किडनी कांड :5 निजी अस्पतालों से मांगा 3 साल का रिकॉर्ड

Edited By Isha, Updated: 15 Jun, 2019 10:10 AM

kidney scandal recognition of 3 years from 5 private hospitals

किडनी कांड में फोर्टिस अस्पताल की को-ऑर्डिनेटर सोनिका डबास की गिरफ्तारी के बाद किडनी प्रत्यारोपण के मामले में निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसता जा रहा है।  गुरूवार को जहां सीएमओ डॉ

फरीदाबाद (सुधीर राघव): किडनी कांड में फोर्टिस अस्पताल की को-ऑर्डिनेटर सोनिका डबास की गिरफ्तारी के बाद किडनी प्रत्यारोपण के मामले में निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसता जा रहा है। गुरूवार को जहां सीएमओ डॉ. गुलशन अरोड़ा ने फोर्टिस अस्पताल का दौरा किया और दस्तावेजों की जांच की थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ गुलशन अरोड़ा ने शहर के पांच निजी अस्पतालों से किडनी प्रत्यारोपण का तीन वर्ष का पूरा ब्यौरा मांगा है।

विभाग के रिकार्ड के अनुसार इन निजी अस्पतालों को वर्ष 2018 में करीब 100तथा जून2019 तक 51 केसों में अनुमति दी गई है। ब्यौरा आने के बाद विभाग यह जांच करेगाकि निजीअस्पतालों ने कितने केस आंतरिक कमेटीकीमंजूरी से किए हैं। आंतरिक कमेटी की ओर से मंजूरी लेकर निजी अस्पताल किडनी प्रत्यारोपण के मामलों की रिपोर्ट रोहतक मेडिकल कॉलेज को भेजता है। उल्लेखनीय है की कानपुर एसआईटी की गिरफ्त में आई फोर्टिस अस्पताल की को-ऑर्डिनेटर सोनिका डबास प्रारंभिक जांच में ही टूट गई। उसने यह खुलासा किया है कि फरीदाबाद के फोर्टिस अस्पताल की लैब में ही डोनर का डीएनए सैंपल बदलकर रिसीवर से मैच कराया गया था। उसके साथ लैब के तीन कर्मचारी और डॉक्टर शामिल थे। 

अब एसआईटी इन कर्मचारियों व डॉक्टरों से भी पूछताछ करेगी। सूत्रों की माने तो इस मामले में ट्रांसप्लांट को मंजूरी देने वाली कमेटी भी कहीं हद तक इसके लिए जिम्मेदार है। रिकॉर्ड तलब होने के बाद निजी अस्पतालों के चिकित्सक व ट्रासंप्लांट को मंजूरी देने वाली आंतरिक कमेटी के अधिकारी भी एसआईटी की जांच के दायरे में होंगे और उन सभी अधिकारियों से पूछताछ हो सकती है।

वर्ष 2011 में शुरू हुआ था किडनी ट्रासंप्लांट
फरीदाबाद के फोर्टिस अस्पताल में वर्ष 2011 में किडनी ट्रासंप्लांट शुरू किया गया था। अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए विदेशों से भी मरीज आते हैं। ट्रांसप्लांट की अनुमति के लिए सिविल सर्जन डॉ. गुलशन अरोड़ा के नेतृत्व में कमेटी कार्य करती है। नियमानुसार किडनी केवल परिवार के सदस्य ही दे सकते हैं। इनमें ब्लड रिलेशन में माता-पिता, भाई-बहन, किडनी डोनेट कर सकते हैं। अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण से पूर्व कमेटी द्वारा वीडियो कांफ्रेसिंग कराई जाती है जिसमें किडनी लेने वाले और किडनी देने वाले दोनों लोगों से पुछताछ की जाती है। जिसके आधार पर कमेटी के सदस्य प्रत्यारोपण की मंजूरी पर मोहर लगाते हैं। ऐसे में यह वीडियो रिकॉर्डिंग एसआईटी के हाथ लगेगी तो अधिकारी भी झूठ नहीं बोल पाएंगे।

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