Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 28 Dec, 2024 07:45 PM
चुनाव का स्तर चाहे जो हो और सीट कहीं की भी क्यों न हो, स्थानीय, समर्पित और घर—घर तक पहुंच रखने वाले कार्यकर्ताओं की अनदेखी चुनावी परिणाम को लेकर राजनीतिक दलों पर भारी पड़ती रहती है।
गुड़गांव, ब्यूरो : चुनाव का स्तर चाहे जो हो और सीट कहीं की भी क्यों न हो, स्थानीय, समर्पित और घर—घर तक पहुंच रखने वाले कार्यकर्ताओं की अनदेखी चुनावी परिणाम को लेकर राजनीतिक दलों पर भारी पड़ती रहती है। दरअसल, स्थानीय मतदाताओं की नाराजगी के साथ पार्टी के अंदर भितरघात, उपेक्षा—भाव और अंतर्कलह से उबर पाना किसी भी पार्टी के लिए संभव नहीं हो पाता है और अंतत: उसे वह सीट गंवानी तक पड़ जाती है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दल पूरे जोश—ओ—खरोश के साथ जुट चुके हैं, ऐसे में कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा घोषित उम्मीदवारों को लेकर कानाफूसी भी शुरू हो चुकी है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण सीट है सदर बाजार। यहां से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने—अपने प्रत्याशी तक घोषित कर दिए हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इन दोनों दलों के प्रत्याशियों को लेकर अभी से मतदाताओं के बीच नाराजगी के भाव नजर आने शुरू हो गए हैं और दबे स्वर में पार्टियों से प्रत्याशी बदलने तक की मांग शुरू हो चुकी है। इसमें सबसे तेज स्वर कांग्रेस प्रत्याशी अनिल भारद्वाज को लेकर उभर रही है। स्थानीय जनता की मानें, तो सदर बाजार विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस के अनिल भारद्वाज बाहरी उम्मीदवार हैं, क्योंकि वह त्रिनगर से पूर्व विधायक रह चुके हैं। ऐसे में उनकी जीत में संशय है।
स्थानीय जनता का मानना है कि यदि इस महत्वपूर्ण सीट से विनम्र, जमीनी नेता, घर—घर में पहुंच रखने वाली, क्लस्टर झुग्गी और मुस्लिम क्षेत्र में भी समान रूप से लोकप्रिय तीन बार निगम पार्षद रह चुकी सुशिक्षित प्रेरणा सिंह को प्रत्याशी बनाया जाता, तो कांग्रेस के लिए चुनाव परिणाम कुछ अलग ही होता। वर्ष 2022 के निगम चुनाव में कांग्रेस की कमजोर स्थिति के कारण भले ही प्रेरणा सिंह चुनाव हार गई थीं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें 29% वोट हासिल हुए थे, जो कांग्रेस के औसत वोट प्रतिशत से तिगुना था। हालांकि, इस सीट पर भाजपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं।
जहां तक बात आम आदमी पार्टी की है, तो उसने यहां से वर्ष 2013, 2015 और 2020 में लगातार जीत हासिल कर हैट्रिक लगा चुके वर्तमान विधायक सोमदत्त पर ही अपना दांव खेला है, लेकिन सोमदत्त इस बार 10 साल की सत्ता विरोधी लहर से जूझते नजर आ रहे हैं। साथ ही अल्पसंख्यक मतदाता भी इस बार उनके खिलाफ दिख रहे हैं। वहीं, वर्ष 1993 से आज तक कभी भी सदर सीट पर अपना परचम फहरा पाने में नाकाम भाजपा की ओर से अब तक जिन तीन नामों पर विचार चल रहा है, उनमें जय प्रकाश, प्रवीण जैन और रविन्द्र गुप्ता का नाम सबसे ऊपर है।
खास बात यह कि जय प्रकाश तीन बार चुनाव हार चुके हैं, जबकि प्रवीण जैन दो बार पार्षद रह चुके हैं, जबकि एक बार हार चुके हैं। वह क्षेत्र में सक्रिय भी नहीं हैं। यही हाल रविन्द्र गुप्ता का है, जो मूल रूप से करोल बाग के निवासी हैं। इन हालातों के बीच अगर अनिल भारद्वाज की जगह टिकट की प्रबल और दमदार दावेदार प्रेरणा सिंह को सदर बाजार सीट से कांग्रेस अपना प्रत्याशी बनाती, तो यहां त्रिकोणीय ही नहीं, बल्कि एक दिलचस्प मुकाबला भी देखने को मिलता। लेकिन, अभी इसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिलता नजर आ रहा है।