वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अस्पताल से जुड़ा कोर्ट

Edited By Deepak Paul, Updated: 18 Mar, 2019 10:53 AM

hospital conjunction with video conferencing

बीके अस्पताल के चिकित्सकों को अस्पताल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा शुरू होने से बड़ी राहत मिली है...

फरीदाबाद (ब्यूरो): बीके अस्पताल के चिकित्सकों को अस्पताल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा शुरू होने से बड़ी राहत मिली है। अब कोर्ट गवाही के लिए चिकित्सकों को कोर्ट में पेश नहीं होना पड़ रहा है। इससे समय की बचत के साथ सरकारी राजस्व की फिजूल खर्ची भी बच रही है। आंकडों के हिसाब से हर साल बीके अस्पताल के चिकित्सकों को करीब 3000 पेशियों से गुजरना पड़ता है। लेकिन अब तीसरी मंजिल पर बने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से ही चिकित्सक सीधे कोर्ट रूम से जुड़ जाते हैं और अपनी गवाही देते हैं।

जिसे कानूनी प्रक्रिया के लिए मान्य माना जाता है। बीके अस्पताल के आरएमओ डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि पहले सभी चिकित्सकों के लिए मुश्किल होती थी। सर्वाधिक परेशानी मेडिसीन विभाग के चिकित्सकों और इमरजेंसी सेवाएं व पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों को होती थी। क्योंकि उन्हें दुर्घटना से मौत, हत्या एवं अन्य संदिग्ध मौत के मामलों में सैक्टर-12 और चण्ड़ीगढ़ कोर्ट में पेश होना पड़ता था। इससे पोस्टमार्टम में व्यस्त चिकित्सक कई बार पेशियों पर नहीं जा पाते थे और कई बार उन्हें पोस्टमार्टम छोड़कर जाना पड़ता था। इतना ही नहीं इस सब में सरकारी राजस्व की बर्बादी होती थी। वहीं इन पेशियों की वजह से मरीजों को इलाज कराने के लिए सफर करना पड़ता है। वहीं पहले से ही चिकित्सा विभाग में चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे है।  


पोक्सो एक्ट में पेशी जरूरी:- केवल पोक्सो एक्ट के मामलों में चिकित्सकों की गवाही कोर्ट में उपस्थित होकर ही मान्य हैं। इसलिए चिकित्सकों को ऐसे मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की इजाजत नहीं मिलती है। 

  

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