बदलाव की दिशा में सरकार का एक और सकारात्मक कदम

Edited By Updated: 31 Mar, 2016 05:05 PM

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राजनीति के अपराधीकरण और राजनीति के गिरते स्तर को रोकने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने जरूरी हो गए थे। इस दिशा में

राजनीति के अपराधीकरण और राजनीति के गिरते स्तर को रोकने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने जरूरी हो गए थे। इस दिशा में हरियाणा सरकार एक और पहल की है। पंचायत चुनाव की तरह अब नगर निकाय चुनाव लड़ने के लिए नए नियम लागू किए जा रहे हैं। इनमें भी शैक्षिक योग्यता अनिवार्य कर दी गई है। उम्मीदवार पर किसी प्रकार का बैंक कर्ज नहीं होना चाहिए। उसका बिजली बिल बकाया न हो और घर में शौचालय होना चाहिए। शहरी स्थानीय निकायों को मजबूत करने और पदाधिकारियों की दक्षता, पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाने के मकसद से हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2016 और हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2016 सर्वसम्मति से पारित किया गया है। इससे शहरी स्थानीय निकायों के सदस्यों की कार्यशैली में सुधार आएगा और दूरगामी परिणाम निकलेंगे।  

राजस्थान के बाद हरियाणा सरकार की इस व्यवस्था से अब भारत उन देशों की कतार में शामिल हो गया है, जहां चुनाव लड़ने के लिए किसी न किसी किस्म की शैक्षिक योग्यता की जरूरत पड़ती है। भूटान और लीबिया, दोनों देशों में संसदीय चुनाव लड़ने के लिए आप का कम-से-कम स्नातक होना जरूरी है। केन्या और नाइजीरिया में स्कूली शिक्षा पूरी करना जरूरी है। शैक्षिक योग्यता तय करने के पीछे तर्क दिया गया है कि पंचायतों और शहरी निकायों को लाखों रुपए का फंड मिलता है। उसमें प्राय:गबन की शिकायत आती हैं। जनप्रतिनिधि शिक्षित नहीं होते हैं, वे नहीं जान पाते कि किस कागज पर उनसे अंगूठा लगवाया गया। शहरी निकाय चुनाव के उम्मीदवार के लिए अब दसवीं या इसके बराबर की परीक्षा पास होना,महिला और अनुसूचित जाति से संबंधित उम्मीदवार के लिए आठवीं पास होना अनिवार्य है। अनुसूचित जाति से संबंधित महिला उम्मीदवार के लिए न्यूनतम योग्यता पांचवी पास होगी।

प्रदेश में कई प्रयासों के बावजूद लोगों की खुले में शौच की आदत नहीं छूट रही हे। इसे रोकने के लिए सरकार ने नियम बना दिया है कि उम्मीदवार के घर में शौचालय होना बहुत जरूरी है। घर में शौचालय बनवाने से वातावरण में शुद्धता तो आती ही है,महिलाओं के प्रति यौन हिंसा में भी कमी आएगी। खुले में शौच करने की प्रवृत्ति और गंदगी पर अंकुश लगाने के लिए जन सहयोग जरूरी है। लोगों को शौचालय निर्माण व इसके प्रयोग के लिए प्रेरित करना होगा। जनप्रतिनिधि ही लोगों को समझाएंगे कि शौचालय निर्माण पर इतना खर्च नहीं होता जितना गंदगी से होने वाली बीमारियों के इलाज में आता है।

नगर पालिका या निगम के चुनाव के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है​ कि उम्मीदवार प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाइटी, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक या प्राथमिक सहकारी कृषि ग्रामीण विकास बैंक का लोन डिफॉल्टर न हो। बैंक​ डिफाल्टर होना आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। धोखाधड़ी के कारण प्रॉपर्टी का सही मूल्यांकन न होने से बैंकों में लोन के डिफॉल्टर केस बढ़े हैं और बैंकों के नुक्सान का ग्राफ बढ़ा है। सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता जा रहा है। राजनीति में अपराधीकरण रोकने की दिशा में यह कदम उठाया गया है।

हरियाणा में उपभोक्ताओं पर करोड़ों रुपयों के बिजली बिल बकाया हैं। नए नियम के अनुसार यदि उम्मीदवार पर बिजली बिल बकाया नहीं होगा तभी वह चुनाव के लिए नामांकन भर सकेगा। इससे बिजली निगम को फायदा होगा। उसे लाखों रुपयों का लंबित भुगतान मिलेगा। इस शर्त का कमाल पंचायत चुनाव के दौरान जींद में देखने को मिला था। वहां कई सालों से लंबित पड़े बिलों के साढे पांच करोड़ रुपए का भुगतान दस दिनों में कर दिया गया था।

प्रदेश में नए बदलाव का सूत्रपात तभी होगा जब शिक्षित और अपराध से मुक्त जनप्रतिनिधि इसके प्रतीक बनेंगे। जनता उनका अनुसरण करेगी तो बड़े पैमाने पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। जिन्हें स्थानीय शासन चलाने की जिम्मेदारी देने के लिए चुना गया है योग्यता के तय मानकों पर उनका खरा उतरना जरूरी है। तभी वे जनता को इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे।

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