नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा टीकाकरण

Edited By kamal, Updated: 22 Apr, 2019 09:50 AM

vaccination by keeping rules in check

जिले में इस समय आगरा की जिस एन.जी.ओ. को हैपेटाइटिस बी और टाइफाइड के टीके लगाने का ठेका यहां के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों...

भिवानी(ब्यूरो): जिले में इस समय आगरा की जिस एन.जी.ओ. को हैपेटाइटिस बी और टाइफाइड के टीके लगाने का ठेका यहां के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिया है उन टीकों से किसी को किसी तरह का फायदा नहीं होने वाला। इसका कारण यह है कि इस टीकाकरण के दौरान उक्त एन.जी.ओ. द्वारा विभाग के कोल्ड चेन नियम का ही पालन नहीं किया जा रहा। इस लिहाज से देखा जाए तो ये टीके एक प्रकार से पानी के टीके के समान हैं। इसके बावजूद उक्त एन.जी.ओ. द्वारा जिले में लोगों से ठगी का यह खेल खेला जा रहा है। 

ये है कोल्ड चेन नियम 
उदाहरण के तौर पर इस तरह का टीका अगर मुंबई में बनता है तो उसे दिल्ली तक भेजने के लिए वैक्सीन वैन में लाया जाता है। इसके बाद अगर दिल्ली से भिवानी या हिसार इन टीकों को लाया जाता है तो वहां से भी संबंधित जिले की वैक्सीन वैन में इन टीकों को लाकर जिला मुख्यालय पर बने वैक्सीन स्टोर में रखा जाएगा और जिसमें कूङ्क्षलग स्टेशन लगा हुआ होता है। उस वैक्सीन स्टोर का तापमान इस तरह के टीकों के लिए 2 से 8 डिग्री सैल्सियस तक रखना होता है। 

भिवानी से कार में ले जाए जा रहे टीके 
दूसरी ओर जिस एन.जी.ओ. को यहां के अधिकारियों ने ये टीके लगाने का ठेका दिया है वे भिवानी सिविल अस्पताल से इन टीकों को कार में लेकर सम्बंधित गांवों या वार्डों में लेकर जा रहे हैं। इसलिए कार का इतना कम तापमान नहीं हो सकता कि वह विभाग की कोल्ड चेन के नियम को पूरा कर सके। इसलिए एक प्रकार से ये टीके इन कारों में ही बेकार हो जाते हैं और इनका असर खत्म हो जाता है। इसके अलावा इस तरह के टीकों को लगाने से पहले विभाग उनकी टैसटिंग भी कराता है, लेकिन यहां इस नियम का भी शायद पालन नहीं किया गया।


केंद्रों पर भेजते समय दिया जाता है डी फ्रीजर 
इसके बाद अगर इन टीकों को जिले के किसी अस्पताल, पी.एच.सी. या सी.एच.सी. में भेजा जाता है तो उसके लिए डी फ्रीजर का प्रयोग किया जाता है। वहां से इन टीकों को जिस गांव या शहर के किसी वार्ड में लगाया जाता है तो वैक्सीन कैरियर के माध्यम से भेजा जाता है, ताकि इन टीकों को उचित तापमान में रखा जा सके। उसके बाद जिस जगह ये टीके लगे उनकी निडल, खाली टीके और सीरिंज को संबंधित क्षेत्र की ए.एन.एम. या जी.एन.एम. एकत्र कर संबंधित अस्पताल या पी.एच.सी. सी.एच.सी. में जमा कराती है, ताकि उसका बायो मैडीकल वेस्ट किया जा सके। 

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