करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फांक रहा धूल

Edited By vinod kumar, Updated: 18 Jan, 2020 04:15 PM

community health center is blowing dust

करीबन 15 वर्ष पहले इनैलो सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से अस्पताल का निर्माण करवाया था लेकिन लगभग 15 साल बीतने के बाद भी यह अस्पताल सफेद हाथी साबित हो रहा है।

जाखल(हरिचंद): करीबन 15 वर्ष पहले इनैलो सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने करीब 2 करोड़ रुपए की लागत से अस्पताल का निर्माण करवाया था लेकिन लगभग 15 साल बीतने के बाद भी यह अस्पताल सफेद हाथी साबित हो रहा है। 

लोगों को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल में डाक्टर तक मुहैया नहीं हो पाए। जाखल खंड में करीबन 25 गांवों के साथ-साथ पंजाब का क्षेत्र होने के कारण लाखों की संख्या में लोगों का वास है इन लोगों के इलाज के लिए डाक्टरों की कमी होने के कारण प्रतिदिन अनेक मरीजों को टोहाना, सुनाम, संगरूर, हिसार आदि शहरों में जाना पड़ता है। अस्पताल में डाक्टर एवं स्टाफ  के कर्मचारियों के लिए आवास का निर्माण न करवाया जाना भी बहुत बड़ी समस्या है, क्योंकि डाक्टर्स व अन्य कर्मचारी किराए पर आवास लेकर रहते हैं, जिसके कारण जाखल अस्पताल में डाक्टर ड्यूटी करने से कतराते हैं। 

जो भी इक्का-दुक्का डाक्टर हैं अस्पताल में सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को अग्रोहा रैफ र कर रहे हैं। यूं तो जाखल में अस्पताल को सी.एच.सी. का दर्जा प्राप्त है लेकिन पर्याप्त सुविधाओं को देखा जाए तो यह सिर्फ  नाम का ही रह गया है। पूर्व में हुड्डा सरकार की बात करें या फि र मनोहर सरकार के पिछले 5 साल के कार्यकाल से मौजूदा समय तक इस अस्पताल की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अब गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से उम्मीद जताई जा रही है कि शायद इस अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी।

सी.टी. स्कैन व एम.आर.आई. मशीन की नहीं व्यवस्था
करोड़ों की लागत से बना यह अस्पताल में डाक्टरों की कमी के साथ-साथ सी.टी. स्कैन, अल्ट्रा साऊंड व एम.आर.आई. मशीन की कोई व्यवस्था ही नहीं है, जिससे आम लोगों को इस टैस्क्वट के लिए जाखल से 20 किलोमीटर दूर टोहाना क्षेत्र में निजी अस्पताल में इसकी जांच करवानी पड़ती है जिससे लोगों को परेशानी के साथ-साथ मोटा खर्च भी करना पड़ता है, जिससे उनकी जेब पर भारी मात्रा में बोझ पड़ता है, वहीं एक्स-रे मशीन तो यहां पर हैं, परंतु उसके लिए कोई टैक्नीशियन नहीं है जिससे उसे चलाया जाए। इस मशीन को चलाने के लिए सप्ताह में 2 दिन मंगलवार व शुक्रवार को टोहाना से टैक्नीशियन आता है जिससे 2 दिन ही लोगों को इससे भी कोई राहत नहीं है।

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