साहित्यकारों का अवार्ड लौटाना नहीं है देशहित में : अकील

Edited By Updated: 29 Oct, 2015 05:21 PM

return the literary awards is not in favor of country  aqeel

कवि संगठन अदबी संगम के अध्यक्ष व शायर सिकंदर अकील ने कहा कि कवियों, साहित्यकारों को सरकार की ओर से

गुडग़ांव, (अशोक): कवि संगठन अदबी संगम के अध्यक्ष व शायर सिकंदर अकील ने कहा कि कवियों, साहित्यकारों को सरकार की ओर से दिए गए अवार्ड्स को उनके द्वारा लौटाए जाना देशहित में नहीं है। कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए यह नाटक रच रहे हैं। यह बात उन्होंने वीरवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कही। 

उन्होंने कहा कि साहित्यकारों, कवियों, शायरों द्वारा साहित्यकार एमएम कुलबर्गी की हत्या के विरोध में लौटाए गए अवार्ड किसी भी तरीके से सही नहीं है। किसी भी कलमकार को अपना विरोध कलम से दर्ज कराना चाहिए, न कि अवार्ड लौटाकर। यह तहजीब के खिलाफ है। अगर किसी को अवार्ड लौटाना है तो फिर अवार्ड लेना ही नहीं चाहिए। उन्होंने मुनव्वर राणा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार की ओर से उन्हें मुज्जफर नगर दंगों के बाद वर्ष 2014 में अवार्ड दिया गया था। उस समय भी तो माहौल खराब था। उन्हें अवार्ड लेना ही नहीं चाहिए था। अब ऐसा करके वह साहित्यकारों की कौम को बदनाम कर रहे हैं। उनका यह कहना भी हास्यास्पद है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे अवार्ड न लौटाने का आग्रह करें तो वे अवार्ड वापिस लेने पर विचार कर सकते हैं।
अकील ने कहा कि देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिससे साहित्यकारों का दम घुट रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं की चर्चा करते हुए संगठन के अध्यक्ष ने कहा है कि इससे विदेशों में भारत का कद और बढ़ा है। इस अवसर पर संगठन से जुड़े योगेश शर्मा, पुष्पा धनखड़ तथा सुरुचि साहित्या परिवार के मदन साहनी आदि भी मौजूद थे।

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