाया? इन सैनिकों का कहना है कि 1973 के बाद सशस्त्र सेनाओं पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। सरकार को बताना चाहिए कि वह क्या कर रही है। 

रक्षा मंत्रालय की वन रैंक वन पैंशन योजना को चंडीगढ़ आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में चुनौती दी गई है। एक ही दिन में ओआरओपी के खिलाफ कुल आठ याचिकाएं दायर हुईं। मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद यह पहली बार हुआ है जब किसी ट्रिब्यूनल में वन रैंक वन पेंशन को चुनौती दी गई हो। इससे जाहिर होता है कि कहीं न कहीं कमी छूट गई थी जिससे पूर्व सैनिक असंतुष्ट हैं। इनमें से कई पैंशनरों की उम्र करीब 80 से 90 की साल है। उम्र के इस पड़ाव में ये परेशानी के जिस दौर से गुजर रहे हैं उसे समझा जाना चाहिए।

ध्यान देना होगा कि यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में वन रैंक-वन पेंशन योजना की घोषणा की थी। अंतरिम बजट में इसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव में वह सत्ता से बाहर हो गई। नरेंद्र मोदी ने भी सितंबर 2013 में अपनी एक रैली में वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनी तो इस योजना पर तुरंत अमल होगा। एनडीए सरकार का जुलाई 2014 में पहला बजट आया। इसमें 1000 करोड़ रुपए इस योजना के लिए रखे गए। मोदी सरकार को सत्ता में आए दो साल होने वाले हैं,क्या कारण है कि पूर्व सैनिकों की समस्या का पूरा हल नहीं निकल पा रहा है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!