शहीद परिवारों की अनदेखी, भारी अपमान: विजय भारती

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Jan, 2018 03:50 PM

heavy insult of martyr families says vijay bharti

केंद्र व राज्य सरकार शहीद परिवारों की मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही। सरकार के इस रवैये से शहीद परिवारों में भारी रोष है। वह मांगों का ज्ञापन देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम भी भेजे जा चुके हैं परंतु 2 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद...

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): केंद्र व राज्य सरकार शहीद परिवारों की मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही। सरकार के इस रवैये से शहीद परिवारों में भारी रोष है। वह मांगों का ज्ञापन देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम भी भेजे जा चुके हैं परंतु 2 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी शहीद परिवारों के हकों की तरफ किसी ने नहीं सोचा, जो उनके लिए किसी अपमान से कम नहीं है।  यह बात शहीदों की आवाज कल्याण संघ (पंजीकृत) के प्रधान विजय भारती ने सभी मंडलायुक्त के माध्यम से मांगों के संबद्ध में मुख्यमंत्री के नाम भेजे ज्ञापन में कहीं है।  

उन्होंने कहा कि मातृभूमि और मानवता के लिए दिया गया बलिदान और उस बलिदान के लिए शहीद परिवारों को दिया गया योगदान कभी जाया नहीं जाता। कहते हैं कि एक शहीद के घर की चौखट पर कदम रखना मात्र चार धाम की यात्रा करने के समान है। अगर हम शहीद परिवारों का दुख बांट कर उन्हें हल्की सी मुस्कान प्रदान कर पाए, तो वह शहीदों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जो शहीद परिवारों को जीने का अर्थ और मजबूती प्रदान करेगी।

उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि जिस तरह से यूरोपियन देशों में अपने शहीदों के परिवारों की हर प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति करना और उनकी जुबान से निकली आवाज को सरकारी आदेश की तरह मानकर उन्हें पूर्ण सम्मान दिया जाता है।

वहीं, उनकी सवा अरब की जनसंख्या होते हुए अपने साढ़े 22 हजार शहीद परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत कर मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में पूरी तरह असफल है जिसकी जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकारों के साथ-साथ देश के हर नागरिक की बनती है परंतु सरकारों की बेरुखी के कारण ज्यादातर शहीदों के परिवार साधनहीन बेरोजगार हैं, जो पहाड़ों में पत्थर तोडऩे व मजदूरी करने को मजबूर हैं।

यह सुविधाएं देने की रखी मांग
-शहीदों के परिवारों को केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से एक-एक करोड़ की आर्थिक सहायता राशि दी जाए।
-शहीद की शहादत पर खिलाड़ियों की तर्ज पर 3 से 6 करोड़ की सहायता राशि व परिवार एक सदस्य को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाए।
-लोकसभा/राज्यसभा व विधानसभा में अन्य श्रेणियों की भांति सीटें आरक्षित की जाएं।
-सड़कों, पार्कों शिक्षण संस्थानों तथा सरकारी इमारतों के नाम शहीदों के नाम पर रखे जाएं, कैलेंडरों में नेताओं के साथ शहीदों के चित्र भी लगाए जाएं।
-शहीद वीरांगना व बच्चों तथा माता-पिता को देशभर में रेल व बसों में फ्री पास सुविधा और देश-विदेश की हवाई यात्रा में 70 प्रतिशत किराए में छूट प्रदान की जाए।
-शिक्षा के क्षेत्र में कोटा बढ़ाने और बाकी सभी शहीद परिवारों को जिनको आजीविका के साधन नहीं मिले हैं, उन्हें साधन उपलब्ध करवाए जाएं।
-जिला स्तर पर शहीद स्मारक बनाए जाएं, जहां उस जिले से संबंधित शहीदों के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे गए हों तथा स्कूल पाठ्यक्रमों में शहीदों के शौर्य का वर्णन होना चाहिए।

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