महिला तस्कर लग्जरी कारों में सवार हो घर-घर पहुंंचा रही ‘चिट्टा’!

Edited By Deepak Paul, Updated: 11 Jul, 2018 10:13 AM

female smugglers rushing into luxury cars reaching home  chita

जिले में इन दिनों कई हीरोइन व महंगे से महंगा नशा बेचने का काम महिला तस्कर रह रही हैं। पंंजाब केसरी को इस गोरखधंधे को लेकर कई शिकायतें मिली, पड़ताल करने पर खुलासा हुआ कि युवाओं की रगों में नशा भरने वाली महिलाएं पड़ोसी जिले या फिर अन्य राज्य की नहीं...

फतेहाबाद(सुखराज): जिले में इन दिनों कई हीरोइन व महंगे से महंगा नशा बेचने का काम महिला तस्कर रह रही हैं। पंंजाब केसरी को इस गोरखधंधे को लेकर कई शिकायतें मिली, पड़ताल करने पर खुलासा हुआ कि युवाओं की रगों में नशा भरने वाली महिलाएं पड़ोसी जिले या फिर अन्य राज्य की नहीं हैं बल्कि हमारे ही जिले की हैं और वो भी शादीशुदा। नशा रूपी जहर बेचने वाली महिलाएं इतनी शातिर हैं कि पुलिस से बचने के लिए ये लग्जरी गाडिय़ों का इस्तेमाल कर रही हैं। इन महिलाओं पर किसी को शक भी नहीं होता। अधिकांश नशा तस्करी करने वाली महिलाओं के तार सिरसा और दिल्ली के आकांओं से जुड़े होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं।
 

फतेहाबाद पंजाब और राजस्थान बॉर्डर से सटा हुआ है। जिसके चलते इस जिले में दशकों से ही चूरा पोस्त और अफीम की तस्करी होती रही है, लेकिन अब बदले परिवेश में चिट्टे का कारोबार भी जिले में अपना पैर पसार चुका है। मंगलवार को सिरसा में पकड़ी गई 1 किलो हिरोइन के तार फ तेहाबाद से भी जुड़े हो सकते हैं। सूचना मिली है कि सिरसा से नशा पहुंच रहा है। बॉर्डर एरिया के हर गांव में दर्जनों लोग नशे की गिरफ्त में फंस चुके हैं। पंजाब से सटे लगभग जिले के 50 गांवों में चूरापोस्त-अफ ीम के असंख्य नशेड़ी भटकते देखे जा सकते हैं।

नशे की ओवर डोज ले रही ‘जान’
पुलिस विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2018 से लेकर 10 जुलाई तक करीब दर्जनों युवा नशे की लत के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठे हंै। डाक्टरों की रिपोर्ट के मुताबिक नशे की ओवर डोज नशेडिय़ों की मौत का कारण बनी। पिछले कुछ ही दिनों पहले एक पुलिसकर्मी के बेटे की भी ओवरडोज लेने के कारण मौत हो गई थी। नशे के तौर पर प्रयोग हो रही दवाइयां

चूरापोस्त और अफीम महंगे होने के कारण अब नशेडिय़ों का रुझान मैडीकल नशे की तरफ अधिक है। हर गांव के खुली हुई मेडीकल की दुकान से नशीली गोलियां आसानी से मिल जाती हैं। जिन गांवों मेंं सिर्फ एक मेडीकल दुकान की आवश्यकता है उन गांवों में 3-4 मेडीकल स्टोर खुले हैं। ताज्जुब की बात है कि चंद पैसों के लालच में अवैध तरीके से गांवों में मेडीकल दुकान चलाने वालों के खिलाफ ग्रामीण पंचायतें भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रही हैं न ही सेहत विभाग और पुलिस विभाग कोई कानूनी कार्रवाई कर रहा। जिम्मेदार की लापरवाही नशा बेचने वालों को खूब रास आ रही है। 
 

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