आम बजट : कुछ को राहत,शेष आहत... वे इंतजार ही करते रह गए

Edited By Updated: 21 Mar, 2016 06:50 PM

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हरियाणा को अ​स्तित्व में आए करीब 50 साल हो चुके हैं। अनुमान लगाया जा रहा था कि खट्टर सरकार अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश

हरियाणा को अ​स्तित्व में आए करीब 50 साल हो चुके हैं। अनुमान लगाया जा रहा था कि खट्टर सरकार अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश करेगी। इसमें कई नई योजनाएं शुरू करने की घोषणा की जाएगी। सरकार ने आम जनता को राहत देने का प्रयास तो किया है,लेकिन उसने अपने सभी चुनावी वायदे पूरे नहीं किए। इससे संबद्ध वर्गों में नाराजगी जायज है। उन्हें यही इंतजार था कि जाट आंदोलन समाप्त होने के बाद सरकार जब आम बजट पेश करेगी तो उन्हें भी सहूलियतें दी जाएंगी। उनके हाथ खाली हैं।

सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। उसे ध्यान देना होगा कि प्रभावित किसान को बीमा राशि समय पर मिले। वह सरकारी कार्यालयों के बार—बार चक्कर न काटता रहे। बजट के तहत किसानों के लिए दो बड़े कदम और उठाए जाने वाले हैं। पहला है किसानों को सस्ती बिजली आपूर्ति को सब्सिडि के लिए 6800 करोड़ का प्रावधान किया जाएगा। पर्याप्त बारिश न होने से किसान के समक्ष सिंचाई का संकट उत्पन्न हो जाता है। वह ट्यूबवेल के सहारे अपने खेत की जरुरत को पूरा करता है। यदि उसे सस्ती दरों पर बिजली मिलेगी तो वह अपनी फसल को बचा पाएगा। दूसरा कदम है हर खेत को पानी उपलब्ध करवाने की योजना। किसान को इसका लाभ तभी होगा जब पानी की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा लगातार निगरानी रखी जाएगी। 

बजट के मुताबिक हरियाणा रोडवेज में 600 बसें शामिल की जाएंगी। बसें डिपो में खड़ी—खड़ी बेकार न हो जाएं इसके लिए पर्याप्त स्टाफ की भर्ती भी समय पर करनी होगी। कई जिलों के बस डिपो में बड़ी संख्या में बसें चालक​ और कडंक्टर न होने की वजह से यूं ही खड़ी रहती हैं। राज्य के परिवहन मंत्री कई बार कह चुके हैं कि नए स्टाफ की भर्ती जल्द की जाएगी। अब उपयुक्त समय आ गया है बजटीय घोषणा के बाद इस दिशा में काम तेजी से होना चाहिए।

सरकार ने स्वास्थ्य बजट में भी बढ़ोतरी की है,लेकिन आए दिन खबरें सुनने और पढ़ने को मिलती हैं कि कई स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त दवाएं और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। डाक्टर गायब रहते हैं। नर्सें मनमानी करती हैं। सरकार का काम केचल बजट को बढ़ाकर समाप्त नहीं हो जाता। उसे यह भी देखना है कि आम आदमी को स्वास्थ्य सेवाओं का कितना लाभ मिल रहा है। दवाएं और उपचार मिलने से लोग क्या संतुष्ट हैं। 

एक अनुमान था इस बजट में टैक्स नहीं घटेंगे और आशंका थी कि चुनावी वायदों के पूरे होने के आसार भी कम ही हैं। और यही हुआ। अच्छी बात है कि सरकार ने कोई नया कर नहीं लगाया है। जनता को राहत देने का प्रयास किया गया है। इसके विपरीत उसने अपने कुछ वायदों की उपेक्षा भी की है। 10वीं और 12 वीं के स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने का वायदा पूरा नहीं हुआ। 100 घंटे काम के बदले 12वीं पास को 6000 और ग्रेजुएट्स को 9000 रुपए महीना भत्ता देने का वित्त मंत्री ने उल्लेख ही नहीं किया। सरकार ने वायदा किया था कि युवाओं को बिजनेस के लिए 10 लाख से एक करोड़ के लोन पर 3 लाख सब्सिडी दी जाएगी। वह इस पर खामोश रही। रोडवेज बसों में छात्राओं को मुफ्त यात्रा का वायदे के क्या हुआ। सरकारी कर्मचारियों में भी भारी निराशा है। पंजाब के बराबर उन्हें वेतनमान का वायदा सरकार फिर भूल गई। इस पर कर्मचारियों ने कई आंदोलन किए थे। हर बार उन्हें यही आश्वासन मिलता था कि समय आने पर पंजाब के समान  ही वेतनमान मिलेगा। आज बजट की घोषणाएं सुनकर कर्मचारियों को हताशा हुई है। आने वाले दिनों में प्रदेश में कर्मचारी आंदोलन की सुगबुगाहट से इंकार नहीं किया जा सकता।

सरकार ने वायदा किया था कि वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त तीर्थ यात्रा की सुविधा मिलेगी,लेकिन उनका ध्यान भी नहीं रखा गया। उम्र के इस मोड़ पर पहुंचने वाले इन नागरिकों को जितनी सुविधाएं दी जाएं,कम होती हैं। सरकार नजदीक के कुछ तीर्थस्थलों से इसका शुभारंभ कर सकती थी।

बहरहाल,मान लेते हैं कि राज्य पर एक लाख करोड़ के कर्ज बोझ है और अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर है। जाते—जाते हुड्डा सरकार नई सरकार पर भारी भरकम राजस्व घाटा भी छोड़ कर गई है। जाहिर है कि सरकार को पुराना कर्ज उतारने के लिए नया कर्ज लेना पड़ेगा,लेकिन वायदों पर सरकार की खामोशी अधिक पीड़ादायक होती है। उसे जनता को वास्तविक स्थिति और वायदे पूरे न करने के कारणों से जरूर अवगत कराना चाहिए।

 
 

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